क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ज्ञानवापी मस्जिद में माँ शृंगार गौरी मंदिर के निरीक्षण का मामला: जानिए कौन हैं पाँचों महिला याचिकाकर्ता

शुक्रवार से सुर्ख़ियों में छाए हुए ज्ञानवापी मस्जिद और माँ शृंगार गौरी से जुड़े निरीक्षण वाले मामले में आखिरकार इस मुकदमे की महिला याचिकाकर्ता पहली बार मीडिया के सामने आईं.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
याचिकाकर्ता
BBC
याचिकाकर्ता

शुक्रवार से सुर्ख़ियों में छाए हुए ज्ञानवापी मस्जिद और माँ शृंगार गौरी से जुड़े निरीक्षण वाले मामले में आख़िरकार इस मुक़दमे की महिला याचिकाकर्ता पहली बार मीडिया के सामने आईं.

इन महिला याचिकाकर्ताओं से उनके वकील सुधीर त्रिपाठी की मौजूदगी में बीबीसी ने बातचीत की.

कुल पाँच याचिकाकर्ताओं में चार ही मुलाक़ात के लिए उपलब्ध थीं.

इस दौरान हमने ये जानने की कोशिश की कि वो कौन हैं और वो कैसे अपनी मांग को लेकर बनारस के कोर्ट में पहुंचीं.

आइए जानते हैं कौन हैं ये महिलाएं और वो ये निरीक्षण और माँ शृंगार गौरी के दर्शन और पूजा की इजाज़त क्यों चाहती हैं.

याचिकाकर्ता नंबर एक राखी सिंह

अदालती दस्तावेज़ों में इस मुक़दमे को 'राखी सिंह और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार' का नाम दिया गया है. लेकिन प्रेस ब्रीफिंग के दौरान राखी सिंह मौजूद नहीं थीं.

अदालत में दाखिल दस्तावेज़ों में लिखा है कि राखी सिंह दिल्ली के हौज़ ख़ास की रहने वाली हैं.

उनके पति का नाम इंद्र जीत सिंह है और उनका लखनऊ में एक स्थानीय पता भी है जो शहर के हुसैनगंज इलाके में हैं.

जब हमने प्रेस ब्रीफिंग में मौजूद महिला याचिकाकर्ताओं से राखी सिंह के बारे में पूछा तो किसी ने कहा कि वो दिल्ली में हैं. किसी ने ये बोला कि उनकी डिलीवरी हुई है.

और इस वजह से वह बनारस नहीं आ पाईं. सभी ने कहा कि वो राखी सिंह से सिर्फ दो-तीन बार ही मिली हैं.

एक याचिकाकर्ता कहती हैं, "वो भी दर्शन करने आई थीं और तभी सब राखी सिंह से मिली थीं."

लक्ष्मी देवी
BBC
लक्ष्मी देवी

याचिकाकर्ता नंबर दो: लक्ष्मी देवी

बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी शहर के महमूरगंज इलाके की हैं. उनके पति डॉक्टर सोहन लाल आर्य हैं. डॉक्टर आर्य ने भी 1996 में बनारस की अदालत में वर्तमान मुकदमे से मिलता-जुलता केस दाखिल किया था और उस केस के आधार पर भी एडवोकेट कमिश्नर के निरीक्षण का आदेश हुआ था.

साल 1996 के एक अख़बार की क्लिपिंग दिखाते हुए डॉक्टर सोहन लाल आर्य बताते हैं कि मई 1996 में भी निरीक्षण की करवाई नई हो पाई थी.

लक्ष्मी देवी कहती हैं कि अपने पति डॉ सोहन लाल आर्य के पुराने मामले की वजह से वो भी माँ शृंगार गौरी के मामले में याचिकाकर्ता बनीं. बीबीसी से बात करते हुए वो कहती हैं कि, "माँ शृंगार गौरी का मुद्दा महिलाओं का मुद्दा है. इसलिए इसमें हम सब महिलाएं जुड़ गई हैं."

शुक्रवार को निरीक्षण में लक्ष्मी देवी भी गई थीं. चबूतरे के बारे में वो कहती हैं, "उधर निरीक्षण हुआ था, और वो लोग देख रहे थे. टूटे हुए पत्थर को उल्टा करके रखा गया था, ताकि कोई देख न सके. जनता की निगाह में न आए. लेकिन जब निरीक्षण हुआ तो उसमें हाथ लगा-लगा कर देखा गया तो उसमें शिलापट पूरे मंदिर के थे."

गौरतलब है कि अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद के वकील अभय यादव ने इस बात पर एतराज़ जताया था कि शुक्रवार को निरीक्षण के दौरान याचिकाकर्ता के वकील पत्थरों को कुरेद रहे थे. उनका कहना था कि अदालत के आदेश में इसकी अनुमति नहीं थी.

सीता साहू
BBC
सीता साहू

याचिकाकर्ता नंबर तीन: सीता साहू

सीता साहू भी बनारस के चेतगंज इलाके की रहने वाली हैं. उनके पति का नाम बाल गोपाल साहू है.

याचिकाकर्ता मंजू व्यास की तरह सीता साहू भी अपने आप को समाजसेविका बताती हैं. सीता साहू भी कहती हैं कि वो माँ शृंगार गौरी की बहुत बार पूजा करने गई हैं.

