जासूसी कांड में फर्जी तरह से नारायणन को फंसाने के मामले में FIR दर्ज, IB के पूर्व अधिकारी साजिश में शामिल
नई दिल्ली, 25 जून। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन को जिस तरह से इसरो जासूसी कांड में फंसाया गया था, उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे और कहा था कि जिन लोगों ने वैज्ञानिक नंबी नारायणन को गलत तरह से इस जासूसी में फंसाया है, उनके बारे में जांच करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दो महीने बाद अब सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में केरल के पूर्व पुलिस मुखिया सिबी मैथ्यू, पूर्व आईबी के डेप्युटि डायरेक्टर आरबी श्रीकुमार और 16 अन्य पुलिसकर्मियों के नाम शामिल किए हैं।
इन लोगों के नाम नंबी नारायणन को 1994 के जासूसी कांड में फंसाने के आरोप में एफआईआर में शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता जम्मू कश्मीर के पूर्व जज डीके जैन कर रहे थे। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जिस तरह से नंबी नारायणन इतने मानसिक प्रताणना के दौर से गुजरे और इस तरह से उनका शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा उसकी भरपाई केरल सरकार 50 लाख रुपए का मुआवजा देकर करे।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अप्रैल 2021 में दायर कर दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था और उन लोगों के खिलाफ जांच का आदेश दिया था जिन्होंने 1994 के जासूसी कांड में गलत तरह से नंबी नारायणन को फंसाया था। वैज्ञानिक नंबी नारायणन पर आरोप था कि उन्होंने रॉकेट, सैटेलाइट के लांच से जुड़ी खुफिया जानकारी को बेचा था। जिसके बाद उन्हें दिसंबर 1994 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। बता दें कि 1994 में केरल की पुलिस ने मालदीव की रहने वाली राशिदा नाम की महिला को गिरफ्तार कियाथा। पुलिस का दावा था कि राशिदा के पास इसरो के रॉकेट से जुड़ी खुफिया जानकारी थी, जिसे वह पाकिस्तान को सौंपने वाली थी। इसके बाद नंबी नारायणन और डी शशिकुमारन को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन बाद में सीबीआई ने इन आरोपों को गलत पाया था।