Box Office: 4 हफ्ते बाद भी 'छपाक' नाकाम, और सुपर-डुपर से ऊपर निकल गई 'तान्हाजी'!
बेंगलुरू। 10 जनवरी, 2020 को रिलीज हुई तान्हाजी-द अनसंग वॉरियर (Tanhaji: The Unsung Warrior) और छपाक (Chhapaak) की बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में जमीन आसमान का अंतर हो गया है। दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) स्टारर छपाक जहां फिल्म रिलीज के 28वें दिन भी छटांग भर कमाई करके फिल्म की लागत निकालने में असमर्थ रही है।
वहीं बॉक्स ऑफिस पर लगातार 28वें दिन भी धमाल मचा रही अजय देवगन (Ajay Devgn)और काजोल (Kajol)स्टारर फिल्म तान्हाजी-द अनसंग वॉरियर रोज दर रोज कमाई के नए-नए कीर्तिमान गढ़ती जा रही है। यही नहीं, तान्हाजी कमाई उसकी रिलीज के चार हफ्तों के बाद भी नहीं थम रही जबकि उसके बाद कई बड़ी फिल्म रिलीज हुईं हैं। इनमें सैफ अली खान स्टारर फिल्म जवानी जानेमन और वरूण धवन स्टारर स्ट्रीट डांसर थ्रीडी प्रमुख है।
वहीं, रिलीज के चौथे हफ्ते यानी लगातार 28वें दिन भी 'तान्हाजी' ने तकरीबन 2 करोड़ कमाई करके साबित कर दिया है कि वह अभी और रिकॉर्ड ध्वस्त करने का दमखम रखती है। अभी तक के प्रदर्शन के हिसाब से तानाजी सबसे बड़ी फिल्म के रूप में उभर कर सामने आई है और फिल्म 28 दिनों में अब तक केवल भारत में कुल 259 करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है जबकि फिल्म वर्ल्डवाइड कलेक्शन 339 करोड़ पार कर चुकी है।
और जिस तरह से तान्हाजी ने चौथे हफ्ते के गुरूवार को करीब 2 करोड़ की कमाई की है। उससे माना जा रहा है कि फिल्म अभी एक हफ्ते तकरीबन 10 करोड़ की कमाई और करने में कामयाब हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो तान्हाजी बॉक्स ऑफिस बने पुराने कई कीर्तमानों को ध्वस्त करने में कामयाब हो जाएगी।
अजय देवगन , काजोल, और सैफ अली खान स्टार फिल्म 'तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर' ने चौथे हफ्ते में ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाकर कीर्तिमान स्थापित करते हुए वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तीसरी बड़ी फिल्म में शुमार हो चुकी है। माना जा रहा है कि 7 फरवरी को रिलीज हो रही मोहित सूरी निर्देशित फिल्म मलंग तान्हाजी की कमाई पर जरूर असर डाल सकती है।
देशभक्ति और राष्ट्रवाद के ओत प्रोत फिल्म तान्हाजी बॉक्स ऑफिस पर कमाई के मामले में अभी ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ स्टारर वॉर (471 करोड़), शाहिद कपूर स्टारर कबीर सिंह (372 करोड़) से पीछे है। तान्हाजी ने अकेले मुंबई में ही केवल 130 करोड़ रुपए की कमाई की है, जो एक बड़ा और अनूठा रिकॉर्ड है।
गौरतलब है निर्माता और एक्टर अजय देवगन की फिल्म 'तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर' को को छपाक की तुलना में फिल्म समीक्षकों का कम प्यार नसीब हुआ था, लेकिन जेएनयू कंट्रोवर्सी के चलते बॉक्स ऑफिस पर कमजोर शुरूआत हुई, लेकिन एक अच्छे विषय पर केंद्रित फिल्म छपाक का ग्राफ उसके बाद भी ऊपर नहीं उठा।
फिल्म छपाक एक एसिड सर्वाइबर लक्ष्मी अग्रवाल की बॉयोपिक फिल्म थी, जिसमें दीपिका पादुकोण खुद एसिड सर्वाइबर की भूमिका प्ले कर रहीं थी, लेकिन दीपिका के दीवाने दर्शकों ने भी छपाक में कोई रूचि नहीं दिखाई है, जिससे फिल्म औंधे मुंह एक बार गिरी तो फिर संभल नहीं पाई।
वहीं, छपाक के इतर तान्हाजी ने फिल्म बॉक्स ऑफिस पर लगातार शानदार प्रदर्शन करके फिल्म समीक्षकों को झुठलाते हुए दमदार कमाई कर रही है। फिल्म तान्हाजी में अजय देवगन और काजोल मुख्य किरदार में है जबकि सैफ अली खान विलेन की भूमिका में थे। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म तान्हाजी में पंसद किए जा रहे सैफ अली खान अपनी सोलो फिल्म जवानी जानेमन में फेल गए हैं।
