तो इस तैयारी में जुटे हैं बीजेपी के थिंक टैंक अरुण जेटली
आम बजट नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का पहला प्रमुख नीतिगत दस्तावेज होगा जो अर्थव्यवस्था के लिए दिशा तय करेगा। बजट पूर्व विचार विमर्श के तहत जेटली सामाजिक क्षेत्र से संबंधित समूहों से भी मिलेंगे।
यह भी पढ़ें- मोदी ने बदला गियर
वित्तमंत्री द्वारा बजट से पहले विभिन्न अंशधारकों मसलन उद्योग चैंबरों, ट्रेड यूनियनों, वित्तीय सेवा क्षेत्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ विचार विमर्श करने की परंपरा है। इस तरह की बैठकों में वित्तमंत्री को संबंधित क्षेत्र के बारे में तरह-तरह के सुझाव दिए जाते हैं। जेटली ने 27 मई को वित्तमंत्री का प्रभार संभाला था. उन्हें वित्त मंत्रालय के पांच विभागों के सचिवों द्वारा चीजों के बारे में बताया गया है।
आर्थिक मोर्चे पर वित्तमंत्री को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मसलन मूल्यवृद्धि, नरम वृद्धि व वित्तीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ने की जरूरत है। वित्तमंत्री को प्रमुख रूप से सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। सरकार के खर्च में सब्सिडी का एक बड़ा हिस्सा रहता है।
कार्यभार संभालने के बाद जेटली ने कहा था कि वह एक चुनौतीपूर्ण समय में मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि आर्थिक स्थिति कितनी खराब है, जेटली ने कहा था, ‘काफी बिलों का भुगतान होना है।'
बीते वित्तवर्ष की चौथी तिमाही की 80,000 करोड़ रुपये की ईंधन व उर्वरक सब्सिडी का भुगतान चालू वित्तवर्ष में किया जाना है। इन्हीं तैयारियों के बीच जेटली ने विचार-विमर्श की तैयारी पूरी कर ली है। वे जल्द ही प्रतिनिधियों से मिलकर बजट की नीतियों पर गहन चर्चा करेंगे।