चंद्रयान-2 Live: चांद के और करीब पहुंचा लैंडर विक्रम, आज रात रचेगा इतिहास
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बेंगलुरु। भारत का दूसरा मून मिशन चंद्रयान-2 सफलता की ओर कदम बढ़ा चुका है। लैंडर विक्रम सात सितंबर को चांद पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसरो की ओर से बताया गया है कि बुधवार को लैंडर ने दूसरा और आखिरी डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन सफलतापूवर्क पूरा कर लिया है। अब अगला कदम विक्रम लैंडर की चांद की जमीन पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश होगी। शनिवार को तड़के लैंडर चांद पर उतरेगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हाई स्कूल में पढ़ने वाले 60 बच्चे इसरो के बेंगलुरु सेंटर पर मौजूद होंगे। ये बच्चे पीएम के साथ लाइव लैंडिंग देखेंगे। इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। चांद पर विक्रम की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत दुनिया का चौथा देश होगा जो सॉफ्ट लैंडिंग की तरफ कदम बढ़ाएगा। अभी तक रूस, अमेरिका और चीन ही ऐसा करने में सफल हो पाएं हैं।
- स्पेशक्राफ्ट अपनी आगे बढ़ने की दिशा में ही थ्रस्टर का इस्तेमाल करेगा जिससे लैंडर 'विक्रम' की स्पीड कम हो जाएगी। लैंडर के चांद पर उतरने के करीब 3 घंटे के बाद इसके भीतर से रोवर 'प्रज्ञान' बाहर निकलेगा।
- स्पेस में लैंडर 'विक्रम' की स्पीड को कम करने के लिए थ्रस्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे स्पेसक्राफ्ट की स्पीड बढ़ाई जाती है, लेकिन विपरित दिशा में इसके इस्तेमाल से स्पेशक्राफ्ट की स्पीड कम होती है।
- लैंडिंग के आखिरी पंद्रह मिनट के दौरान लैंडर 'विक्रम' की स्पीड बहुत कम करनी होगी, इसकी स्पीड को घटाकर 2 मीटर प्रति सेंकेंड पर लाना होगा, यानी 7 किमी प्रति घंटा।
- लैंडर 'विक्रम' आज रात को चांद पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार है। लैंडिंग के पहले के आखिरी 15 मिनट बहुत अहम होंगे।
- विक्रम सात सितंबर को देर रात एक से दो बजे के बीच चांद की सतह में दाखिल होगा। वहीं 1:30 से 2:30 बजे यह चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग करेगा। मंगलवार को पहली बार चंद्रयान-2 ने चांद के आसपास पहले मैनुवर को अंजाम दिया।
- रविवार यानी दो सितंबर को शाम 06 बजकर 21 मिनट पर चंद्रयान-2 चंद्रमा की पांचवी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था। कक्षा बदलने में इसे 52 सेकंड का वक्त लगा। इस कक्षा की चांद से न्यूनतम दूरी मात्र 109 किलोमीटर है। इससे पहले चंद्रयान-2 ने 30 अगस्त को चौथी कक्षा में प्रवेश किया।
- चंद्रयान-2 में स्पेसक्राफ्ट तीन हिस्सों में हैं-ऑर्बिटर, लैंडर-विक्रम और रोवर-प्राग्यान। इसरो ने लैंडर का नाम विक्रम, देश में अंतरिक्ष प्रोग्राम के जनम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा है और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा है जो कि एक संस्कृत शब्द है। इसका मतलब होता है ज्ञान।
- इसरो ने बताया था कि विक्रम सात सितंबर 2019 को चांद के साउथ पोल के करीब लैंड करेगा। विक्रम तीन तरह के वैज्ञानिक प्रयोगों को पूरा करेगा। जब ऑर्बिटर चांद की सतह पर दाखिल हो जाएगा तो उसके चार दिन बाद लैंडर विक्रम उससे अलग हो जाएगा। चांद पर एक लूनर डे मतलब धरती पर 14 दिन के बराबर होता है।
- चंद्रयान 2 का मकसद चांद के करीब स्थित ध्रुवों पर मौजूद वाटर आइस और दूसरे जटिल पदार्थों का अध्ययन करना है। नेशनल जियोग्राफिक के मुताबिक इस रिसर्च से वैज्ञानिकों को चांद और सोलर सिस्टम के बारे में और बेहतर जानकारियां हो सकेंगी। साथ ही भावी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए पानी के स्त्रोत का पता लगाने में भी मदद मिलेगी।