CBI में स्पेशल डायरेक्टर रहे राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत कांड की जांच कर रहे अधिकारी ने मांगा VRS
नई दिल्ली। सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के मामले की जांच कर रहे अधिरकारी सतीश डागर ने वीआरएस मांगा है। टीम के सदस्य रहे एजेंसी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सतीश डागर ने निजी कारणों का हवाला देकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी है। खबरों के अनुसार एसपी रैंक के अधिकारी डागर ने 19 अगस्त को लिखे एक पत्र में एक दिसंबर, 2019 से केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 के नियम 48 के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी के लिए अनुरोध किया है। नियमानुसार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति चाहने वाले अफसरों को तीन महीने पहले लिखित सूचना देनी होती है।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगे जाने के संबंध में जब डागर से बारे में पूछा गया कि उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। डागर के इस कदम से CBI में भी इसकी टाइमिंग को लेकर चर्चा है कि आखिर डागर ने ऐसे समय में वीआरएस क्यों चुना, जब 31 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्थाना मामले में जांच पूरी करने के लिए चार महीने का वक्त दिया है। जान लें कि कोर्ट की दी हुई मियाद इसी महीने खत्म हो रही है। बता दें कि डागर के स्वैच्छिक सेवानिवृति के अनुरोध की पुष्टि CBI के प्रवक्ता की है, लेकिन उनके पत्र की स्थिति पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है। प्रवक्ता ने जानकारी दी कि डागर ने आवेदन में निजी कारण को आधार बनाया है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि 30 नवंबर तक डागर ही CBI में नंबर दो रहे राकेश अस्थाना एवं अन्य सीनियर अफसरों के खिलाफ जांच करते रहेंगे या किसी और को यह जिम्मेदारी दी जायेगी।
क्या है राकेश अस्थाना का मामला
बता दें कि हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू साना ने पिछले साल अक्टूबर 2018 में आरोप लगाया था कि एक मामले को दबाने के लिए उसने राकेश अस्थाना और सीबीआई के अन्य अफसरों को घूस दी थी। यह मामला मीट कारोबारी मोईन कुरैशी से जुड़ा था। सीबीआई ने मोईन कुरैशी समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था जिसमें आरोप था कि अपने कारोबारी फायदे के लिए इन लोगों ने सरकारी सेवकों को विभिन्न तरीकों से संतुष्ट किया था। सतीश बाबू साना के आरोप के आधार पर ही CBI ने अस्थाना सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था।