UPPCL PF Scam: 2200 करोड़ के यूपीपीसीएल पीएफ घोटाले में CBI ने दर्ज की एफआईआर
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश कॉरपोरेशन लिमिटिड (यूपीपीसीएल) के पीएफ घोटाले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एफआईआर दर्ज कर ली है। इस मामले में आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं में सीबीआई ने केस दर्ज किया है। यूपीपीसीएल का पीएफ घोटाला लगभग 2200 करोड़ से अधिक का है। इस मामले में आरोप है कि यूपीपीसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों ने कर्मचारियों के पीएफ के पैसे को डीएचएफएल में निवेश कर दिया था।
सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए केस में यूपी पावर सेक्टर इम्प्लॉय ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता, यूपीपीसीएल के निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी का नाम शामिल है। गुप्ता और द्विवेदी को यूपी पुलिस ने नवंबर, 2019 में गिरफ्तार कर लिया था। इसके पहले तक इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही थी। इस घोटाले में अब तक 17 अफसरों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
सीबीआई ने इस मामले से जुड़े डिटेल ईओडब्ल्यू से मांगे हैं। ईओडब्ल्यू ने यूपीपीसीएल के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा, ट्रस्ट के सचिव पीके गुप्ता और पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूरे मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराने को लेकर केंद्र को पत्र लिखा था। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार को घेरने की कोशिश की थी और विपक्षी दल के नेताओं ने ऊर्जा मंत्री को बर्खास्त करने की भी मांग की थी।
इस मामले में आरोप हैं कि मार्च 2017-दिसंबर 2018 तक यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट और यूपीपीसीएल सीपीएफ (कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड) ट्रस्ट की निधि के कुल 4122.70 करोड़ रुपए नियमों की अनदेखी कर डीएचएफसीएल में फिक्स्ड डिपॉजिट करा दिए गए। मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफएल के भुगतान करने पर रोक लगाने के बाद कर्मचारियों के भविष्य निधि का 2267.90 करोड़ रुपए (मूलधन) फंस गया।
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