जानिए क्यों कन्याकुमारी के इस गांव का हर बच्चा बनना चाहता है 'डॉ.सिवन'?
Chandrayaan 2: Kanyakumari is all cheers for hometown boy Isro chief K Sivan, Read his Journey
बेंगलुरु। इसरो के चेयरमैन डॉ. कैलाशावदिवु सिवन, का नाम आज भारत के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है, यूं तो सिवन किसी भी परिचय के मोहताज नहीं, इसरो जैसे बड़े संस्थान का नेतृत्व करना हर किसी के बस में नहीं होता है लेकिन शनिवार को सिवन का जो भावुक चेहरा लोगों के सामने आया, उसने ये जता दिया कि इसरो चेयरमैन केवल धुन के पक्के ही नहीं बल्कि इमोशनल भी हैं, विज्ञान के किंतु-परंतु के बीच उनके छलकते आंसू उनकी मेहनत और उनके काम के प्रति समर्पण को पूरी तरह से दर्शाते हैं।
संघर्षपूर्ण रहा है के सिवन का अब तक का सफर
हालांकि आज सिवन भले ही सफलता के शिखर पर हो, लेकिन यहां तक का उनका सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था, कन्याकुमारी के सरक्कलविलाई गांव में जन्मे सिवन के पिता किसान थे, इनका बचपन नरम गद्दों पर नहीं बल्कि पथरीली जमीन पर सोकर बीता है, सिवन की पढ़ाई तमिल मीडियम सरकारी स्कूल में हुई थी और स्कूल में छुट्टी के दिन वो अपने पिता के साथ खेत में काम करते थे, वो नंगे पैर स्कूल जाते थे।
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'जो चाहा वो कभी नहीं मिला लेकिन जो मिला, शिद्दत से निभाया'
लेकिन 12वीं में सौ प्रतिशत गणित में नंबर पाने वाले सिवन ने जब पिता से जिद की, वो इंजीनियरनिंग करना चाहते हैं तो पिता ने घर की माली हालत का हवाला देते हुए मना कर दिया लेकिन धुन के पक्के सिवन ने हार नहीं मानी और अनशन किया, बेटे की जिद के आगे पिता ने हां कर दी और इंजीनियरिंग करने के लिए चेन्नई भेज दिया, बेटे की पढ़ाई के लिए उन्हें खेत बेचने पड़े। सिवन ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीई किया। सिवन की रुचि सैटेलाइट बनाने में थी, लेकिन काम मिला रॉकेट बनाने का। वे कहते हैं कि मैंने जो चाहा, वो कभी नहीं मिला, पर जो मिला, पूरी शिद्दत से किया।
'पूरे भारत को के. सिवन पर गर्व है'
और आज नतीजा सामने है, सिवन आज देश का वो चेहरा है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है और आलम ये है कि सरक्कलविलाई गांव, का हर बच्चा आज बड़ा होकर सिवन ही बनना चाहता है, इंडिया टूडे की खबर के मुताबिक आज उनके इस गांव के बच्चों के लिए डॉ. सिवन रोल मॉडल हैं, उनके गांव के लोगों को चंद्रयान 2 मिशन के बारे में नहीं पता लेकिन उन्हें इतना पता है कि सिवन ने कुछ बड़ा जरूर किया है और इसलिए वो हर वक्त अपने इस बेटे की सफलता के लिए ऊपर वाले से दुआ मांगते हैं।
हर बच्चा बनना चाहता है...डॉ. सिवन...
उन्हें नाज है अपने बेटे डॉ. सिवन पर, इस बारे में बात करते हुए उनके परिवार वालों ने कहा कि सिवन ने आज जो भी हासिल किया है, वो उसकी कठिन मेहनत, तपस्या और समर्पण का नतीजा है, उसने हर चीज काफी मेहनत से हासिल की है और इसलिए उसे उसका मोल पता है, आज उसका सरकारी स्कूल, तमाम सुविधाओं वाला हो गया, इसकी वजह सिवन ही है, जिसने तरक्की पाने के बाद भी अपनी जड़ों को मजबूत करने की कोशिश की और उस स्कूल को सुधारने की कोशिश की, जहां से उनकी सफलता शुरू हुई और इसी वजह से आज सरक्कलविलाई गांव का हर बच्चा डॉ. सिवन बनना चाहता है।
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