EPFO घोटाले में CBI ने शुरू की जांच, कोरोना काल में अंदरूनी मिलीभगत से करोड़ों का खेल
नई दिल्ली, 11 सितम्बर। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के तीन अधिकारियों के खिलाप भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। इन पर पिछले साल मार्ज और जून के बीच 2.71 करोड़ रुपये निकालने का आरोप है। यह वही समय है जब कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन और नौकरी जाने के चलते पेंशन फंड विभाग ने रकम निकालने को लेकर ढील दी थी। ईपीएफओ के सतर्कता विभाग की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था।

एनडीटीवी ने सीबीआई के सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड कांदिवली क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात एक वरिष्ठ सामाजिक सुरक्षा सहायक था। इस मामले में अधिकारी चंदन कुमार सिन्हा को कोयंबटूर व चेन्नई क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात सहायक भविष्य निधि आयुक्त उत्तम टैगारे और विजय जरपे के साथ आरोपित किया गया है।
गुमनाम
व्यक्ति
ने
दी
घोटाले
की
सूचना
इस
घोटाले
का
पता
ईपीएफओ
के
सतर्कता
विभाग
को
तब
चला
जब
उसे
एक
गुमनाम
व्यक्ति
से
इस
बारे
में
गुप्त
सूचना
मिली।
इसके
बाद
विभाग
ने
एक
आंतरिक
ऑडिट
शुरू
किया
जिसमें
पता
चला
कि
अंदरूनी
आदमी
की
मदद
से
सिस्टम
में
हेरफेर
करके
पेंशन
फंड
कॉर्प्स
से
करोड़ों
की
हेराफेरी
की
गई
है।
खुलासा
होने
के
बाद
ईपीएफओ
ने
24
अगस्त
को
सीबीआई
में
शिकायत
दर्ज
कराई।
सूत्रो के मताबिक आरोपी सिस्टम और उसकी खामियों को अच्छी तरह से जानता था और महामारी के दौरान पैसे को निकालने के लिए प्रवासी श्रमिकों के डेटा का इस्तेमाल किया गया।
रैकेट
को
थी
अंदर
की
जानकारी
इस
रैकेट
ने
फर्जीवाड़े
का
जो
तरीका
इस्तेमाल
किया
उसे
जानकर
हैरान
रह
जाएंगे।
इसमें
शामिल
लोगों
ने
प्रवासी
श्रमिकों
और
गरीबों
से
आधार
और
उनके
बैंक
अकाउंट
लिए
गए
जिसके
लिए
उन्हें
मामूली
कमीशन
दिया
गया।
इन
लोगों
को
महामारी
के
दौरान
बंद
की
गई
कंपनी
के
कर्मचारी
के
रूप
में
दिखाया
और
फिर
फर्जी
दावा
करके
दर्ज
राशि
को
निकाल
लिया
गया।
आरोपियों को ये बात अच्छे से पता थी कि 5 लाख के ऊपर की निकासी को दोबारा वेरिफाइ करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के पास भेजा जाएगा इसलिए इन लोगों ने 2 से 3.5 लाख रुपये की रकम के लिए क्लेम किया और नकदी आहरित की।
सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार "मुंबई स्थित मेसर्स बी विजय कुमार ज्वैलर्स के पीएफ खातों में लगभग 91 धोखाधड़ी वाले दावों का निपटारा किया गया था। इस फर्म ने सितंबर 2009 में काम करना बंद कर दिया था और ईपीएफ रिकॉर्ड में बंद प्रतिष्ठान के रूप में इसे दर्ज किया गया था।
एफआईआर में कहा गया है कि मार्च 2020 से जून 2021 के दौरान इस फर्जीवाड़े के चलते ईपीएफ कॉर्पस को 2,71,45,713 रुपये का नुकसान हुआ जिसे चंदन कुमार सिन्हा और संबंधित अधिकारियों के द्वारा पास किया गया था।