नई शिक्षा नीति के मसौदे में हिंदी को शामिल करने पर केंद्र सरकार ने दी सफाई
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में हिंदी को शामिल करने पर उठ रहे विवाद के बाद सफाई दी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय संभाल रहे प्रकाश जावड़ेकर ने सरकार की तरफ से इस पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि सरकार किसी पर भी कोई भाषा नहीं थोपेगी। इससे पहले तमिलनाडु में हिंदी भाषा को शामिल करने पर विरोध शुरू हो गया। विरोध के बाद तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि 2 भाषाओं की नीति का पालन करेंगे और राज्य में सिर्फ़ तमिल और अंग्रेजी ही लागू होगी.
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'ये नीति नहीं है'
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने भी इस पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि स्कूलों में त्रिस्तरीय भाषा प्रणाली के प्रस्ताव पर रिपोर्ट समिति मे मंत्रालय को सौंपी है। ये नीति नहीं है। मसौदे पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगी जाएगी,। ये गलतफहमी है कि यह एक नीति बन गई है। किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी।
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'लोगों की प्रतिक्रिया के बाद करेंगे तय'
नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों मे तीन भाषाओं को पढ़ाने का ड्राफ्ट सौंपा गया है। हमारा किसी भी भाषा को किसी पर थोपने का कोई इरादा नहीं है, हम सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं। यह समिति द्वारा तैयार किया गया एक मसौदा है, जिसे सार्वजनिक प्रतिक्रिया मिलने के बाद सरकार द्वारा तय किया जाएगा।
'तमिलनाडु में हो रहा है विरोध'
तमिलनाडु में इस मसौदे पर विरोध शुरू हो गया है। मक्कल निधि मय्यम प्रमुख कमल हासन ने कहा कि हिन्दी से मेरा विरोध नहीं है, मैंने कई हिन्दी फिल्मों में काम किया है लेकिन हिन्दी को किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल डीएमके के टी. शिवा ने कहा कि तमिलनाडु पर हिन्दी को थोपने की कोशिश को राज्य के लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेगे। अगर ये कोशिश हुई तो हम इसके खिलाफ रहेंगे और इसे रोकने के लिए लड़ेंगे।
डॉ कस्तूरीरंगन की समिति ने सौंपी रिपोर्ट
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यभार संभालने के बाद शुक्रवार को डॉ कस्तूरीरंगन की अगुवाई वाली समिति ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का ड्राफ्ट उनको सौंपा है। कमिटी दो साल से इस ड्राफ्ट पर काम कर रही थी। नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि बच्चों को प्री-प्राइमरी से आठवीं तक मातृभाषा में ही पढ़ाना चाहिए। प्री-स्कूल और पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में भी पढ़ाना चाहिए, जिसमें वह इन्हें बोलना सीखें और इनकी लिपि पहचाने और पढ़ें। तीसरी क्लास तक मातृभाषा में ही लिखें और उसके बाद दो और भारतीय भाषाएं लिखना भी शुरू करें। अगर कोई विदेशी भाषा (अंग्रेजी आदि) भी पढ़ना और लिखना चाहे तो यह इन भारतीय भाषाओं के अलावा चौथी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाए।
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