Chandrayaan-2: मंगलवार को चंद्रमा की कक्षा में करेगा प्रवेश, अब आयी अग्निपरीक्षा की घड़ी
बंगलुरु। लॉन्चिंग के 29 दिन बाद चंद्रयान-2 कल मंगलवार को सुबह 9.30 बजे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। इसके बाद चंद्रयान-2 सात सितंबर को चंद्रमा पर लैंड करेगा। यह वो शुभ घड़ी है जिसके लिए पूरा हिन्दुस्तान ही नहीं दुनिया भरके वैज्ञानिक बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैंं । चंन्द्रयान 2 की चन्द्रमा पर सफल लैडिंग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, Isro) के लिए उपलब्धि में एक मील का पत्थर साबित होगी। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था।
चंद्रयान -2 को कड़ी अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा
यह जानकारी इसरो के चेयरमैंन के. सीवन (Isro chairman K Sivan) ने दी। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 मंगलवार को सुबह साढ़े नौ बजे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के दौरान एक कड़ी अग्नि परीक्षा से गुजरेगा। चंद्रमा के क्षेत्र में प्रवेश करने पर उसके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में पहुंचाने के लिए अंतरिक्षयान की गति को कम करना पड़ेगा। इसके लिए चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम को थोड़ी देर के लिए फायर किया जाएगा। इस दौरान सभी कमांड बिल्कुल सटीक और सधे हुए होने चाहिए। वैज्ञानिकों की मानें तो एक छोटी सी चूक भी यान को अनियंत्रित कर सकती है।
लैडिंग के बाद 31 अगस्त तक करता रहेगा चंद्रमा की कक्षा की परिक्रमा
इसरो के वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद चंद्रयान-2 31 अगस्त तक चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा। इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी। इसरो के मुताबिक, यान को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए कक्षा में चार बदलाव किए जाएंगे। इस तरह तमाम बाधाओं को पार करते हुए यह सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा जिस हिस्से में अभी तक मानव निर्मित कोई यान नहीं उतरा है।
चंद्रयान-2 की अपील हर अपडेट के लिए मुझसे जुड़े रहें
बीते दिनों चंद्रयान-2 ने धरती पर अपनी अच्छी सेहत और शानदार यात्रा के बारे में संदेश भेजा था। यान की ओर से भेजे गए संदेश में कहा गया था, 'हेलो! मैं चंद्रयान-2 हूं, विशेष अपडेट के साथ। मैं आप सबको बताना चाहूंगा कि अब तक का मेरा सफर शानदार रहा है। मैं कहां हूं और क्या कर रहा हूं, यह जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहें।' 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया चंद्रयान-2 अब तक कई बदलावों से गुजर चुका है। छठा बदलाव 14 अगस्त को किया गया था।
कम किया जाएगा वेग और बदली जाएंगी दिशा
इसरो के पूर्व प्रमुख किरण कुमार ने कहा कि चंद्रमा का चुंबकीय प्रभाव 65,000 किलोमीटर तक का है, जिसका अर्थ है कि उस दूरी तक वह अंतरिक्ष पिंडों को खींच सकता है। कल यानी 20 अगस्त को जब चंद्रयान-2 इसकी कक्षा से लगभग 150 किलोमीटर दूर होगा तो इसरो इसके अभिविन्यास की प्रक्रिया शुरू कर देगा। इस दौरान इसरो इसे एक ऐसा वेग प्रदान करेगा जिससे कि यह चंद्रमा की कक्षा में आसानी से प्रवेश कर जाए। चंद्रयान-2 के वेग को कम किया जाएगा और इसकी दिशा भी बदली जाएगी।
एक साल और बढ़ाया जा सकता है समय
चंद्रयान-2 में तीन हिस्से हैं - ऑर्बिटर, लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान'। लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग का हिस्सा बनेगा जबकि ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा कर शोध को अंजाम देगा। इसरो अधिकारियों का कहना है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के जीवन काल को एक साल और बढ़ाया जा सकता है। करीब 978 करोड़ रुपये के मिशन चंद्रयान-2 से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक, कक्षा में सारे बदलाव के बाद अंत में ऑर्बिटर के पास 290.2 किलोग्राम ईंधन होना चाहिए ताकि चंद्रमा के चक्कर लगा सके। अभी इतना ईंधन है कि चंद्रमा की कक्षा में दो साल तक चक्कर लगाया जा सकता है। हालांकि, सब कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।