उन्नाव केस: रेप पीड़िता को अगवा कर 9 दिनों तक 3 लोगों ने किया था बलात्कार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्नाव रेप केस से संबंधित सारे मामलों की दिल्ली की अदालत में सुनवाई हो रही है। वहीं, उन्नाव रेप केस में सीबीआई के बयान के बाद एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सीबीआई ने दिल्ली की अदालत को बताया कि उन्नाव रेप पीड़िता का साल 2017 में कथित तौर पर अपहरण करने के बाद तीन लोगों ने अलग-अलग जगहों पर 9 दिनों तक बलात्कार किया, उस वक्त पीड़िता नाबालिग थी।
सेंगर पर लगे आरोप से अलग है ये मामला
ये मामला बीजेपी से निष्काषित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा 2017 में महिला के कथित बलात्कार के मामले से अलग है। इस मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि बंद कमरे में कोर्ट की कार्यवाही के दौरान जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने गैंगरेप मामले में सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तारीख तय की। चार्जशीट में सीबीआई ने आईपीसी की धाराओं 120बी (आपराधिक साजिश), 363 ( अगवा करना), 366 (अपहरण या महिला को शादी के लिए मजबूर करना), 376-डी (एक से अधिक लोगों द्वारा यौन उत्पीड़न) और बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) की धाराओं तीन और चार के तहत नरेश तिवारी, बृजेश यादव और शुभम सिंह को नामजद आरोपी बनाया है। इन आरोपों के तहत दोषी करार दिए जाने पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।
तीन लोगों ने अलग-अलग जगहों पर किया था बलात्कार
न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए रेप पीड़िता के बयान के हवाले से सीबीआई ने कहा कि 11 जून 2017 को वह रात में पानी लेने घर से बाहर निकली थी, जब सिंह और तिवारी ने तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर उसे कार में बैठा लिया था। आरोपपत्र के मुताबिक, कुछ दूर जाने के बाद सिंह और तिवारी ने कार में उसका कथित रूप से बलात्कार किया। इसमें कहा गया है कि उसे कानपुर जाने के मार्ग में पड़ने वाले एक मकान में ले जाया गया जहां चेहरा ढके दो अज्ञात लोगों ने भी उसके साथ कथित तौर पर रेप किया।
103 गवाहों से पूछताछ करेगी सीबीआई
इसके दो दिन बाद पीड़िता को औरेया जिले में ले जाया गया जहां से पुलिस ने पीड़िता को बरामद किया। जांच में पाया गया कि बलात्कार पीड़िता का 12 जून के बजाय 11 जून को अपहरण किया गया क्योंकि सिंह और तिवारी 11 जून को उस जगह पर नहीं थे। चार्जशीट के मुताबिक, महिला ने तिवारी के दिए किसी भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से इनकार किया है लेकिन जांच में सामने आया है कि उसने फोन का इस्तेमाल किया था। इसमें बताया गया है कि तीन अन्य आरोपियों के बारे में पूछताछ किए जाने पर महिला ने बताया कि उसने वकील मनोज सेंगर के धमकाने के कारण उनका नाम लिया था। सीबीआई ने कहा कि अन्य आरोपियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच जारी है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली ट्रांसफर किया गया है।