J&K: राज्यपाल शासन में निकाय चुनाव कराने की तैयारी में केंद्र सरकार
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में जून माह में पीडीपी-भाजपा के गठबंधन की सरकार गिरने के बाद केंद्र घाटी शहरी निकाय और पंचायत चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश में अभी भी राज्यपाल शासन है। आपको बता दें कि पीडीपी और भाजपा के बीच गठबंधन टूटने से पहले घाटी में निकाय और पंचायत चुनाव जनवरी माह में होने थे, लेकिन केंद्र सरकार ने प्रदेश में चुनाव के लिए सही स्थिति नहीं होने का हवाला देते हुए इसे कराने से इनकार कर दिया था।
2011 में हुए थे चुनाव
गौरतलब है कि पिछली बार प्रदेश में 2011 में निकाय चुनाव हुए थे, इसके बाद आठ साल बीत गए हैं लेकिन यहां अभी तक निकाय या पंचायत चुनाव नहीं कराए गए हैं। जम्मू कश्मीर में अपने दौरे के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसके संकेत दिए थे। उन्होंने घाटी में जमीनी संस्थाओं को मजबूत करने की बात कही थी। राजनाथ सिंह ने कहा था कि घाटी की स्थिति को बेहतर करने के लिए जमीनी संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है। माना जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा के खत्म होते ही प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव की तारीख का ऐलान किया जा सकता है।
केंद्र राज्यपाल शासन में कराना चाहता है चुनाव
इस पूरी योजना के बारे में अवगत एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि ऐसा लगता है कि केंद्र घाटी में चुनाव कराने को लेकर गंभीर है, केंद्र की यह प्राथमिकता है कि प्रदेश में नई सरकार के गठन से पहले इन चुनावों को कराया जाए। केंद्र सरकार चाहती है कि राज्यपाल शासन में ही घाटी में निकाय और पंचायत चुनाव कराए जाएं। आपको बता दें कि घाटी में पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूटने के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा का शासन लग गया था।
रिपोर्ट में में हालात खराब बताए गए थे
इससे पहले फरवरी माह में तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तमाम राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर अभी चुनाव कराए जाते हैं तो घाटी में कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती है। मुख्य रूप से दक्षिण कश्मीर में यह समस्या अधिक हो सकती है। इसके बाद से ही निकाय और पंचायत चुनाव के बारे में किसी भी तरह का आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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लोगों ने रोजमर्रा की मुश्क्लिों से निजात के लिए किया था वोट
आपको बता दें कि पिछली बार जब 2011 में निकाय और पंचायत चुनाव हुए थे तो कुल 4145 सरपंच और 29000 पंचों का चयन हुआ था, जबकि 80 फीसदी मतदान हुआ था। जिन लोगों ने इस चुनाव में हिस्सा लिया था कि वह यह मतदान रोजमर्रा की मुश्किलों से निजात के लिए कर रहे हैं। एक भाजपा विधायक ने बताया कि हमे कहा गया है कि निकाय और पंचायत चुनाव के लिए तैयार रहें। हम इस चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और पूरी ताकत के साथ यह चुनाव लड़ेंगे।
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