हाथरस कांड के बाद केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, महिला सुरक्षा को लेकर राज्यों को जारी की एडवाइजरी
हाथरस कांड के बाद एक्टिव मोड में केंद्र सरकार, राज्यों को कड़े शब्दों में दिया ये निर्देश
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के हाथरस गैंगरेप और मर्डर कांड के बाद देशभर में पैदा हुए हालात को देखते हुए महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर आज कड़ा रुख अपनाया है। गृह मंत्रालय ने शनिवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में पुलिस की कार्रवाई को सुनिश्चित करें। केंद्र ने साफ शब्दों में कहा कि महिला अपराध के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में जरा भी आनाकानी न की जाए।
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अपनी एडवाइजरी में केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा कि हर मामले में एफआईआर दर्ज होना अनिवार्य है। इसके अलावा केंद्र नेआईपीसी और सीआरपीसी की धाराओं के प्रावधान को गिनाते हुए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसका पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। गृह मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि महिला अपराध मामले में लापरवाही दिखाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा अगर अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ है तो कानून में 'जीरो एफआईआर' का भी प्रावधान है।
Ministry of Home Affairs issues advisory to States and Union Territories for ensuring mandatory action by police in cases of crime against women. pic.twitter.com/dx1sQmzXLW
— ANI (@ANI) October 10, 2020
गौरतलब है कि हाथरस में हुए गैंगरेप और मर्डर के बाद देशभर में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा विपक्ष ने इस मामले पर केंद्र सरकार को भी आड़े हाथ लिया है। मामले की गंभीरता से समझते हुए अब महिला अपराध के खिलाफ केंद्र ने बड़ा फैसला लेते हुए राज्यों को एडवाइजरी जारी कर दिया है। इसमे कहा गया है कि IPC की धारा 166 A(c) के तहत, एफआईआर दर्ज न करने पर अधिकारी को सजा का प्रावधान है। इसके अलावा गैंगरेप से जुड़े मामलों में गृह मंत्रालय ने एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया है जहां से ऐसे केस की मॉनिटरिंग हो सकती है।
केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिया है कि बलात्कार/यौन शोषण की मामले की सूचना मिलने पर सीआरपीसी के सेक्शन 164-A के अनुसार 24 घंटे के भीतर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा। इसके साथ ही ऐसे मामलों में इंडियन एविडेंस ऐक्ट की धारा 32(1) के अनुसार मृत व्यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्य होगा। साथ ही फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्टोरेट द्वारा बनाई गई रेप मामलों में फोरेंसिंक सबूत इकट्ठा करने, स्टोर करने की गाइडलाइंस का भी पालन किया जाए।
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