छपरा: 'क्या मुसलमान को जीने का हक नहीं है?' - ग्राउंड रिपोर्ट
बिहार के सारण ज़िले (छपरा) में शुक्रवार सुबह भीड़ की पिटाई से हुई तीन लोगों की मौत के मामले में जिला पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में आठ लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. पुलिस ने कई अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है. हालांकि पुलिस इस घटना को मॉब लिंचिंग मानने से इनकार कर रही है.
बिहार के सारण ज़िले (छपरा) में शुक्रवार सुबह भीड़ की पिटाई से हुई तीन लोगों की मौत के मामले में जिला पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में आठ लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है.
पुलिस ने कई अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है. हालांकि पुलिस इस घटना को मॉब लिंचिंग मानने से इनकार कर रही है.
ये घटना बनियापुर थाना के तहत आने वाले पठोरी नंदलाल टोला गांव में हुई. भीड़ ने एक अल्पसंख्यक और महादलित समुदाय के दो लोगों को बेरहमी से पीटा जिससे उनकी मौत हो गई.
जिन तीन लोगों की मौत हुई, वो घटनास्थल से करीब 15 किलोमीटर दूर बसे पैगंबरपुर गाँव के रहने वाले थे. मिश्रित आबादी वाले इस गांव में करीब 500 घर हैं.
इस गांव के कई लोग देश-विदेश में नौकरी कर रहे हैं. फिलहाल गांव में गम और गुस्से का माहौल है.
गांव के बीच में मृतक नौशाद कुरैशी का पक्का मकान है. शोक में डूबे परिवार के प्रति संवेदना जताने वालों की भारी भीड़ बनी हुई है. घर का माहौल ग़मगीन है.
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परिवार का आरोप
नौशाद के बड़े भाई मोहम्मद आज़ाद ने बताया कि नौशाद पिकअप वैन चलाकर गुजारा करते थे.
इस मामले को मॉब लिंचिंग बताते हुए आज़ाद कहते हैं, "राजू और विदेशी ने मवेशी ख़रीदा था जिसे भाड़े की गाड़ी से लेने के लिए वो लोग वहां गए थे, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही इन लोगों को बेरहमी से मारा गया. उन पर लाठी और चाकू से हमला हुआ. मुझे तो बस यही लगता है कि भीड़ ने सोचा कि ये मुसलमान है इसलिए इसे मार दो ."
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घर में मातम
वहीं नौशाद की दर्दनाक मौत से सहमी उनकी भतीजी नेहा तबस्सुम ने सुबकते हुए कहा,"चाचा ने अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की अच्छे घर में शादी की थी और बेटे को को हैदराबाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे थे. उन्हें इतनी बेदर्दी से इसलिए मारा गया क्योंकि वो मुसलमान थे. क्या मुसलमान को जीने का हक नहीं है?"
उधर गांव के दूसरे छोर पर मृतक विदेश नट के पिता अपने नौजवान बेटे के शव को देखकर लगातार रोये जा रहे थे. उनकी जुबान पर सिर्फ एक ही बात बरबस आ रही थी कि नवंबर में उसकी शादी होनी थी.
यही माहौल राजू नट के घर के बाहर भी दिखा. परिवार वालों से घिरा शव घर के बाहर मैदान में था. राजू की पत्नी और बच्चों की आंखों में गहरी पीड़ा दिखाई दे रही थी.
उधर, जिस गांव में ये घटना हुई उस महादलित बहुल पिठौरी नन्दलाल टोला गांव के लोगों ने आरोप लगाया है कि शुक्रवार की सुबह तीन लोग गांव में पिकअप वैन पर मवेशियों को लाद रहे थे तभी उन्हें पकड़ लिया गया.
पुलिस के आने से पहले ही मौत
पुलिस छावनी में तब्दील इस गांव में अजीब सी ख़ामोशी है. खोजबीन करने पर घटनास्थल के समीप गांव के युवा मोहित कुमार राम मिले.
कई बार सवाल पूछने के बाद उन्होंने मोबाइल से किसी से संपर्क साधा और उसके बाद बताया, "रात करीब दो बजे के आसपास पिकअप वन से कुछ लोग आये थे. उन्होंने पहले एक बकरी को चुरा कर कहीं रख दिया और फिर दुबारा यहां आए. पिकअप वैन में बकरी की लेड़ी (गोबर) मिला था. "
मोहित ने बताया कि ये लोग दोबारा आए और उन्होंने गांव के मुहाने पर बंधी दो भैसों को वैन में चढाने की कोशिश की. इसी दौरान भैंस ने उनमें से एक को धक्का मार दिया जिसके बाद हल्ला मच गया और वो ग्रामीणों के हत्थे चढ़ गए.
उन्होंने बताया, "हमलोगों ने उन्हें पकड़ कर दरवाजे पर लाकर बांधा. उनसे पूछताछ की गयी. उसी बीच थाने को फोन किया. उन्होंने कहा कि पकड़ कर रखिये हम लोग आ रहे हैं. इसी दौरान लोगों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया जिससे दो लोगों की यहीं मौत हो गई."