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Infantry Day: वॉर मेमोरियल पर CDS, आर्मी चीफ ने दी श्रद्धांजलि, जानिए क्‍यों मनाया जाता है इनफेंट्री डे

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नई दिल्‍ली। भारतीय सेना हर वर्ष 27 अक्‍टूबर को इनफेंट्री डे मनाती है यानी एक दिन उन सैनिकों के नाम जो पैदल सेना का अहम हिस्‍सा हैं। मंगलवार को इस खास मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे ने नेशनल वॉर मेमोरियल जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इनफेंट्री डे का इतिहास और ये क्‍यों मनाया जाता है, जब आप इस बारे में जानने की कोशिश करेंगे तो आपको 26 अक्‍टूबर 1947 के उस दिन की कहानी भी पता चलेगी, जो आजादी के बाद भारतीय सेना की बहादुरी का पहला किस्‍सा है।

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पाकिस्‍तान सेना के मुंह पर तमाचा

सेना के मुताबिक इनफेंट्री डे उसके स्‍वर्णिम इतिहास का पहला अध्‍याय है। पाकिस्‍तान की तरफ से जम्‍मू कश्‍मीर में घुसपैठ कराकर भेजे गए कबायलियों को सेना ने खदेड़ कर इस राज्‍य के अस्तित्‍व की रक्षा की थी। पाकिस्‍तान आर्मी के मुंह पर वह पहला तमाचा था जो सेना की पहली इनफेंट्री बटालियन ने उसे मारा था। 1 सिख इनफेंट्री बटालियन के सैनिक श्रीनगर एयरबेस पर उतरे और फिर बहादुरी के साथ उन्‍होंने घुसपैठियों को घाटी से बाहर किया। उनके साहसिक पराक्रम की वजह से घाटी को पाक घुसपैठियों से आजादी मिल सकी। इस साहसिक और गौरवशाली इतिहास को ही हर वर्ष इनफेंट्री डे के तौर पर मनाया जाता है। इनफेंट्री बटालियन को आज भी 'क्‍वीन' का दर्जा मिला हुआ है। पाकिस्‍तान ने अपनी योजना को अंजाम देने के लिए कबायली पठानों को कश्मीर में घुसपैठ कराई थी। कबायलियों की एक फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को तड़के सुबह हमला बोल दिया।

27 अक्‍टूबर 1947 को मिली विजय

उस समय जम्‍मू कश्‍मीर पर महाराज हरि सिंह का शासन था। महाराजा हरि सिंह ने इस मौके पर भारत की मदद मांगी और भारत ने भी मुंह नहीं मोड़ा। महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर साइन किए और सेना की 1 सिख पहली बटालियन से एक पैदल सेना के दस्ते को हवाई जहाज से दिल्ली से श्रीनगर भेजा गया। इन पैदल सैनिकों के जिम्मे पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आक्रमणकारी कबायलियों से लड़ना और कश्मीर को उनसे मुक्त कराना था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में आक्रमणकारियों के खिलाफ यह पहल सैन्य अभियान था। कबायली घुसपैठियों की संख्‍या करीब 5,000 थी और पाक आर्मी भी उन्‍हें सपोर्ट कर रही थी। लेकिन 27 अक्‍टूबर 1947 को सिखों के आगे पाक घुसपैठिए बेबस हो गए।

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English summary
CDS General Rawat and Army Chief General Narvane pay tribute at National War Memorial on Infantry day.
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