भोजपुर फर्जी एनकाउंटर में चार पुलिसकर्मियों को उम्रकैद
इस मामले में कोर्ट ने 20 साल 3 महीने बाद फैसला सुनाया है। दोषियों में एक पूर्व डिप्टी एसपी व एक पूर्व सब इंस्पेक्टर और दो सिपाही शामिल हैं।
नई दिल्ली। 20 साल पहले गाजियाबाद के भोजपुर में चार युवकों का फर्जी एनकाउंटर करने के दोषी पाए गए चार पुलिसकर्मियों को आज सीबीआई अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सोमवार को सीबीआइ कोर्ट के विशेष न्यायाधीश राजेश चौधरी ने भोजपुर एनकाउंटर को फर्जी करार देते हुए डिप्टी एसपी समेत चार पुलिस वालों को दोषी करार दिया था। इस मामले में कोर्ट ने 20 साल 3 महीने बाद फैसला सुनाया है। दोषियों में एक पूर्व डिप्टी एसपी व एक पूर्व सब इंस्पेक्टर और दो सिपाही शामिल हैं।
भोजपुर थाने की पुलिस ने 8 नवंबर 1996 को गाजियाबाद जिले की मोदीनगर तहसील स्थित मछली गांव की पुलिया के पास चार युवकों को बदमाश बताकर एनकाउंटर में मार गिराया था। सीबीआई के मुताबिक मारे गए चारों लोग निहत्थे थे। पुलिस ने चाय की दुकान पर बैठे इन युवकों को उठाया और ईंख के खेत में ले जा कर गोली मार दी।परिजनों ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए लंबे समय तक विरोध-प्रदर्शन किए थे। जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। इस मामले में 2000 से सीबीआई कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
सीबीआई कोर्ट ने एनकाउंटर में भोजपुर थाने के तत्कालीन एसओ लाल सिंह, सब इंस्पेक्टर जोगिंदर सिंह, सिपाही सूरजभान व सुभाष चंद को सजा सुनाई है। केस के पांचवें आरोपी सिपाही रणवीर की ट्रॉयल के दौरान ही 2004 में मौत हो चुकी है। इस मामले में तत्कालीन क्षेत्राधिकारी ज्योति बैलूर भी आरोपी हैं। अभी ज्योति को दोषी नहीं बताया गया है। ज्योति बैलूर भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे चुकी हैं और यूरोप में बस गई हैं। मुठभेड़ में जसवीर उर्फ पप्पू (24) पुत्र गंगाराम, अशोक (18) पुत्र किशनसिंह, जलालुद्दीन (16) पुत्र मंसूर अली, प्रवेश (18) पुत्र महेन्द्र सिंह को मारा गया था।मामले पर सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने माना कि पुलिस ने प्रमोशन के लालच में निहत्थे चारों युवकों पर फायरिंग की थी और ये एनकाउंटर फर्जी था।
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