सोहराबुद्दीन-तुलसीराम का एनकाउंटर फर्जी था, CBI ने स्पेशल कोर्ट को बताया
नई दिल्ली। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई में स्पेशल सीबीआई कोर्ट को बताया है कि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर की मौत फर्जी मुठभेड़ में हुई थी। साल 2005 में सोहराबुद्दीन राजस्थान और गुजरात पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में मारा गया था जबकि तुलसीराम को साल 2006 में एक मुठभेड़ में मारने का दावा पुलिस ने किया था। सीबीआई ने इन दोनों एनकाउंटर को फर्जी बताया है।
सीबीआई की दलील, फर्जी थी मुठभेड़
सीबीआई का पक्ष रखने वाले वकील बीपी राजू ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.जे. शर्मा के सामने इसके पक्ष में सबूत पेश किए। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के बारे में सीबीआई के वकील बीपी राजू ने उन रिपोर्ट्स की तरफ इशारा किया जिसमें राजस्थान पुलिस ने दावा किया था कि सोहराबुद्दीन गुजरात के किसी बड़े नेता को मारने आ रहा था और उसका लश्कर और आईएसआई से संबंध था। राजू ने कहा कि उस वक्त उदयपुर पुलिस में सब इंस्पेक्टर कुंभ सिंह ने ऐसी किसी सूचना के मिलने से इनकार किया था। जज ने पूछा कि क्यों इस सूचना के सूत्रों के बारे में जांच नहीं की गई।
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राजस्थान पुलिस के दावे को कोर्ट में बताया गलत
बीपी राजू ने कहा कि तुलसीराम प्रजापति के मिर्च पाउडर का इस्तेमाल कर बच निकलने की बात सच नहीं लगती है। उन्होंने कहा कि तुलसीराम के फिंगरप्रिंट पिस्तौल पर भी नहीं पाए गए थे, जिनके बारे में पहले दावा किया गया था। वकील ने कहा कि तुलसीराम एक साल तक जेल में रखा गया, उसके बाद 27 नवंबर, 2006 को वह जेल से फरार हो जाता है और दो दिन बाद 28 नवंबर को मार दिया जाता है। ये कैसे संभव हो सकता है कि भागने के दौरान उसके पास पिस्तौल हो। इस दौरान आरोपियों की तरफ से वकील से अपनी दलीलें पेश कीं।
जज ने सीबीआई को सभी पहलुओं की जांच न करने पर लगाई फटकार
अभियोजन पक्ष ने सवाल किया कि सोहराबुद्दीन के पॉकेट से बरामद किए गए टिकट पर खून के निशान नहीं मिले हैं, जिनके बारे में पुलिस ने दावा किया था। इसको लेकर शक है कि जो टिकट बरामद हुआ था, क्या वाकई सोहराबुद्दीन के पॉकेट में मौजूद था जबकि अन्य बरामद चीजों पर खून के निशान मिले थे। वहीं, जज ने सीबीआई जांच पर भी सवाल उठाया और कहा कि टिकट को लेकर स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि किसने ये प्लान किया था। जज ने सीबीआई को ठीक से जांच न करने को लेकर फटकार भी लगाई। अदालत सीबीआई की चार्जशीट में मौजूद कई कमियों को देखते हुए इसे एक अनसुलझी पहेली करार दे चुकी है। वहीं, गवाहों के मुकरने पर सीबीआई ने कहा है कि अगर जांच में कुछ कमियां रह गई हों तो भी इस आधार पर आरोपी को बरी करने का लाभ नहीं दिया जा सकता है। इस मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।