सीबीएसई पेपर लीक: कहां-कहां से हो सकता है परीक्षा का पर्चा आउट
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) का पर्चा लीक होने के बाद दिल्ली पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की है. परीक्षाएँ रद्द किए जाने के बाद हुए हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने इस मामले की जाँच के आदेश दे दिए हैं.
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस मामले में 25 लोगों से पूछताछ की गई है और दो अलग-अलग मामले दर्ज कर लिए गए हैं. पुलिस के मुताबिक़ जिन लोगों से पूछताछ की गई है
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) का पर्चा लीक होने के बाद दिल्ली पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की है. परीक्षाएँ रद्द किए जाने के बाद हुए हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने इस मामले की जाँच के आदेश दे दिए हैं.
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस मामले में 25 लोगों से पूछताछ की गई है और दो अलग-अलग मामले दर्ज कर लिए गए हैं. पुलिस के मुताबिक़ जिन लोगों से पूछताछ की गई है उनमें कुछ छात्र और कोचिंग इंस्टीट्यूट्स में पढ़ाने वाले लोग भी शामिल हैं.
लेकिन सवाल ये उठता है कि पेपर बनने से लेकर छात्रों तक पहुंचने तक सीबीएसई प्रश्न पत्र को कितनी और कैसी सुरक्षा मिलती है? आखिर कहां-कहां से पेपर लीक हो सकता है?
स्कूल तक कैसे पहुंचते हैं प्रश्न पत्र? (दिल्ली के बाल मंदिर सीनियर सेकेंड्री स्कूल की प्रिंसिपल संतोष आहूजा के मुताबिक)
•स्कूल तक प्रश्न पत्र बैंक से लाए जाते हैं.
•बैंक में प्रश्न पत्र सीबीएसई द्वारा पहुंचाए जाते हैं.
•जिस दिन जिस विषय की परीक्षा होती है उस दिन सुबह स्कूल के प्रतिनिधि, बैंक प्रतिनिधि और सीबीएसई के प्रतिनिधि तीनों की मौजूदगी में प्रश्न पत्र को बैंक के लॉकर से निकाला जाता है.
•जिस स्कूल को बोर्ड की परीक्षा का सेंटर बनाया जाता है, बैंक उस स्कूल के काफ़ी क़रीब होते हैं. ऐसे बैंक को कस्टोडियन बैंक कहा जाता है.
•कस्टोडियन बैंक कौन सा होगा, इसका चुनाव भी सीबीएसई ही करती है और इसकी सूचना स्कूल को भेज दी जाती है.
•प्रश्न पत्र बैंक से निकल कर जब स्कूल तक पहुंचते हैं, तो रास्ते में उस गाड़ी में एक सुरक्षा गार्ड, एक सीबीएसई का प्रतिनिधि और एक स्कूल का प्रतिनिधि होता है.
•बोर्ड की परीक्षा शुरू होने से ठीक आधे घंटे पहले स्कूल प्रिंसिपल, बोर्ड के हेड एग्ज़ामिनर और परीक्षा में निगरानी के लिए शामिल होने वाले शिक्षकों की मौजूदगी में प्रश्न पत्र को खोला जाता है.
•इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफ़ी भी की जाती है और तुरंत सीबीएसई को भेजा जाता है.
•हर मौके पर इस बात का खास ख़्याल रखा जाता है कि प्रश्न पत्र की सील खुली न हो.
•फिर क्लास रूम में शिक्षक प्रश्न पत्र बांटने के लिए निकलते हैं और तय समय पर घंटी बजने के बाद हर क्लास में एक साथ एक समय पर प्रश्न पत्र बंटना शुरू होता है.
•हालांकि, ये पूरी प्रक्रिया परीक्षा शुरू होने के दो घंटे पहले शुरू होकर ख़त्म हो जाती है.
जबकि दावा ये किया जा रहा है कि 12वीं का अर्थशास्त्र और 10वीं का गणित का प्रश्न पत्र सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप पर परीक्षा वाले दिन से पहले ही लीक हो गया था.
यानी प्रश्न पत्र सेट होने से बैंक तक पहुंचने के बीच ही सारा खेल हुआ है.
कैसे तैयार होता है प्रश्न पत्र?
•प्रश्न पत्र तैयार करने की प्रक्रिया हर साल जुलाई और अगस्त में शुरू होती है.
•प्रश्न पत्र तैयार करने के लिए सीबीएसई हर साल हर विषय के लिए तीन या चार विशेषज्ञों का चयन करती है. इन विशेषज्ञों में कॉलेज और स्कूल के टीचर्स शामिल होते हैं.
•हर प्रश्नपत्र के तीन सेट बनाए जाते हैं. ये टीचर्स इन प्रश्नपत्रों को एक सील बंद लिफ़ाफ़े में में बोर्ड को भेजते हैं.
•इसके बाद एक उच्च स्तरीय समिति इस बात की जांच करती है कि प्रश्न पत्र बोर्ड के मानकों के अनुसार है या नहीं. इस समिति में विश्वविद्यालय व स्कूल के टीचर्स और प्रिंसिपल शामिल होते हैं.
•ये समिति हर विषय के अलग-अलग सेट को अंतिम रूप से चुनती है और इसके बाद सीबीएसई को सील बंद कॉपियां भेज दी जाती हैं.
•दिल्ली के स्कूलों, दिल्ली के बाहर के स्कूलों और सीबीएसई से मान्यता प्राप्त भारत के बाहर के स्कूलों के लिए प्रश्न पत्र के अलग-अलग तीन सेट बनाये जाते हैं.
•ऐसे तो सभी सेट के सवाल लगभग एक जैसे होते हैं, लेकिन उनका क्रम अलग-अलग होता है. जैसे जहां एक सेट में कोई सवाल पहले नंबर है तो दूसरे सेट में पांचवे नंबर पर हो सकता है. हालांकि, सभी सेट्स एक समान मुश्किल होते हैं.
प्रश्न पत्र तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान इतनी गोपनीयता रखी जाती है कि प्रश्न पत्र तैयार करने वाले विशेषज्ञों को ही नहीं पता होता कि उनका प्रश्न पत्र परीक्षा में इस्तेमाल होने वाला है.
सीबीएसई बोर्ड की गणित और अर्थशास्त्र की परीक्षा दोबारा होने को लेकर केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस की .
उन्होंने कहा, "परीक्षा के आयोजन के मामले में अब तक सीबीएसई पर कोई दाग नहीं लगा है. लेकिन इस एक घटना के बाद वक्त आ गया है जब दुनिया के दूसरे देशों से सबक लें जहां बड़े पैमाने पर लीक प्रूफ परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं."
इस पेपर लीक के बाद परीक्षा व्यवस्था में बदलाव और सिस्टम में सुधार दोंनो की जरूरत महसूस की जा रही है.
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