Chandrayaan 2: भाभा अटॉमिक रीसर्च सेंटर भी कर रहा है ISRO की मदद, जानिए कैसे?
नई दिल्ली। चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम से अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है, हालांकि इसरो पूरी कोशिश में लगा हुआ है कि वो 21 सितंबर तक हर हालत में उससे संपर्क कर ले, उसकी मदद अब नासा भी कर रहा हो तो वहीं ट्रॉम्बे स्थित भाभा अटॉमिक रीसर्च सेंटर (BARC) भी रात-दिन लैंडर विक्रम से संपर्क करने में जुटा है।
भाभा अटॉमिक रीसर्च सेंटर भी कर रहा है ISRO की मदद
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक BARC और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Ecil) ने संयुक्त रूप से 32 मीटर के डायमीटर वाला एक ऐंटेना बनाया है, मालूम हो कि Ecil परमाणु ऊर्जा विभाग और बेंगलुरु के पास बायलालू में इंडिया डीप स्पेस नेटवर्क का हिस्सा है। खबर के मुताबिक ये ऐंटेना भारत के पहले लूनर मिशन चंद्रयान 1 और मंगल ऑर्बिटर मिशन का भी हिस्सा रहा है, ये टू-वे संचार में मदद कर सकता है।
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इसरो ने किया रात-दिन एक
फिलहाल अभी तक सफलता तो नहीं मिली है लेकिन भाभा उम्मीद है कि उसकी कोशिशें कामयाब होंगी।आपको बता दें कि इसरो को पूरी उम्मीद है कि वो लूनर डे खत्म होने से पहले ही लैंडर विक्रम से संपर्क साध लेगा।
अंतिम मिनट में टूटा था संपर्क
आपको बता दें कि बीते 7 सितंबर को जिस दिन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग होने वाली थी लेकिन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर ने 2.1 किमी की ऊंचाई पर अपने तय मार्ग से दिशा बदली और 335 मीटर की ऊंचाई पर आते-आते उसका ग्राउंड स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया और वो खो गया था, लेकिन बाद में उसकी लोकेशन का पता लगा लिया गया।
नासा
इससे पहले नासा की जेट प्रॉपलशन लैबोरेट्री (NASA/JPL) ने लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी भेजी है, नासा ये काम डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) के जरिए कर रहा है, अमेरिका के एक एस्ट्रॉनॉट स्कॉट टिले ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि नासा ने कैलिफोर्निया स्थित DSN स्टेशन से लैंडर विक्रम को रेडिफ्रीक्वेंसी भेजी हैं, उन्होंने सिग्नल को रिकॉर्ड कर ट्वीटर पर भी साझा किया है।
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