सुप्रीम कोर्ट के जज पर आरोप लगाने का मामला, आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की बढ़ सकती है मुश्किल
नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सर्वोच्च अदालत के सीनियर जज जस्टिस एनवी रमन्ना के खिलाफ सनसनीखेज आरोप लगाने के मामले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को नोटिस देने के लिए दायर याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार लिया है। सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ दो याचिकाएं डाली गई हैं। ये याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के वकील जीएस मणि और सुशील कुमार सिंह की ओर से दायर की गई है। इसमें अदालत से गुहार लगाई गई है कि वह इस संबंध में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री को नोटिस जारी करे।
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इससे पहले इस मामले की सुनवाई जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच में होनी थी। लेकिन, जस्टिस ललित ने याचिकाकर्ता के वकीलों से यह कहते हुए खुद को केस की सुनवाई से अलग कर लिया था कि वह, 'वह वकील के तौर पर पार्टियों के लिए मुकदमे की पैरवी कर चुके हैं। हम कहेंगे कि 'इसे उस बेंच के सामने रखिए, जस्टिस ललित जिसके पार्ट नहीं हैं...।'
याचिकाकर्ताओं ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस रमन्ना के खिलाफ आरोप लगाते हुए भारत के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखने के खिलाफ यह याचिकाएं डाली हैं। उन्होंने जस्टिस रमन्ना पर आरोप लगाया था कि वो तेलंगाना के एक स्पेशल कोर्ट में उनके खिलाफ चल रहे एक आपराधिक मुकदमे में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए वकीलों ने रेड्डी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई की मांग करते हुए ये याचिकाएं डाली हैं।
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखने के बाद 10 अक्टूबर को सीएम रेड्डी के प्रिंसिपल एडवाइजर ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर चीफ जस्टिस को भेजी गई चिट्टी की सारी बातें सार्वजनिक कर दी थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ राजनीतिक वजहों से ऐसे आधारहीन आरोप लगाकर उन्होंने अपने अधिकारों का उल्लंघन किया है। दूसरी याचिका में उन्हें कारण बताओ नोटिस देने के साथ ही, उन्हें भविष्य में जजों के खिलाफ इस तरह प्रेस कांफ्रेंस करने से रोकने की मांग कई गई है। ये दोनों अर्जियां 10 अक्टूबर के प्रेस कांफ्रेंस के बाद ही दर्ज कराई गई थीं, लेकिन सुनवाई के लिए सोमवार को लिस्ट की गई।
इस बीच अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने हाल ही में जगन रेड्डी और उनके एडवाइजर के खिलाफ अवमानना का केस चलाने को मंजूरी देने से मना कर दिया था, क्योंकि यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश के विचाराधीन है। हालांकि, वेणुगोपाल ने सीएम और उनके एडवाइजर के ऐक्शन को गलत माना था और इसपर इस आधार पर संदेह जताया था कि इसी साल 16 सितंबर को जस्टिस रमन्ना ने एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए, सभी मौजूदा और पूर्व विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था।
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