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Chandrayaan-2: 'मून मिशन' में शामिल ये बाकी चार देश अब भारत से सीख लेने को बेताब होंगे, जानिए क्यों?

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नई दिल्ली- चंद्रयान-2 ने भारत का गौरव तो बढ़ाया ही है, दुनिया के बड़े देशों को स्पेस टेक्नॉलोजी में भी भारत की ओर देखने के लिए भी मजबूर कर दिया है। दरअसल, इस मिशन पर भारत को जो लागत आई है, उसके बारे में मून मिशन पर जाने वाले भारत के अलावा बाकी चारों देश अभी तक सोच भी नहीं सकते थे। लेकिन, भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने उन्हें बता दिया है कि अगर आपके पास हुनर है, ज्ञान है, तकनीक है और सबसे बढ़कर कर गुजरने की इच्छाशक्ति है, तो कम से कम लागत में भी ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। दुनिया के चार बड़े देशों को जैसे ही इस बात की भनक लगी है कि चंद्रयान-2 मिशन पर भारत को एक हजार करोड़ रुपये से भी कम खर्च बैठने वाला है, तो वे हैरान हो चुके हैं। निश्चित ही उनके अगले मिशन में चंद्रयान-2 मिशन का असर दिखने वाला है। आइए उन चारों देशों की बात करते हैं, जो भारत के साथ 'मून मिशन' में शामिल हैं।

अमेरिका

अमेरिका

अमेरिका की सबसे बड़ी कामयाबी ये है कि वह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जो चंद्रमा पर इंसान को उतार चुका है। नासा द्वारा भेजे गए मिशन में चंद्रमा पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग के नाम से पूरी दुनिया वाकिफ है। अमेरिका का चांद पर भेजा गया यह मानवीय मिशन 1969 में ही सफल हुआ था, जबकि वह उससे पहले भी मानवरहित मिशन चंद्रमा पर भेजता रहा था। 1969 के बाद भी अमेरिका ने चंद्रमा पर अपना मिशन भेजना बंद नहीं किया है और सबसे अंतिम मिशन लूनर एटमोस्फेयर एंड डस्ट एन्वॉयर्नमेंट एक्सप्लोरर (एलएडीईई) प्रोब मिशन 7 सितंबर, 2013 को लॉन्च किया गया था

रूस ( यूएसएसआर)

रूस ( यूएसएसआर)

कोल्ड वॉर के समय से सोवियत संघ अमेरिका का सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी था। कोल्ड वॉर के समय भी यूएसएसआर ने चांद पर कई मिशन भेजे थे। हालांकि, अंतरिक्ष में पहले मानव युरी गगारिन को भेजने वाला सोवियत संघ चंद्रमा पर मानव भेजने के मामले में अमेरिकी से पिछड़ गया। हालांकि, उसने कई मिशन चांद पर भेजे, लेकिन इंसान को नहीं भेज पाया। रूस से अंतिम मून मिशन लूना 1976 में चांद पर भेजा गया था, जिसे रूसी एयरोस्पेस कंपनी एनपीओ लवोचिन ने लॉन्च किया था।

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चीन

चीन

चंद्रमा पर मिशन भेजने के मामले में चीन भी अमेरिका और रूस की तरह ही सुपरपावर बन रहा है। इसी साल 3 जनवरी को चीन ने चंद्रमा पर अपना चेंज-4 मिशन भेजा जो चांद के सबसे दूर इलाके में पहुंचने वाला स्पेसक्राफ्ट था। अलबत्ता इस मिशन पर चीन ने 5,759 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जो कि चंद्रयान-2 पर आने वाली लागत 978 करोड़ से करीब 6 गुना ज्यादा है। जाहिर है कि यही स्थिति स्पेस साइंस की दुनिया में विश्व को भारत की ओर देखने को मजबूर कर रहा है। इससे पहले चीन ने अपना सबसे पहला लूनर मिशन 24 अक्टूबर, 2007 को लॉन्च किया था, जिसे चेंज-1 का नाम दिया गया था। चीन का चेंज-3 मिशन चंद्रमा पर मानवरहित लैंडिंग करने में कामयाब हुआ था।

जापान

जापान

चंद्रमा की दुनिया में मौजूदगी रखने वाला एक देश जापान भी है। उसका पहला मिशन हितेन 24 जनवरी, 1990 को लॉन्च हुआ और चंद्रमा के ऑर्बिट में पहुंचकर 10 अप्रैल, 1993 को उसकी सतह पर योजना अनुसार क्रैश करा दिया गया। जापान ने अपना दूसरा मिशन सेलेन 14 सितंबर, 2007 को लॉन्च किया और चांद के ऑर्बिट में पहुंचकर 10 जून, 2009 को उसकी सतह पर योजना मुताबिक ही क्रैश करा दिया।

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English summary
Chandrayaan-2: these Four Other Nations to Have Been on Moon Apart From India
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