चंद्रयान -2: इसरो के विक्रम लैंडर के लिए आज का दिन हैं बहुत खास , जानिए नासा कैसे करेगा मदद
बेंगलुरु। भारत के चंद्रयान -2 मिशन के लैंडर विक्रम के लिए आज का दिन बहुत खास हैं, क्योंकि आज नासा इसकी इमेज खींचने की पहली कोशिश करने वाला है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन के वैज्ञानिक मान रहे हैं कि नासा का आज का मिशन बेहद खास है और वह विक्रम को दोबारा कामयाब करने में मदद कर सकता है।
चंद्रयान -2 नासा का लूनर रिकनाइजेशन ऑर्बिटर आज विक्रम लैंडर के खिंचेगा पास से तस्वीर
गौरतलब है कि नासा इसके लिए लूनर रिकनाइजेशन ऑर्बिटर (एलआरओ) का का इस्तेमाल करेगा। नासा का यह ऑर्बिटर वर्ष 2009 से चांद के चक्कर लगा रहा है। आज यही लूनर रिकनाइजेशन ऑर्बिटर उस जगह से गुजरेगा जहां पर भारत के चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर पड़ा है।
आज जिस मिशन को नासा अंजाम देने वाला है उसको लिए एलआरओ की ऊंचाई को 100 किमी से 90 किमी किया जाएगा। इसकी जानकारी खुद नासा के दो एस्ट्रॉनॉट्स ने दी । नासा का ल्यूनारक्राफ्ट यदि आज के अपने इस मिशन में कामयाब हो गया तो यह भी काफी बड़ी उपलब्धि होगी।
विक्रम को दोबारा कामयाब करने में मदद मिल सकती है
वैज्ञानिक मान रहे हैं कि नासा का आज का मिशन बेहद खास है और वह विक्रम को दोबारा कामयाब करने में मदद कर सकता है। नासा के जिन दो एस्ट्रॉनॉ्टस है वह इस पूरे मिशन पर निगाह रखे हुए हैं। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि चांद के दक्षिणी धु्व हिस्से पर उतरने की 15 मिनट की प्रक्रिया पहले से ही लैंडर विक्रम के लिए बेहद मुश्किल थी।
इस मिशन पर पूरी दुनिया की निगाह लगी थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उन्हें उस दिन का इंतजार है जब लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरेगा। पूरी दुनिया ने चांद पर उतरने की भारत की कोशिश को काफी सराहा है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों ने माना है कि भारत का यह मिशन पूरी तरह से नाकामयाब नहीं रहा है, बल्कि इसने शोध के कई दूसरे द्वार खोल दिए हैं।
चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर ने भेजी थी विक्रम की थर्मल इमेज
बता दें कि चंद्रयान 2 के तहत छोड़ा गया ऑर्बिटर अब भी चांद के चक्कर लगा रहा है। इसने ही 9 सितंबर को सबसे पहले लैंडर विक्रम की थर्मल इमेज खींची थी। इसके जरिए ही उस जगह का पता चल सका था जहां आज लैंडर मौजूद है।
विक्रम लैंडर मार्ग भटका नहीं
इससे पहले विक्रम की पॉजीशन और इसके चांद की सतह पर उतरने को लेकर भी असमजंस की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन ऑर्बिटर से मिली थर्मल इमेज से यह साफ हो गया कि विक्रम चांद की सतह पर ही उतरा है। इसरो का विक्रम की लैंडिंग से कुछ सेकेन्ड पूर्व संपर्क टूट जाने पर लगातार संपर्क साधा गया लेकिन इसरो को इसमें कामयाबी नहीं मिली। ऑर्बिटर के थर्मल इमेज लेने से पहले इस बात की भी आशंका लगाई जा रही थी कि कहीं विक्रम मार्ग से भटककर ब्रह्मांड में कहीं खो न गया हो।
चांद पर निर्जीव पड़ा है विक्रम लैंडर
इसरो के वैज्ञानिक दिन रात लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की पूरी कोशिश कर रहे है, लेकिन इसमें अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं हो सकी है। जैसे-जैसे दिन गुजरते जा रहे हैं वैसे-वैसे इसकी संभावना भी कम होती जा रही है।
बता दें कि लैंडर विक्रम 7 सितंबर को चांद के दो क्रेटर्स मजिनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदान में लगभग 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर उतरना था। इन दोनों के बीच की दूरी करीब लगभग 45 किमी है। लेकिन सतह छूने से दो किमी पहले ही यह अपने मार्ग से भटक गया और इसका संपर्क इसरो के मिशन कंट्रोल से टूट गया। फिलहाल लैंडर विक्रम चांद की सतह पर पूरी तरह से निर्जीव पड़ा है। बता दें विक्रम के अंदर प्रज्ञान रोवर भी है।
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