वीर मराठा छत्रपति शिवाजी के जिगरी दोस्त तान्हा जी मालुसरे के किरदार में नज़र आए अजय देवगन को मराठी लोगों ने जमकर प्यार बरसाया है तभी अकेले मुंबई में फिल्म तान्हाजी न जबर्दस्त कमाई की है। सिल्वर स्क्रीन पर अजय देवगन और काजोल की जोड़ी फिल्म तान्हाजी में हिट साबित हुई है। इससे पहले दोनों ने कई फिल्म साथ की हैं, लेकिन उन्हें सफलता नही मिली।
अजय देवगन और काजोल ने शादी के बाद कुल चार फिल्मों में साथ-साथ सिल्वर स्क्रीन पर नज़र आए, लेकिन तान्हाजी को छोड़कर अब तक दोनों की रिलीज हुई कुल चार फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉफ रहीं थी। इनमें राजू चाचा, यू मी और हम, दिल क्या करे और तूनपुर का सुपर हीरो शामिल हैं।
हालांकि शादी से पहले दोनों की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया था और अनीज बज्मी निर्देशित फिल्म प्यार तो होना ही था में दोनों की जोड़ी खूब पसंद की गई थी और कहा जाता है कि इसी फिल्म में अजय और काजोल का प्यार हुआ और दोनों ने एकदूसरे से शादी करने का फैसला कर लिया था।
निः संदेह फिल्म छपाक से निर्माता बनी फिल्म एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की रणनीतिक गलती से तान्हाजी को फायदा हुआ। अगर दीपिका जेएनयू कैंपस में लेफ्ट छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने की कोशिश को तीन दिन और टाल देती तो छपाक इतनी बड़ी दुर्घटना से संभवतः बच सकती थी, क्योंकि ऐसी कई फिल्मों को वीकेंड के जरिए ही बॉक्स ऑफिस पर कमाई करते हुए देखा गया है, जिसे वीकेंड के बाद दर्शकों ने बुरी तरह से नकार दिया था।
लेकिन उन फिल्मों ने वीकेंड में अपनी लागत से अधिक की कमाई करने में सफल रहीं थी। इनमें रेमो डिसूजा निर्देशित दो फिल्मों का नाम लिया जा सकता है। इनमें पहली फिल्म सलमान खान स्टारर रेस-3 और हालिया रिलीज फिल्म स्ट्रीट डांसर थ्रीडी का नाम लिया जा सकता है, जो प्रमोशन के जरिए ही फिल्म की लागत से अधिक कमाने में कामयाब रही। निःसंदेह कंट्रोवर्सी में छपाक नहीं पड़ती तो लागत से अधिक वह वीकेंड में ही निकालने में कामयाब रहती, क्योंकि इतनी पब्लिसिटी तो फिल्म को मिल ही चुकी थी।
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छपाक को जेएनयू प्रकरण की वजह से नकारात्मक रिस्पॉन्स मिला
तात्कालिक नुकसान के तौर पर देखा जाए तो निश्चित तौर पर जेएनयू विवाद भी इन वजहों में से एक माना जा सकता है। फिल्म एक्ट्रेस से फिल्म निर्माता बन चुकी दीपिका पादुकोण व्यक्तिगत तौर पर कहां जाती है, किसके साथ खड़ी होती है, इससे किसी भी दर्शक को कभी फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन दीपिका जब उन छात्रों के साथ जाकर खड़ी हो गईं, जिन पर वर्ष 2016 से देशद्रोही नारे लगाने और देशविरोधी कार्रवाई करने का आरोप लगा हो, तो देश के मौजूदा माहौल के चलते उनकी बात बिगड़ गई। निः संदेह दीपिका की फिल्म को जेएनयू प्रकरण की वजह से नकारात्मक रिस्पॉन्स मिला, लेकिन इसका प्रभाव तात्कालिक था, जिसका नुकसान फिल्म को भुगतना पड़ा। असली वजह कुछ और थी।
फिल्म छपाक की रिलीज के लिए निर्माता दीपिका ने चुना गलत दिन
