वित्त मंत्री के नए पैकेज ऐलान पर चितंबरम का तंज, बोले- सरकारी कर्मचारियों के लिए मां-बाप बनना चाह रही है सरकार
नई दिल्ली। सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को 12 हजार करोड़ रुपए के ब्याज मुक्त कर्ज देने सहित कई बड़े ऐलान किए थे। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इन घोषणाओं को 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया' करार दिया। पी चिदंबरम ने कहा है कि सरकार ने अपने 20 लाख करोड़ रुपये के 'तथाकथित आर्थिक पैकेज' की विफलता को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने यह दावा भी किया कि निर्मला सीतारमण की घोषणाएं कोई प्रोत्साहन पैकेज नहीं, बल्कि आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हुए लोगों को चौंकाने एवं तसल्ली देने की कोशिश भर है।
चिदंबरम के मुताबिक, सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को 10 हजार रुपये की अग्रिम राशि देने की घोषणा की है जो कोई अतिरिक्त खर्च नहीं है। इसे 10 मासिक किस्तों में वसूल लिया जाएगा। यह एक तरह की ईएमआई है। उन्होंने कहा, '' राज्यों को जिस 12 हजार करोड़ रुपये को देने की पेशकश की गई वो अनुदान नहीं, बल्कि कर्ज है। सभी बड़े राज्यों को 7500 करोड़ रुपये मिलेंगे जो मौजूदा वित्त वर्ष में उनके कुल पूंजीगत खर्च नौ लाख करोड़ रुपये की तुलना में कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं 'डिमांड इन्फ्यूज़न' जैसे वाक्यांश के इस्तेमाल से हैरान हूँ। मुझे आश्चर्य हो रहा है कि क्या इस तरह का कोई वाक्यांश भी है। सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए माँ-बाप की भूमिका निभाने की कोशिश कर रही है और उन्हें यह निर्देशित कर रही है कि उन्हें अपना कितना पैसा, किस सामान पर और कब खर्च करना चाहिए। यह वैसे ही है, जैसे भाजपा लोगों को बताती आई है कि उन्हें क्या खाना चाहिए, क्या पहनना चाहिए, कौन सी भाषा बोलनी चाहिए, किसे प्यार करना चाहिए और किससे शादी करना चाहिए आदि-आदि। अब सरकार लोगों द्वारा खर्च करने की रुचियों पर भी नियंत्रण करना चाहती है। यह लोगों के जीवन में नकारात्मक हस्तक्षेप करने का एक और प्रयास है।
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