श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग, इसरो चीफ बोले चमकीले रंगों के साथ की वापसी
श्रीहरिकोटा। इसरो ने दोपहर 2:43 मिनट पर अपने दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 को सफलता पूर्वक लॉन्च कर दिया है। चंद्रयान-2 पहले 15 जुलाई को लॉन्च होना था लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से इसकी लॉन्चिंग को 56 मिनट 24 सेकेंड पहले टालना पड़ गया था। 18 जुलाई को इसरो ने इस बात की आधिकारिक पुष्टि की कि सोमवार 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को फिर से लान्च किया जाएगा। इस मिशन पर जो रॉकेट लॉन्च होगा, वह भी अपने आप में काफी खास है।
'चमकीले रंगों के साथ की वापसी'
चंद्रयान-2 भारत का दूसरा मून मिशन है और पहला मिशन चंद्रयान साल 2008 में लॉन्च हुआ था। सफल लॉन्चिंग के बाद इसरो के चीफ डॉक्टर के सिवान ने कहा, 'तकनीकी खामी के बाद हमनें फिर चमकीले रंगों के साथ वापसी की है।' चंद्रयान -2 को 640 टन के रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-III, जीएसएलवी मार्क III से लॉन्च किया गया है। 44 मीटर की ऊंचाई वाले रॉकेट को वजन की वजह से ही बाहुबली नाम दिया गया है। भारत को इस सफलता के लिए देश विदेश से शुभकामनाएं मिलनी शुरू हो गई हैं। भारत, अमेरिका, चीन और रूस के बाद चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश होगा।
7500 लोगों ने देखा लाइव
7500 लोगों ने चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को लाइव देखा है। इसरो की ओर से बताया गया है कि शुक्रवार को रजिस्ट्रेशन ओपेन हुए थे लेकिन बस दो घंटे के अंदर ही इन्हें बंद करना पड़ा। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की काउंटडाउन रविवार को शाम 6:30 मिनट पर शुरू हो गई थी।चांद पर एक लूनर डे मतलब धरती पर 14 दिन के बराबर होता है। एक वर्ष तक ऑर्बिटर आठ तरह के प्रयोग करेगा। इस मिशन में एक प्रयोग अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी है। 15 जुलाई को जैसे ही चंद्रयान-2 को लॉन्च होना था एक घंटे से कुछ पहले ही इसकी लॉन्चिंग को टाल दिया गया। जीएसएलवी मार्क III रॉकेट के हीलियम फ्यूल कंपानेंट में लीक पाया गया था। एक साइंटिस्ट ने बताया था कि हीलियम भरने के बाद प्रेशर गिरने लगा और हमें शक हुआ कि शायद फ्यूल लीक हो रहा है।