अब आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा ड्राइविंग लाइसेंस, सरकार तैयार कर रही है सॉफ्टवेयर
नई दिल्ली। केंद्र सरकार अब तैयारी में है कि ड्राइविंग लाइसेंस को भी आधार कार्ड से जोड़ा जाए। इस आशय की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को कल केंद्र सरकार की ओर से दी गई। न्यायाधीश मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ को यह जानकारी कोर्ट की ओर से सड़क सुरक्षा पर पूर्व न्यायाधीश केएस राधाकृष्णन की अगुवाई वाली कमेटी ने दी है। केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दी गई जानकारी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई पांच जजों की संवैधानिक पीठ आधार से जुड़े कानून की वैधता पर सुनवाई कर रही है। कमेटी ने दाखिल की गई रिपोर्ट में कहा है कि कुछ मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बीते साल 28 नवंबर को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के संयुक्त सचिव से मीटिंग की थी। इसमें फर्जी लाइसेंसों की खरीद और इसे खत्म करने का उपाय भी शामिल था।
Nic 'सारथी -4' तैयार कर रही
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'फर्जी लाइसेंस के मुद्दे पर, संयुक्त सचिव, MoRTH ने बताया कि NIC (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) अब 'सारथी -4' तैयार कर रही है जिसके तहत सभी लाइसेंसों को आधार से जोड़ा जाएगा।' यह सॉफ्टवेयर वास्तविक समय के आधार पर सभी राज्यों को कवर करेगा और किसी भी देश में कहीं भी नकली या नकली लाइसेंस हासिल करना संभव नहीं होगा।
संबंधित अधिकारियों के साथ होगी बैठक
कमेटी की ओर से अदालत में अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन पर चर्चा करने के लिए 22 से 23 फरवरी को संबंधित मंत्रालय और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। मंत्रालय की ओर से पस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ से कहा कि भारत की सड़क दुर्घटनाओं में 2016 की तुलना में 2017 तक गिरावट आई है।
मौतों और घायलों की संख्या कमी दर्ज की गई
पीठ ने कहा कि यह 'जान कर बेहद खुशी' हुई कि सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों और घायलों की संख्या कमी दर्ज की गई है। अपनी रिपोर्ट में, समिति ने कहा कि उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पूरे 2017 के लिए सड़क दुर्घटना के आंकड़े को भेजने के लिए कहा था। समिति को सभी राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में से अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और दमन और दीव को छोड़कर बाकी सभी का डेटा प्राप्त मिल गया है, जो यह दर्शाता है कि राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के आंकड़ों के अनुसार 2016 की तुलना में 4,558 मौतें (यानी 3.0 प्रतिशत ) और 2017 में 24,023 के घायल होने (यानी 5.0 प्रतिशत) के मामले सामने आए हैं।