एक ही दिन में अपने बयान से पलटे चंद्रकांत पाटिल, बोले- राजनीतिक नहीं थी संजय राउत और देवेंद्र फडणवीस की बैठक
नई दिल्ली। शिवसेना सांसद संजय राउत और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच हाल ही में हुई मुलाकात के बाद महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। हालांकि इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने इसे राजनीतिक न बताकर सामना के लिए एक इंटरव्यू बताया। देवेंद्र फडणवीस के साथ मुलाकात पर संजय राउत ने कहा, 'अगर दो राजनेता मिलते हैं तो केवल राजनीति पर ही बात नहीं करते। वे देश के मुद्दों, कृषि बिल, जम्मू-कश्मीर, चीन, पाकिस्तान और कोविड पर भी बात कर सकते हैं।' वहीं देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'बैठक शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के लिए एक साक्षात्कार से जुड़ी थी।' बता दें कि संजय राउत मराठी दैनिक सामना के कार्यकारी संपादक भी हैं।
चंद्रकांत
पाटिल
ने
पहले
दिया
था
ये
बयान
इस
बीच
महाराष्ट्र
भाजपा
के
प्रमुख
चंद्रकांत
पाटिल
ने
मंगलवार
को
स्वीकार
किया
कि
तीन
दिन
पहले
शहर
के
एक
होटल
में
पूर्व
सीएम
देवेंद्र
फडणवीस
और
शिवसेना
सांसद
संजय
राउत
के
बीच
हुई
बातचीत
वास्तव
में
'राजनीतिक'
थी।
उन्होंने
कहा,
इस
बैठक
में
उन्होंने
चाय
बिस्किट
पर
तो
चर्चा
तो
की
नहीं
होगी,
लेकिन
यह
बैठक
अनिर्णायक
थी।
राज्य
में
स्थिति
गंभीर
है,
तीनों
दल
मिलकर
सरकार
नहीं
चला
सकते।
मेरा
मानना
है
कि
यह
फिर
से
चुनाव
का
समय
है।
बयान
से
पलटे
चंद्रकांत
पाटिल
हालांकि
इस
बयान
के
बाद
महाराष्ट्र
भाजपा
के
प्रमुख
चंद्रकांत
पाटिल
ने
एएनआई
से
बातचीत
में
अपने
कुछ
घंटों
पहले
दिए
बयान
पर
सफाई
देते
नजर
आए।
उन्होंने
कहा,
मैंने
यह
कहा
कि
संजय
राउत
ने
देवेंद्र
फडणवीस
से
सामना
में
एक
साक्षात्कार
के
लिए
कहा
था
और
यह
भी
कहा
था
कि
वे
इससे
पहले
एक
बार
साथ
बैठेंगे,
ताकि
सवाल-जवाब
को
देख
सकें।
दोनों
के
बीच
हुई
बैठक
में
कोई
राजनीतिक
चर्चा
नहीं
हुई
क्योंकि
मीटिंग
का
उद्देश्य
राजनीतिक
कभी
नहीं
था।
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कांग्रेस,
शिवसेना,
राकांपा
एक
साथ
नहीं
रह
सकते
चंद्रकांत
पाटिल
ने
आगे
कहा,
इसलिए
पार्टी
के
राज्य
प्रमुख
के
रूप
में,
मैं
स्पष्ट
करना
चाहूंगा
कि
शिवसेना,
एनसीपी
या
कांग्रेस
के
साथ
सरकार
बनाने
का
कोई
प्रस्ताव
नहीं
है।
हम
एक
सक्रिय
विपक्ष
की
भूमिका
निभा
रहे
हैं।
हम
तीनों
के
साथ
सरकार
नहीं
बना
सकते,
लेकिन
वे
(कांग्रेस,
शिवसेना,
राकांपा)
तीनों
एक
साथ
नहीं
रह
सकते।
चाहे
वह
फार्म
बिल
हो
या
कोई
अन्य
मामला,
वे
आपस
में
लड़ेंगे
और
टूटेंगे।
फिर
आगे
क्या
होगा?
मध्यावधि
चुनाव।