युद्ध जैसी स्थिति में विमानों की इमरजेंसी लैंडिग के लिए सरकार बनाएगी 29 एयर स्ट्रिप
नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश के प्रमुख नेशनल हाइवे पर लड़ाकू विमानों की इमरजेंसी लैंडिग के लिए 29 हवाई पट्टी (एयर स्ट्रिप) बनाने जा रही है। सरकार द्वारा प्रस्तावित ये हवाई पट्टी देश उन राज्यों में बनाई जाएंगी जिनसे जिनकी सीमा अन्य देशों से लगती है। हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इन राज्यों में जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, मणिपुर, पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इनमें से तीन हवाई पट्टियां उन राज्यों में बनाए जाएंगी जो नक्सल प्रभावित हैं। इनमे उड़ीसा, झारखंड और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इसके अलावा दक्षिणी राज्यों में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश का नाम शामिल किया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 2016 में रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायु सेना (IAF) के साथ एक अंतर-मंत्रिस्तरीय संयुक्त समिति के गठन की घोषणा की थी। जो इन स्ट्रिप्स को स्थापित करने पर काम करेगी। इसके लिए IAF और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को साइट सर्वेक्षण और निरीक्षण का काम सौंपा गया है।
इस काम को पूरा करने के लिए आठ महीने का समय निर्धारित किया गया
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने 7 जनवरी को लोकसभा में बताया कि, इस काम को पूरा करने के लिए आठ महीने का समय निर्धारित किया गया है। नवंबर में मंडाविया ने घोषणा की थी कि, केंद्र ने राज्यों की उन 13 सड़कों की पहचान की है जहां आपातकालीन लैंडिंग हो सकती है। इन सड़कों में ग्यारह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधीन हैं, जबकि अन्य दो राज्य के अधीन हैं।
तीन एयर स्ट्रिप के लिए लगी बोली
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, फिलहाल उत्तर प्रदेश में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर केवल एक ही पट्टी चालू है। भारतीय वायुसेना द्वारा प्रस्तावित 29 खंडों में से, तीन राजमार्गों पर एयर स्ट्रिप के लिए बोली शुरू हो गई है। पहली स्ट्रिप जम्मू कश्मीर के बिजबेहरा और चिनार बाग के बीच बनेगी, दूसरी पश्चिम बंगाल के खड़गपुर और ओडिशा के क्योंझर के बीच बनेगी। जिसकी अनुमानित लागात 97.51 करोड़ है। जबकि तीसरी आंध्र प्रदेश की नेल्लोर और ओंगोल के बीच बनेगी। जिसकी अनुमानित लागात 79.84 करोड़ रखी गई है। बता दें कि, परिवहन मंत्रालय ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में चार प्रस्तावित परियोजनाओं को गैर-व्यवहार्य माना गया है। जबकि पांच परियोजनाएं जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में वन्यजीव और भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुद्दों के कारण देरी का सामना कर रही हैं। परिवहन मंत्रालय के अनुसार, इन परियोजनाओं में से दो जम्मू और कश्मीर और पश्चिम बंगाल को स्थानीय एयरफोर्स इकाइयों के साथ चर्चा के बाद रोक कर रखा गया है।
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पाकिस्तान ने भी बनाई एयर स्ट्रिप
आपातकालीन लैंडिंग स्ट्रिप्स के लिए मानक डिजाइन में चार विमान के लिए पार्किंग स्लॉट, एक हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) टॉवर और पट्टी के दोनों छोर पर दो गेट शामिल हैं। जर्मनी, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, ताइवान, फ़िनलैंड, स्विटज़रलैंड, पोलैंड, सिंगापुर, चेकोस्लोवाकिया जैसे कई देशों, यहां तक कि पाकिस्तान ने अपने राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर आपात स्थिति में या युद्ध के दौरान विमानों के उतरने की सुविधा कर रखी है। 2015 में, IAF ने यमुना एक्सप्रेसवे पर पहली बार ऐसी लैंडिंग का परीक्षण किया था। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के विस्तार के बाद 2016 में पहली बार छह लड़ाकू विमानों की लैंडिंग करायी गई थी।
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