Chandrayaan 2: '15 Minutes of Terror'...कहां से आया ये शब्द?
नई दिल्ली। चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम इसरो के प्लान के मुताबिक सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका और स्पेस एजेंसी से इसका संपर्क टूट गया, हालांकि, ऑर्बिटर की मदद से विक्रम की लोकेशन का पता लग चुका है और इसरो उससे संपर्क साधने की पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिली है लेकिन इसरो की पूरी कोशिश और उम्मीद है कि वो 'लूनर डे' खत्म होने से पहले ही लैंडर विक्रम से संपर्क साध लेंगे।
'15 Minutes of Terror' या 'डर के 15 मिनट
आपको बता दें कि बीते शनिवार को यानी की 7 सितंबर को जिस दिन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग होने वाली थी, उस दिन इसरो चीफ डॉ. के सिवन ने लॉन्चिंग से पहले ही कहा था कि चांद पर विक्रम लैंडर को उतरने में 15 मिनट लगेंगे, ये लैंडिंग बेहद कठिन होगी, इसमें कुछ भी अनहोनी हो सकती है इसलिए ये '15 Minutes of Terror' या 'डर के 15 मिनट' होंगे।
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अंतिम 2 मिनट में जो भी हुआ वो हुआ वो काफी डराने वाला ही था...
और उनकी बात सही भी साबित हुई क्योंकि 13 मिनट तक सब कुछ सही चलने के बाद अंतिम 2 मिनट में जो भी हुआ वो हुआ वो सांसें रोक देने वाला ही था, मात्र दो मिनट में इसरो इतिहास रचते-रचते रह गया और चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर ने 2.1 किमी की दूरी पर मार्ग से दिशा बदली और उसका ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया।
क्यूरियोसिटी लैंडर
आपको पता है कि '15 Minutes of Terror' इस शब्द की उत्पत्ति कब और कहां हुई थी, तो सुनिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने नवंबर 2011 में मंगल ग्रह के लिए अपना क्यूरियोसिटी लैंडर लॉन्च करते वक्त किया था, उस वक्त बात 15 मिनट की नहीं बल्कि 7 मिनट की थी, इसलिए जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री के वैज्ञानिकों ने इसे '7 Minutes of Terror' यानी 'डर के 7 मिनट' कहकर पुकारा था।
जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री
क्यूरियोसिटी एक छोटे कार की आकार वाला रोवर था, इसे एक हीट शील्ड में कवर करके मंगल की सतह पर उतारना था जो कि सफलता पूर्व लैंड हो गया था।
नासा ने भेजा हैलो मैसेज
वैसे आपको बता दें कि नासा की जेट प्रॉपलशन लैबोरेट्री ने लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी भेजी है, नासा ये काम डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए कर रहा है, बता दें कि नासा ने कैलिफोर्निया स्थित DSN स्टेशन से लैंडर विक्रम को रेडिफ्रीक्वेंसी भेजी हैं, उन्होंने सिग्नल को रिकॉर्ड कर ट्वीटर पर भी साझा किया है।
नासा ने की थी भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ
इससे पहले भी नासा ने भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ की थी, नासा की ओर से ट्वीट करके कहा गया था कि अंतरिक्ष काफी मुश्किल है, हम इसरो के प्रयास की तारीफ करते हैं, जिस तरह से मिशन 'चंद्रयान' चांद के साउथ पोल पर गया, वह शानदार है। आप ने हम सभी को अपनी इस यात्रा से प्रेरित किया है और भविष्य में सोलर सिस्टम पर संभावनाओं की तलाश साथ मिलकर करने की उम्मीद रखते हैं।
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