इसलिए सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाएगी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की चुनौती!
बेंगलुरू। महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी सरकार गठन की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने संविधान का उल्लंघन करके महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी गठबंधन सरकार को शपथ दिलाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को छुट्टी के बावजूद मामले की सुनवाई की, लेकिन कोई फैसला सुनाने के बजाय सुनवाई को सोमवार टाल दिया, क्योंकि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के जो तकनीकी पक्ष सामने आए हैं, उससे कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के होश उड़ गए हैं, क्योंकि इसका इस्तेमाल विरले ही राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए ही किया गया है।
दरअसल, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए भारत सरकार कार्य संचालन नियम 12 का इस्तेमाल किया गया है। संविंधान में यह विशेषाधिकार प्रधानमंत्री को मिला हुआ है और इसी विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार सुबह राष्ट्रपति को महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसलिए माना जा रहा है कि कांग्रेस, एनसीपी और कांग्रेस की चुनौती सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक 23 नवंबर की सुबह महाराष्ट्र में बीजेपी एनसीपी (अजीत पवार) सरकार गठन और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को हटाने के लिए कोई केंद्र द्वारा कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई थी, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत सरकार कार्य संचालन नियम 12 में प्रावधानित विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति को किया था, जो प्रधानमंत्री को विशेष परिस्थितियों में इस्तेमाल के लिए संविधान द्वारा प्रदत्त है। इस विशेषाधिकार के इस्तेमाल के लिए प्रधानमंत्री के लिए कैबिनेट मीटिंग बुलाना भी जरूरी नहीं है।
गौरतलब है दूसरी अनुसूची के अंतर्गत भारत सरकार नियम 7 के मुताबिक केंद्र सरकार को सत्ता हस्तांतरण और आपातलकाल लगाने जैसे निर्णयों के लिए कैबिनेट का अनुमोदन जरूरी होता है। हालांकि भारत सरकार कार्य संचालन नियम 12 के लिए यह जरूरी नहीं है, जोप्रधानमंत्री को यह अधिकार देता है कि वह बिना कैबिनेट अनुमोदन के सत्ता हस्तांतरण के लिए राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति को कर सकता है।
हालांकि संविधान में प्रधानमंत्री को मिला यह विशेषाधिकार गंभीर परिस्थितियों के लिए है। प्रधानमंत्री ने इसी नियम का फायदा उठाते हुए महाराष्ट्र में शनिवार सुबह अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की, जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री और अजीत पवार को डिप्टी सीएम की शपथ दिलवाई गई।
गौरतलब है शनिवार सुबह 7 बजे देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजीत पवार ने क्रमशः मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की शपथ लेकर पूरे में सुर्खियों में आ गए थे जबकि एक दिन पूर्व यानी शुक्रवार को एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन अगले दिन राज्यपाल से मिलकर सरकार गठन की पेशकश करने वाले थे।
शनिवार की सुबह की अखबारों में भी महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन सरकार के गठन वाली सरकार बनने और महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे नाम शीर्षक में लिखा था, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में तेजी बदले घटनाक्रम ने एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना को ही नहीं, मीडिया को भी झुठला दिया था।
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राष्ट्रपति शासन (आर्टिकल 356) लगाने की शर्तें
- राज्य की विधानसभा अपना मुख्यमंत्री नहीं चुन पाती
- गठबंधन का ढह जाना
- एसेंबली में बहुमत का न होना
- किन्हीं अपरिहार्य कारणों से चुनाव का न हो पाना
- 90 के दशक तक ऐसा अक्सर देखा जाता था कि केन्द्र की सरकारें राज्यपाल की मदद से ऐसी परिस्थितियां पैदा कर देती थीं। हालांकि वर्ष 1994 में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद इसका अनुचित इस्तेमाल कम हो गया।
नियम-12 का इस्तेमाल कर हटाया गया राष्ट्रपति शासन
अनुच्छेद 356 के तहत महाराष्ट्र में लगाए गए राष्ट्रपति शासन को प्रधानमंत्री मोदी ने भारत सरकार कार्य संचालन नियम 12 के तहत विशेषाधिकार को इस्तेमाल करते हुए हुए हटाया। मात्र प्रधानमंत्री के भेजे नोट के आधार राष्ट्रपति राष्ट्रपति शासन को खत्म कर सकता है। हालांकि इससे आमतौर पर नहीं अपनाया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ भी कानून-विरुद्ध नहीं हैं।
बिना कैबिनेट मंजरी के राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश कर सकता है पीएम
प्रधानमंत्री किसी भी मामले में या मामलों की श्रेणियों में, अपनी समझ से आवश्यक सीमा तक इन नियमों से विचलन की अनुमति या सहमति दे सकता है.' पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में शासन की कार्यकारी शाखा के प्रमुख के रूप में अपने मंत्रिमंडल से सलाह-मशविरे के बगैर आपातकालीन अधिकार हासिल करने के लिए इसी प्रावधान का सहारा लिया था.
तात्कालिता के लिए होता है नियम 12 का इस्तेमाल
भारतीय संविधान के 44 वें संशोधन ने राष्ट्रपति को आपातकाल घोषित करते समय मंत्रिमंडल की सहायता और सलाह लेना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन भारत सरकार कार्य संचालन नियम-12 को तब भी लागू किया जा सकता है, जब राष्ट्रपति को इसके लायक तात्कालिकता दिखती हो और बाद में वह इसे मंत्रिमंडल से अनुमोदित करा सकता है।