Chandrayaan-2: लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू, इसरो के मून मिशन के बारे में जानिए सबकुछ
नई दिल्ली- भारत के दूसरे मानवरहित चंद्र अभियान (लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन) की लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू है। कुछ ही घंटों बाद भारत के इस 'बाहुबली' चंद्र अभियान की लॉन्चिंग हो जाएगी। चंद्रयान-2 मिशन मुख्यतौर पर चंद्रमा के साउथ पोलर रीजन में पानी की खोज, चांद की बनावट, उसके गुना-गणित से धरती के इतिहास को टटोलने का अभियान है। इसरो के इस महत्वाकांक्षी मिशन को स्पेस टेक्नॉलोजी की गहराइयों में खोज और उसके लिए नए-नए समाधानों की तलाश करना है। चंद्रयान-1 के बाद यह भारत का दूसरा मून मिशन है। ऐसे में इस अभियान से जुड़े बेहद अहम जानकारियों को यहां आप तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
चंद्रयान-2: लॉन्चिंग की तारीख और समय
चंद्रयान-2 को 15 जुलाई (सोमवार) तड़के 2.51 बजे आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर (एसडीएससी) स्पेसपोर्ट से लॉन्च किया जाएगा। इसे जीएसएलवी मार्क-3 से धरती से रवाना किया जाएगा।
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग कैसे देखेंगे?
अब श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस सेंटर की गैलरी से चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग देखने के रजिस्ट्रेशन का समय खत्म हो चुका है। इसलिए आप टीवी या इंटरनेट के माध्यम से लाइव स्ट्रीमिंग देख सकेंगे। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को इसरो के आधिकारिक ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर भी लाइव देखा जा सकेगा। दूरदर्शन और दूरदर्शन के यूट्यूब पेज पर भी इसका सीधा प्रसारण देखा जा सकता है।
चंद्रयान-2 से जुड़े अहम तथ्य
2008 में चंद्रयान-2 मिशन को मंजूरी दी गई थी और लैंडिंग मिशन के लिए टेस्ट की शुरुआत 2016 में की गई। इस साल मार्च में इसरो ने ऐलान किया कि चंद्रयान-2 को जुलाई में लॉन्च करने के लिए मॉड्यूल्स तैयार किया जा रहा है। आपको यह जानकर बेहद खुशी होगी कि चंद्रयान-2 मिशन पर जो लागत आ रही है, वह दूसरे स्पेस एजेंसियों के ऐसे ही मिशन पर आने वाले खर्चों के मुकाबले बहुत ही कम है। मसलन चंद्रयान-2 मिशन पर भारत को करीब 978 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। जबकि, चीन ने अपने चेंज-4 मिशन पर लगभग 6 गुना ज्यादा यानी 5,759 करोड़ रुपये खर्च किया था। माना जा रहा है कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा भी चंद्रयान-2 मिशन का परोक्ष तौर पर अपने प्रयोगों के लिए भी इस्तेमाल करेगा।
चंद्रयान-2 मिशन में एक ऑर्बिटर, विक्रम नाम का एक लैंडर और प्रग्यान नाम का एक रोवर शामिल है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रयान-1 के काम को आगे बढ़ाना और पृथ्वी के नैचुरल सैटेलाइट चांद की सतह की स्टडी करना है। चांद पर जाने वाला चंद्रयान-2 दुनिया का पहला मून मिशन है, जो उसके साउथ पोलर रीजन में सौफ्ट लैंडिग करेगा। सबसे बड़ी बात ये है कि भारत का ये पहला स्पेस प्रोजेक्ट है, जिसे स्वदेश में विकसित तकनीक से चांद की सतह पर उतरना है। चंद्रयान-2 के चांद की सतह पर उतरते ही भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा, जिसमें अभी तक अमेरिका, रूस, चीन और जापान शामिल हैं। यह मिशन चांद की टोपोग्राफी, उसपर मौजूद खनिजों की पहचान और उनका वितरण, उसकी मिट्टी की थर्मो-फिजिकल विशेषताओं, सतह की रासायनिक संरचना और उसके वायुमंडल की संरचना का अध्ययन करेगा।
चंद्रयान-2 से जुड़ी कुछ और रोचक जानकारियां
उम्मीद है कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम 6 सितंबर को यानी करीब 52 दिन बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। आशा है कि इस मिशन में शामिल ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। जबकि, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान एक लूनर डे यानी की धरती के 14 दिनों तक मिशन का काम करेगा। चांद की सतह के मैपिंग के लिए ऑर्बिटर में 8 साइंटिफिक पेलोड लगाए गए हैं और वो चंद्रमा के बाहरी वायुमंडल की स्टडी करेगा। जबकि लैंडर विक्रम के साथ तीन साइंटिफिक पेलोड हैं, जो सतह और उसके थोड़े भीतर की वैज्ञानिक अध्ययन करेगा। ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलो है, जो 1,000 वॉट तक बिजली पैदा कर सकता है। वहीं लैंडर विक्रम का वजन 1,471 किलो है और यह भी 650 वॉट तक बिजली पैदा कर सकता है। इसी तरह 6 पहिये वाले प्रज्ञान रोवर का वजन 27 किलो है और यह भी 50 वॉट बिजली पैदा कर सकता है। यह 500 मीटर तक चल सकता है और इसके लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकता है।
जीएसएलवी मार्क-3
चंद्रयान-2 को चांद पर भेजने जा रहे जीएसएलवी मार्क-3 भारत का अबतक का सबसे ताकतवर लॉन्चर है और इसकी क्षमता 4 टन तक के सैटेलाइट्स को जियोसिनक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में भेजने की है। थ्री-स्टेज लॉन्चर में एस 200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर्स, एल 110 लिक्विड स्टेज और सी 25 अपर स्टेज शामिल हैं।