केंद्र ने पिछले साल ठुकरा दिया था पार्लियामेंट्री कमेटी का प्रस्ताव, ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने का दिया था सुझाव
नई दिल्ली, अप्रैल 25। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते देश आज ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की कमी से जूझ रहा है। इन हालात के बीच एक सवाल जरूर उठ रहा है कि क्या हमारा सिस्टम इस तरह की मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार नहीं था? आपको बता दें कि देश में आज शायद ऐसे हालात नहीं होते, अगर केंद्र सरकार पिछले साल एक पार्लियामेंट्री पैनल के उस सुझाव को मान लेती, जिसमें अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन का प्रोडक्शन बढ़ाने की सलाह दी गई थी।
रामगोपाल यादव थे उस समिति का अध्यक्ष
पीटीआई की खबर के मुताबिक, पिछले साल नवंबर में समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली पार्लियामेंट्री समिति ने संसद में एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि ये कमेटी सरकार को ऑक्सीजन का प्रोडक्शन बढ़ाने का सुझाव देती है ताकि आने वाले समय में अस्पतालों को मांग के हिसाब से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा सके।
आपको बता दें कि जिस वक्त इस रिपोर्ट को संसद में पेश किया गया था, उस समय भी देश कोरोना संकट से जूझ रहा था। कमेटी ने हालांकि कोरोना के खिलाफ सरकार की लड़ाई को सराहा था, लेकिन फिर भी कुछ खामियां समझते हुए कमेटी ने वो रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए सरकारी अस्पतालों में बेड की संख्या और ऑक्सीजन का प्रोडक्शन बढ़ाया जाना चाहिए। पार्लियामेंट्री पैनल ने कहा था कि अस्पताल बेडों और वेंटीलेटर की कमी से महामारी के खिलाफ कंटेनमेंट प्लान कम प्रभावकारी हो जाता है।
कमेटी ने देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता का जिक्र करते हुए कहा था कि देश में कुल उत्पादन लगभग 6,900 मीट्रिक टन प्रतिदिन था, जबकि सितंबर के मध्य में ऑक्सीजन की खपत 3000 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो रही थी। पिछले साल 16 अक्टूबर को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव ने समिति को सूचित किया था कि कोविड के आने से पहले सामान्य दिनों में ऑक्सीजन की खपत 1000 मीट्रिक टन प्रति दिन थी और बाकि बची हुई ऑक्सीजन इंडस्ट्री सेक्टर को दे दी जाती थी।
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