सुप्रीम कोर्ट का आदेश, सीबीआई डायरोक्टर आलोक वर्मा को दी जाए CVC जांच रिपोर्ट की कॉपी
नई दिल्ली। सीबीआई के दो शीर्ष अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने सीवीसी रिपोर्ट की कॉपी सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने वर्मा से इस रिपोर्ट के आधार पर जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि जवाब सीलबंद लिफाफे में दिया जाए। सीवीसी ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को कोई दिक्कत नहीं होगी तो हम आलोक वर्मा के वकील को रिपोर्ट की सीलबंद कॉपी देंगे, उनको सीलबंद लिफाफे में जवाब देना होगा। वहीं कोर्ट ने राकेश अस्थाना को रिपोर्ट की कॉपी नहीं देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सीवीसी ने छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ जो रिपोर्ट दी है, उसमें कई पेचीदा पहलू भी हैं।
सीबीआई के दो शीर्ष अफसरों, आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के एक-दूसरे पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाने के बाद दोनों को छुट्टी पर भेज दिया गया था। 23 अक्टूबर को दोनों को छुट्टी पर भेज दिया गया था। CBI ने अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर को शिकायत दर्ज की थी। वहीं, अस्थाना ने वर्मा के खिलाफ कैबिनेट सचिव को 24 अगस्त को शिकायत दी थी। आलोक वर्मा ने केंद्र सरकार की ओर से छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत ने आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की रिपोर्ट पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के डीएसपी एके बस्सी की याचिका पर बाद में सुनवाई करेंगे। बस्सी को पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर कर दिया गया था, जिसको लेकर उन्होंने याचिका दायर की है।
सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि फैसलों में कुछ भी गलत नहीं पाया गया है। कोर्ट ने वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद नागेश्वर राव के लिए गए फैसलों को सीलबंद लिफाफे में तलब किया था।
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