जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट बहाल करने का केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में किया विरोध, कहा- गलत इस्तेमाल होगा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। केंद्र ने तर्क दिया है कि 4जी नेट का इस्तेमाल लोगों को भड़काने और सुरक्षाबलों को फंसाने के लिए किया जा सकता है। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने भी कुछ ऐसा ही तर्क सुप्रीम कोर्ट में 4जी नेट की बहाली के खिलाफ दिया है। सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा शुरू करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रफेशनल्स ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा बहाली की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि केंद्रशासित प्रदेश में तुरंत 4जी नेट बहाल किया जाए जो कि बीते साल 5 अगस्त से बंद है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कोरोना महामारी के चलते नेट से ही लोग एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं लेकिन कश्मीर में ना तो छात्र वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पढाई नहीं कर पा रहे हैं और ना डॉक्टर मरीजों को नहीं देख पा रहे हैं। आरोग्य सेतु भी 2G स्पीड से डाउनलोड नहीं हो सकता।
इंटरनेट स्पीड बढ़ाने की मांग वाली इस याचिका का विरोध करते हुए केंद्र ने कहा कि इससे आंतकी गतिविधियां बढ़ेंगी। हिंदवाड़ा की घटना का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और ये नीतिगत मामला है, जिसमें अदालत को दखल नहीं देना चाहिए।
इस पर सोमवार को सुनवाई के बाद जस्टिन रमन्ना ने कहा, हम सभी मुद्दों पर विचार कर रहे हैं। हमें इस मामले में किसी भी अतिरिक्त सामग्री की आवश्यकता नहीं है। वो मामले के सारे पहलुओं पर विचार करेगा।
मामले पर इससे पहले शुक्रवार को सुनवाई हुई थी। जिसमें जम्मू कश्मीर प्रशासन ने हलफनामा दायर करके सेवा बहाली का विरोध करते हुए कहा था कि जम्मू कश्मीर के भीतर सक्रिय आतंकी माड्यूल और सीमा पार बैठे उनके आका फर्जी खबरें प्रसारित करके लोगों को भड़का रहे हैं। आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने और भड़काऊ सामग्री, विशेष रूप से फर्जी खबरों तथा फोटो और वीडियो क्लिप के प्रसारण से लोगों को उकसाने के लिए इंटरनेट सेवा के दुरूपयोग की आशंका है जो सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा है।