ऐसा समझा जाता है कि अगर संवेदशील मुद्दे पर निर्मित फिल्म छपाक को किसी सोलो डेट पर रिलीज किया जाता तो एसिड सर्वाइवर पर बनी फिल्म को दर्शक जरूर मिल जाते, लेकिन तानाजी जैसे देशभक्ति थीम पर बनी फिल्म के सामने छपाक जैसी फिल्म को रिलीज करके फिल्म छपाक की निर्माता दीपिका पादुकोण ने बतौर निर्माता अपरिपक्वता दिखाई। फिल्म अगर सोलो रिलीज होती तो बढ़िया बिजनेस करने में सफल हो सकती थी, क्योंकि दीपिका पादुकोण के नाम पर उनके चाहने वाले जरूर वीकडेज फिल्म की टिकट जरूर खरीदते और फिल्म छपाक निःसंदेह तीन दिन में 18 करोड़ से 38 करोड़ कमाने में सफल हो सकती थी। बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्में हैं, जिन्होंने बड़े नाम और छोटे दर्शन देकर वीकडेज में 35-40 करोड़ रुपए कमाए हैं। इनमें सलमान खान स्टारर ट्यूबलाइट का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।
पारंपरिक भारतीय दर्शक आज भी फिल्म को मनोरंजन के लिए देखता है
जेएनयू प्रकरण का तात्कालिक नुकसान फिल्म छपाक को निःसंदेह मिला, लेकिन लगातार 10 दिनों तक फिल्म छपाक को देखने के लिए थियेटर में दर्शक नहीं मिले उसके पीछे फिल्म की विषय वस्तु और उसकी कहानी थी, जो दर्शकों को थियेटर में खींच नहीं पाए, क्योंकि दर्शकों के पास तानाजी-द अनसंग वॉरियर के रूप में एक विकल्प मौजूद था। छपाक का यह हाल तब हुआ जब तीन-तीन राज्यों में फिल्म रिलीज के दिन छपाक को टैक्स फ्री घोषित कर दिया था। टैक्स फ्री होने के बाद आधे हुए टिकट की कीमत के बाद भी दर्शक छपाक देखने नहीं गए, जिसका जेएनयू से कोई लेना-देना नहीं था, क्योंकि आज भी पारंपरिक भारतीय दर्शक फिल्म को मनोरंजन के लिए देखता है।
फिल्म छपाक को नहीं, दीपिका पादुकोण को दर्शकों ने नकारा
भारत में ऑडिएंस ढाई घंटे सिनेमा हॉल में एक या दो,कभी कभी तीन तीन हीरोइनों की सुंदरता का सुख भोगता है। फिल्म भले ही एक्शन बेस्ड हो लेकिन हीरोइन की सुंदरता से दर्शक कॉम्प्रोमाइज करने के मूड में कभी नहीं रहता। खासकर जब फिल्म दीपिका पादुकोण जैसी खूबसूरत हीरोइन की हो तो वो यह जरूर चाहेगा कि दीपिका की सुंदरता पूरी फिल्म में दिखे। दीपिका ने निश्चित तौर पर एक प्रोड्यूसर होने के नाते रिस्क लिया और करियर के शिखर पर ऐसी फिल्म की जहां उन्हें बदरंग चेहरे के साथ दर्शकों से रूबरू होना पड़ा। दीपिका को इसके लिए सलाम किया जाना चाहिए लेकिन दर्शकों ने जिन वजहों से फिल्म को नकारा, उनमें से एक ये वजह हो सकती है।
मास नहीं क्लास फिल्म थी एसिड सर्वाइबर बॉयोपिक फिल्म छपाक
भारत का बहुसंख्यक और पारंपरिक दर्शक आज भी मनोरंजक और हैप्पी एंडिंग पसंद करता है। हालांकि शहरों के ऑडिएंस की मानसिकता बदली है लेकिन शहरों के ऑडिएंस फिल्म हिट करा देने की स्थिति में नहीं है अभी भी। कस्बाई ऑडिएंस एक्शन पैक्ड हीरो, बड़ी बड़ी गाड़ियों, महंगी लोकेशन औऱ सुंदर हीरोइनों वाली फिल्मों को तवज्जो देता है। जो वो जिंदगी में नहीं कर पाया, वही पाने की ललक उसे थिएटर ले आती है और ऐसी फिल्में हिट होकर इस वजह को पुख्ता करती जा रही हैं।
राष्ट्रवाद के माहौल में तानाजी से पिछड़ गई दीपिका की छपाक
दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक अजय देवगन की वीर रस से परिपूर्ण तानाजी से इसलिए मुकाबला नहीं कर पाई, क्योंकि देश ही नहीं, बॉलीवुड में मौजूदा दौर में देशभक्ति की थीम पर तैयार फिल्में का जलवा है। माना जा रहा है कि मौजूदा दौर में बॉलीवुड में देशभक्ति की थीम पर बनी फिल्में पसंद की जा रही है, इसलिए तानाजी ने बाजी मार ली। अजय देवगन मार्का एक्शन और देशभक्ति की थीम ने उन दर्शकों को भी अपनी तरफ खींच लिया, जो क्रिटिक्स और अच्छी रेटिंग के चलते छपाक देखने का मन बनाया हुआ था।। पिछले कुछ सालों में देशभक्ति की थीम, पीरियड्स ड्रामा फिल्में काफी सफलता मिली है। इनमें छपाक की निर्देशक मेघना गुलजार द्वारा निर्देशित राजी एक बड़ा उदाहरण है।