वो दावा करती हैं कि माँ शृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानव्यापी मस्जिद के अंदर है और जहाँ लोगों को पूजा करने की अनुमति है वो महज़ चबूतरा है.

वो कहती हैं, "हम लोगों की मजबूरी है कि हम लोग अंदर नहीं जा सकते हैं और सिर्फ बाहर पैर छू कर आ जाते हैं."

जब हमने सीता साहू से पूछा कि अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद के मुताबिक़ अगर चबूतरे पर माँ शृंगार गौरी दिख रही हैं तो अंदर जाने की ज़रूरत वो क्यों महसूस करती हैं?

तो सीता साहू ने कहा कि, "यह सच नहीं है. सच यह है कि हम लोग जहाँ पर जाते हैं वो हमारी आराध्य देवी हैं लेकिन हम लोगों का मंदिर मस्जिद के अंदर हैं."

मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद कितना बड़ा मुद्दा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में मस्जिद गिराने का क्या है पूरा मामला

मंजू व्यास
BBC
मंजू व्यास

याचिकाकर्ता नंबर चार: मंजू व्यास

मंजू व्यास बनारस के रामधर मोहल्ले की रहने वाली हैं और उनके पति का नाम विक्रम व्यास है. बीबीसी से बातचीत में वो कहती हैं कि वो काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब रहती हैं. वो अपने आप को एक समाजसेविका बताती हैं.

मंजू व्यास कहती हैं कि वो माँ शृंगार गौरी के दर्शन करती हैं और उनके मुताबिक़ रोज़ दर्शन करने की अनुमति होनी चाहिए. वो कहती हैं, "हम लोग चौखट के दर्शन करके आ जाते हैं."

गौरतलब है कि माँ शृंगार गौरी का विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पीछे वाले हिस्से में चबूतरे पर बताया जाता है.

मंजू व्यास कहती हैं कि उन्होंने दर्शन की मांग को लेकर एक संगठन 'विश्व वैदिक सनातन संघ' के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह बिसेन से बात कर ये याचिका दायर की है.

उन्होंने बताया कि उनकी दूसरी महिला याचिकाकर्ताओं से मंदिर में मुलाकात होती थी.

सभी महिला याचिकाकर्ताओं का दावा है की मस्जिद प्लॉट नंबर 9130 पर है और कोर्ट के आदेश के अनुसार, उन्हें अंदर जाकर निरीक्षण करने और उसकी वीडियोग्राफी करने का पूरा अधिकार हैं.

जब बीबीसी ने यह मंजू व्यास से ये भी जानना चाहा कि याचिकाकर्ता होते हुए क्या उन्होंने कभी प्लॉट नंबर 9130 का नक्शा देखा, तो उन्होंने कहा "हाँ देखा है." और उसमे कितना हिस्सा आता हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह उनके वकील ही बता पाएंगे.

अंत में वो कहती हैं कि "हम लोग पीछे नहीं हटने वाले हैं, और हम लोग एक-एक चीज़ की छानबीन करेंगे."

बाबरी मस्जिद हमेशा मस्जिद रहेगीः ओवैसी

उत्तर प्रदेश: गुजरात के बाद हिंदुत्व की दूसरी प्रयोगशाला

लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक (दाएं)
BBC
लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक (दाएं)

याचिकाकर्ता नंबर पांच: रेखा पाठक

रेखा पाठक बनारस के हनुमान फाटक की रहने वाली हैं और उनके पति का नाम अतुल कुमार पाठक है. रेखा पाठक भी शुक्रवार को हुए निरीक्षण में मौजूद थीं.

अंजुमन इन्तेज़ामियाँ मसाजिद की एडवोकेट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाने पर रेखा पाठक कहती हैं कि, "यह गलत आरोप हैं. हमारे सामने साक्ष्य मिले हैं. उनको न्यायलय ने ही रखा है. हम लोगों में कोई गलत भाव नहीं हैं. दूसरे पक्ष को एतराज़ है कि सच्चाई खुल ना जाए. मैं माँ शृंगार गौरी का दर्शन करती हूँ. मंदिर हम लोगों के खून में है."

अपने बारे में बताते हुए रेखा पाठक कहती है, "मैं (बनारस के) लाट भैरव के महंत दया शंकर त्रिपाठी की बड़ी बेटी हूँ और मैं एक हाउस वाइफ हूँ."

बीबीसी ने पूछा कि पाँचों महिलाएं एकजुट कैसे हुईं तो रेखा पाठक ने कहा कि, "हम लोग सहेलियां हैं. मंदिर में मिलते हैं, एक साथ सत्संग करते हैं, उसी में हम लोग सहेलियां बन गईं हैं. हम लोग एक दूसरे से बोले कि हम लोग कोई ऐसा काम करें कि माँ शृंगार गौरी का मंदिर खुल जाए और हम लोग नियमित दर्शन करने लगें."

सोमवार नौ मई को बनारस की अदालत में एडवोकेट कमिश्नर को उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद की अर्ज़ी पर अपना पक्ष अदालत के सामने रखना है. अब देखना यह है कि अदालत इस पूरे मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या यह निरीक्षण फिर से शुरू हो पाता है या नहीं.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Case of inspection of Maa Shringar Gauri temple in Gyanvapi Masjid
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X