Chandrayaan 2: जानिए कितनी है इसरो चीफ और मिशन लीडर के सिवन की सैलरी
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बेंगलुरु। विक्रम लैंडर का संपर्क इसरो से टूट गया है और शनिवार तड़के जब यह खबर आई तो उसके बाद कई लोग मायूस हो गए। सबसे ज्यादा अफसोस इस मिशन के लीडर और इसरो चीफ के सिवन को हुआ।सिवन ने जनवरी 2018 में इसरो चीफ का जिम्मा संभाला था। इसरो चीफ सिवन जो चंद्रयान-2 के साथ एक नई प्रेरणा बन गए हैं, क्या आप जानते हैं कि उन्हें कितनी सैलरी मिलती है। आइए आज आपको बताते हैं कि इसरो के चीफ सिवन और यहां पर कई मिशन के लिए काम कर रहे बाकी साइंटिस्ट्स की सैलरी कितनी है।
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इसरो चीफ की आईएएस बराबर रैंक
इसरो चीफ के तौर पर के सिवन को हर माह करीब 2.5 लाख रुपए की सैलरी मिलती है। इसरो चीफ को एक आईएएस या आईपीएस वाला ओहदा हासिल होता है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो पिछले कई दशकों से देश का गौरव बना हुआ है। दुनिया भर में इसकी एक अलग ही प्रतिष्ठा है।चेयरमैन से अलग इसरो के बाकी वैज्ञानिकों को करीब 55,000 से लेकर 90,000 तक की सैलरी मिलती है। इसके अलावा उनके काम के घंटे भले ही सुबह नौ बजे से लेकर शात पांच बजे तो हों लेकिन इतने समय में उन्हें कई चुनौतीपूर्ण मिशन का खाका तैयार करना होता है।
कई जिम्मेदारियों को पूरा करते सिवन
इसरो चेयरमैन के सिवन पर संगठन को लेकर कई अहम जिम्मेदारियां हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि हर विभाग में काम-काज सही तरह से चलता रहे। स्पेस कमीशन की नीतियों को लागू करने के अलावा वित्तीय और प्राशसनिक जिम्मेदारियों को भी पूरा करना सिवन का ही काम है। सरकार की ओर से तय बजट में हर प्रोजेक्ट को पूरा करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
हर जानकारी का रिकॉर्ड
हर मिशन को समय पर पूरा करना और तय सुरक्षा मानकों के साथ इसे आगे बढ़ाने के उपायों के बारे में तय करना भी इसरो चीफ की जिम्मेदारियों का ही हिस्सा है। देश की सुरक्षा से जुड़े हर राज को सुरक्षित रखना इसरो चीफ की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्हें इसके अलावा उन माध्यमों को तलाशना होता है जिसके जरिए देश रिसर्च और आविष्कार के क्षेत्र में मजबूत बन सके। अपने कार्यकाल में हर अहम जानकारी का रिकॉर्ड सुरक्षित रखना भी उनकी जिम्मेदारियों का हिस्सा है।
जनवरी 2018 में बने चीफ
सिर्फ इसरो चीफ ही किसी सैटेलाइट लॉन्च के समय हर बड़े और संवेदनशील फैसले का ऐलान कर सकता है। सिवन ने जनवरी 2018 में इसरो चीफ का जिम्मा संभाला था। सिवन 104 सैटेलाइट को एक साथ अंतरिक्ष में भेजने में भी इसरो की मदद कर चुके हैं। इसरो चीफ मानते हैं कि असफलताओं के बाद भी आप एक सकारात्मक सोच के साथ चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।