Chandrayaan 2: लैंडर विक्रम को जगाने में अब NASA भी जुटा, भेजा 'हैलो' मैसेज
नई दिल्ली। चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम इसरो के प्लान के मुताबिक सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका और स्पेस एजेंसी से इसका संपर्क टूट गया, हालांकि, ऑर्बिटर की मदद से विक्रम की लोकेशन का पता लग चुका है और इसरो उससे संपर्क साधने की पूरी कोशिश कर रहा है, अब इस अभियान में दुनिया का सबसे बड़ा स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन नासा (NASA) भी जुट गया है, अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक लैंडर विक्रम को नासा ने भी हैलो मैसेज भेजा है लेकिन अभी तक लैंडर विक्रम की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है।
नासा की जेट प्रॉपलशन लैबोरेट्री
नासा की जेट प्रॉपलशन लैबोरेट्री (NASA/JPL) ने लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी भेजी है, नासा ये काम डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) के जरिए कर रहा है, अमेरिका के एक एस्ट्रॉनॉट स्कॉट टिले ने भी इस बात की पुष्टि की है कि नासा ने कैलिफोर्निया स्थित DSN स्टेशन से लैंडर विक्रम को रेडिफ्रीक्वेंसी भेजी हैं, उन्होंने सिग्नल को रिकॉर्ड कर ट्वीटर पर भी साझा किया है।
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नासा ने की थी भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ
इससे पहले भी नासा ने भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ की थी,नासा की ओर से ट्वीट करके कहा गया था कि अंतरिक्ष काफी मुश्किल है, हम इसरो के प्रयास की तारीफ करते हैं, जिस तरह से मिशन चंद्रयान चांद के साउथ पोल पर गया, वह शानदार है। आप ने हम सभी को अपनी इस यात्रा से प्रेरित किया है और भविष्य में सोलर सिस्टम पर संभावनाओं की तलाश साथ मिलकर करने की उम्मीद रखते हैं। बता दें कि विक्रम लैंडर का बीते शनिवार को आखिरी समय पर संपर्क टूट गया, जिसकी वजह से भारत चांद की सतह पर कदम रखने से चूक गया। चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया।
'लूनर नाइट' की शुरुआत
21 सितंबर तक ही इसरो 'लैंडर विक्रम' से संपर्क साधने की कोशिश कर सकता है, इसके बाद 'लूनर नाइट' की शुरुआत हो जाएगी,जिससे हालात एकदम से बदल जाएंगे क्योंकि चांद की सतह बहुत ज्यादा ठंडी है, साउथ पोल में तो तापमान माइनस में पहुंच जाता है, ऐसे में अब लैंडर विक्रम पर माइनस 200 डिग्री का भी कहर बरपा रहा है।
इसरो कर रहा है हर संभव कोशिश
खबर है कि उसने कर्नाटक के गांव बयालालु से 32 मीटर के एंटीना का इस्तेमाल लैंडर विक्रम से संपर्क करने लिए किया है, हालांकि अभी तक उसे सफलता नहीं मिली है, इसका स्पेस नेटवर्क सेंटर बेंगलुरु में है,टीओआई की खबर के मुताबिक कुछ वैज्ञानिकों ने इसरो के संभावित प्रयासों पर कुछ बेहद तथ्यात्मक प्रकाश डाला है।
उम्मीदें अभी बाकी है...
वैज्ञानिकों के मुताबिक इसरो को पता है कि विक्रम से किस फ्रीक्वेंसी पर संचार स्थापित हो सकता है और उसी के अनुसार वह रोजाना उस तक कई कमांड भेजने की कोशिश कर रहा है। इसरो को उम्मीद है कि जैसे ही विक्रम को उसकी फ्रीक्वेंसी मिलेगी वह तत्काल उसपर प्रतिक्रिया देने लगेगा।
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