चंद्रयान-2: 335 मीटर दूरी पर लैंडर विक्रम से टूटा था संपर्क, इसरो के पास मौजूद हैं डाटा
बेंगलुरु। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) इस समय उन आंकड़ों का अध्यन कर रहा है जो शनिवार को लैंडर विक्रम की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की असफलता से जुड़े हैं। इसरो के बेंगलुरु स्थित मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स में बड़ी-बड़ी स्क्रीन्स पर डाटा के जरिए अंतिम क्षणों में क्या हुआ, इस बारे में पता लगाया जा रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो विक्रम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा।
लैंडर विक्रम के अंतिम क्षणों की जानकारी
जो डाटा मिले हैं, उनसे विक्रम के अंतिम क्षणों के बारे में जानकारी मिलती है जो विक्रम के चांद की सतह से पांच किलोमीटर के हैं। इसरो की ओर से जारी बयान के मुताबिक 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर विक्रम एकदम सामान्य था और ग्राउंड स्टेशन से इसका संपर्क बना हुआ था। मिशन के कंट्रोल रूम पर लगीं स्थिर स्क्रीन से पता चलता है कि लैंडर जब सिर्फ चांद की सतह से 335 मीटर की दूरी पर था तभी उससे संपर्क टूट गया। स्क्रीन से जानकारी मिलती है कि दो किलोमीटर की दूरी पर लैंडर अपने रास्ते से भटक गया और फिर एक किलोमीटर से भी कम की ऊंचाई पर जाकर रुकर यानी 500 मीटर से भी कम।
तय योजना से बढ़ रहा था आगे
उस समय लैंडर वर्टिकल 59 मीटर प्रति सेकेंड या 212 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से और क्षैतिज तौर पर इसकी रफ्तार 48.1 मीटर प्रति सेकेंड या 173 किलोमीटर प्रति घंटा थी। लैंडर अपनी जगह से उस समय 1.09 किलोमीटर दूर था। प्लान के तहत विक्रम की रफ्तार उस समय तक थम जानी थी जब यह 400 मीटर की दूरी पर था और फिर इस अपनी लैंडिंग साइट के ऊपर आना था। इसके बाद यह सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए पूरी तरह से तैयार था।
प्लानिंग के हिसाब से बढ़ रहा था लैंडर
इसरो के एक पूर्व वैज्ञानिक की मानें तो दो किलोमीटर की ऊंचाई से पहले तक लैंडिंग पूरी योजना के तहत ही आगे बढ़ रही थी। लैंडर टचडाउन से बस कुछ ही किलोमीटर दूर था जब उसका संपर्क खत्म हो गया। तय किया गया था कि 400 मीटर से 10 मीटर की ऊंचाई तक विक्रम लैंडर 5 मीटर प्रति सेकंड की गति से नीचे आएगा। 10 से 6 मीटर की ऊंचाई तक 1 या 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से नीचे लाया जाएगा। फिर इसकी गति जीरो कर दी जाएगी।
Recommended Video
लगातार जारी हैं संपर्क की कोशिशें
चांद पर लैंडिंग के लिए 15 मिनट के तय कार्यक्रम के दौरान विक्रम लैंडर की गति को 1680 मीटर प्रति सेकेंड यानी 6048 किमी प्रति घंटा से घटाकर जीरो मीटर प्रति सेकंड करना था। 13वें मिनट में मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स की स्क्रीन पर सब रुक गया. तब विक्रम लैंडर की गति 59 मीटर प्रति सेकंड थी। चांद की सतह से 335 मीटर की ऊंचाई पर हरे रंग का एक डॉट बन गया और विक्रम से संपर्क टूट गया। इसके बाद विक्रम लैंडर चांद की सतह से टकरा गया। हालांकि, इसरो के वैज्ञानिकों ने विक्रम से संपर्क साधने की कोशिशें बंद नहीं की हैं।