Chandrayaan-2:NASA को मिली लैंडिंग साइट की कई अहम तस्वीरें, लैंडर विक्रम की पहचान के लिए स्टडी जारी
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नई दिल्ली- लैंडर विक्रम को लेकर एक बार फिर से बहुत बड़ी आस जगी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर ऑर्बिटर ने चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट की कई तस्वीरें खींचने में सफलता हासिल की है। लेकिन, नासा के सामने एक बड़ी चुनौती ये आ खड़ी हुई है कि ये तस्वीरें कम रोशनी में खींचे जाने के कारण उसके विश्लेषण में थोड़ा वक्त लग रहा है। ऐसा इसलिए हुआ है कि पिछले 17 सितंबर को जब नासा का लूनर ऑर्बिटर चांद के साउथ पोल के पास से गुजरा था, तब वहां शाम होने लगी थी और इसलिए जो तस्वीरें आई हैं, वह थोड़ी धुंधली दिख रही हैं। इसी वजह से नासा फिलहाल दावे के साथ नहीं कह पा रहा है कि उसमें लैंडर विक्रम दिखाई दे रहा है या नहीं। गौरतलब है कि जैसे-जैसे समय बीत रहा है लैंडर विक्रम को लेकर उम्मीदें कम होती जा रही थी, लेकिन नासा की तस्वीरों ने उसको लेकर एक नई आशा जगा दी है और हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में नासा विक्रम को लेकर कोई बहुत बड़ी खबर दे दे।
तस्वीरों में लैंडर विक्रम की पहचान की कोशिश
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा इस वक्त लैंडर विक्रम की लैंडिंग साइट की उन धुंधली तस्वीरों के विश्लेषण में जुटा है, जो उसके लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) पर लगे बेहतरीन कैमरों ने कैद किए हैं। ये जानकारी नासा के एक प्रोजेक्ट साइंटिस्ट के हवाले से आई है। एलआरओ के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने इस बात की पुष्टि की है कि उसके ऑर्बिटर के कैमरों ने उस जगह की तस्वीरें ली हैं, जहां लैंडर विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की थी। लेकिन, उन तस्वीरों का विश्लेषण अभी भी जारी है, जिससे पता चल सके कि तस्वीरों में लैंडर विक्रम दिखाई दे रहा है या नहीं। एक अमेरिकी तकनीकी वेबसाइट सी-नेट को दिए बयान में नासा की ओर से कहा गया है कि, "एलआरओसी (लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा) की टीम इन नई तस्वीरों का विश्लेषण करेगी और पुरानी तस्वीरों के साथ उनकी तुलना करेगी कि क्या लैंडर (यह छाया में या तस्वीर में मौजूद इलाके के दायरे से बाहर हो सकता है) दिखाई दे रहा है।"
जब तस्वीरें खींची गईं तब शाम होने को थी
नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर ने ये तस्वीरें तब खींचीं थीं जब वह पिछले 17 सितंबर को चंद्रमा के साउथ पोल के उस इलाके से होकर गुजर रहा था जब वहां शाम होने को थी। इसके चलते चांद की उस सतह का बहुत बड़ा हिस्सा छाए में कैद हो चुका था। यानि उस समय वहां पर सूरज की रोशनी कम हो चुकी थी और इसलिए ये भी संभव हो सकता है कि लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर कैमरा विक्रम लैंडर की तस्वीर ठीक से नहीं ले पाया हो या यह भी हो सकता है कि चांद की सतह का बहुत बड़ा हिस्सा भी तस्वीरों में कैद हुआ हो, जिसमें लैंडर विक्रम भी दिखाई दे रहा हो।
21 सितंबर से अंधकार में गुम हो जाएगा विक्रम
बता दें कि आने वाले 21 सितंबर के बाद विक्रम लैंडर से संपर्क करने की सारी कोशिशें नाकाम हो जाएंगी। क्योंकि, तब वहां लूनर नाइट शुरू हो जाएगी और चंद्रमा के साउथ पोल का तापमान (जहां विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की थी) माइनस 200 डिग्री तक गिर जाएगा। इतनी कड़ाके की सर्दी में विक्रम में लगे सारे उपकरण नाकाम हो जाएंगे और उसके इलेक्ट्रोनिक सिस्टम बर्बाद हो जाएंगे।
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7 सितंबर से जारी है विक्रम से संपर्क का मिशन
गौरतलब है कि अपने मिशन का लगभग 90-95 फीसदी काम पूरा करने के बाद चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर जब चांद की सतह पर कदम रखने ही वाला था कि उसका इसरो के अर्थ स्टेशन से संपर्क टूट गया था। तब से इसरो उससे संपर्क साधने की कोशिशों में लगा है और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा भी उसकी मदद कर रहा है। नासा ने इसरो को भरोसा दिया है कि अगर उसका लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर लैंडर की लैंडिंग वाली जगह के ऊपर से गुजरते हुए अगर उसकी तस्वीरें लेने में कामयाब रहा तो वह उसे भारतीय स्पेस एजेंसी के साथ जरूर साझा करेगा। बहरहाल, राहत की बात ये है कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आने वाले 7.5 साल तक चंद्रमा की कक्षा में उसका परिक्रमा करता रहेगा और चांद की जानकारियां इसरो को भेजता रहेगा। इस बीच इसरो ने भी बयान जारी कर कहा है कि ऑर्बिटर अपना काम बेहतरीन ढंग से कर रहा है।