केंद्र का निर्देश, सामान और लोगों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध न लगाएं राज्य सरकार
नई दिल्ली। कोरोना वायरस खतरे को देखते हुए कई राज्यों में अभी भी सख्त लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है, हालांकि केंद्र सरकार ने करीब एक महीने पहले ही अनलॉक लागू कर दिया था। दूसरे राज्यों में लॉकडाउन के सख्त पालन से कई लोगों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, कई जरूरी आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस परेशानी को देखते हुए अब केंद्र ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखा है।
Recommended Video
आवागमन पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध न लगाएं
एक पत्र में केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को निर्देश दिया है कि वह अंतरराज्यीय और राज्य के अंदर लोगों और वाहनों के आवागमन पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध न लगाएं। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पत्र में कहा, हमें ऐसी जानकारी मिली है कि कई राज्यों के जिलों और बॉर्डर वाले इलाकों में प्रशासन द्वारा कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। अनलॉक-3 के दिशानर्देशों को याद दिलाते हुए अजय भल्ला ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों क मुख्य सचिवों से कहा कि ऐसे प्रतिबंधों से माल और सेवाओं के अंतरराज्यीय आवागमन में दिक्कतें पैदा होती हैं।
माना जाएगा गाइडलाइन का उल्लंघन
पत्र में यह भी कहा गया है कि ऐसा कोई भी प्रतिबंध गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सीधा उल्लंघन होगा। अजय भल्ला ने कहा कि ऐसे प्रतिबंधों से आर्थिक गतिविधि या रोजगार में अवरोध पैदा होता है। केंद्र द्वारा दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि पड़ोसी देशों के साथ समझौते के तहत में सीमा पार व्यापार के लिए व्यक्तियों या सामान के आवागमन के वास्ते अलग से अनुमति, मंजूरी या ई-परमिट की जरूरत नहीं होगी। अगर ऐसा होता कहीं पाया गया तो इसे आपदा प्रबंधन कानून 2005 के प्रावधानों के तहत गृह मंत्रालय की गाइडलाइन का उल्लंघन माना जाएगा।
देश में जारी है कोरोना का तांडव
बता दें कि देश में कोरोना वायरस का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घंटों में कोरोना के 69,878 नए मरीज सामने आए हैं और 945 लोगों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में अबतक 29,75,702 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, इनमें से 55,794 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 6,97,330 एक्टिव केस हैं और 22,22,578 लोग ठीक हुए हैं।
गांव लौटे मजदूरों को झेलना पड़ रहा है जातिवाद का दंश
भारत ने मार्च में दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन को लागू किया था। जिसके बाद देश के तमाम शहरों में रहने वाले लाखों प्रवासी कामगारों को शहर छोड़कर अपने गांवों का जाना पड़ा था। ग्रामीण इलाकों में, कई लोगों का कहना है कि शहरों से आने के बाद अब उन्हें छोटे आर्थिक और सामाजिक लाभ पर भी जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश के एस्टन गांव में, 33 वर्षीय, राजू बंसकर, कहते हैं कि नीची जाति से आने और नई दिल्ली वापस गांव आने के बाद मुझे दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
यह भी पढ़ें: विधान परिषद में झलका सपा MLA सुनील साजन का दर्द, साझा किया कोरोना के इलाज का कड़वा अनुभव