Delhi: सिर्फ 6 दिनों में 5 बार कार्डियक अरेस्ट, फिर भी 81 साल की महिला ने दी मौत को मात
दिल्ली की एक बुजुर्ग महिला मेडिकल साइंस के लिए चमत्कार साबित हुई हैं। उन्होंने 6 दिनों में ही 5 बार कार्डियक अरेस्ट का सामना किया, लेकिन फिर भी बच गईं। अब वह घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं।
दिल्ली के एक अस्पताल में 81 साल की एक महिला को बहुत ही नाजुक हालत में भर्ती किया गया था। वह सांस नहीं ले पा रही थीं। परिवार वालों ने सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं। 6 दिनों में 5-5 बार कार्डियक अरेस्ट से गुजर चुकी थीं। लेकिन, ऊपर वाले के आशीर्वाद और डॉक्टरों की कोशिशों से वह जीवित बच गईं और अब घर लौटकर स्वस्थ हो रही हैं। उनके जीवित बचने की घटना को डॉक्टर भी चमत्कार कह रहे हैं। क्योंकि, जब इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, तो उनके बचने की संभावना नहीं के बराबर थी। कार्डियक अरेस्ट का यह केस संभवत: मेडिकल साइंस के लिए भी नया केस स्टडी बन सकता है।
उम्र
81
साल:
6
दिनों
में
5
बार
मौत
को
मात
दिल्ली
में
81
साल
की
एक
बुजुर्ग
महिला
ने
सिर्फ
6
दिनों
में
पांच-पांच
बार
कार्डियक
अरेस्ट
का
सामना
किया
और
फिर
भी
वह
मौत
को
मात
देने
में
सफल
रही
है।
टाइम्स
ऑफ
इंडिया
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
मैक्स
अस्पताल
के
डॉक्टरों
का
कहना
है
कि
मरीज
को
सांस
संबंधी
गंभीर
परेशानियों
की
वजह
से
भर्ती
करवाया
या
था।
उसका
हृदय
ठीक
से
काम
नहीं
कर
रहा
था
और
उसके
हृदय
की
पंपिंग
क्षमता
मात्र
25%
रह
गई
थी।
वह
बिल्कुल
ही
सांस
नहीं
ले
पा
रही
थी
और
कोलैप्स
होने
की
स्थिति
में
थी।
'इलेक्ट्रिक
शॉक
देकर
बचाया'
डॉक्टरों
ने
बताया
है
कि
वह
6
दिन
अस्पताल
में
रही
और
इस
दौरान
वह
पांच
बार
कार्डियक
अरेस्ट
से
गुजरी।
लेकिन,
इलेक्ट्रिक
शॉक
देकर
उन्हें
बचा
लिया
गया।
मैक्स
हेल्थकेयर
के
कार्डियोलॉजी
के
चेयरमैन
डॉक्टर
बलबीर
सिंह
ने
कहा
कि
जब
मरीज
मेरे
पास
आई
थी
तो
उन्हें
सांस
लेने
में
दिक्कत
थी,
हार्टबीट
असमान्य
था।
पहले
एंजियोग्राफी
की
गई
और
एक
टेम्पररी
पेसमेकर
लगाया
गया।
जब
उनके
पेसमेकर
पैरामीटर्स
को
एडजस्ट
किया
गया
तो
उन्हें
फिर
से
कार्डियक
अरेस्ट
आ
गया।
हृदय
में
एक
विशेष
उपकरण
लगाया
गया
हृदय
की
असामान्य
धड़कन
(arrhythmia)
को
ठीक
करने
और
मॉनिटर
करने
के
लिए
एक
छोटी
सी
इलेक्ट्रोनिक
डिवाइस-
ऑटोमेटिक
इंप्लांटेबल
कार्डियोवर्टर
डेफिब्रिलेटर
(AICD)
उनकी
छाती
में
लगाई
गई।
डॉक्टर
सिंह
ने
कहा
कि
यह
डिवाइस
ऐसी
परिस्थितियों
में
सबसे
उपयोगी
है
और
इससे
निपटने
का
सबसे
प्रभावी
तरीका
है।
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यह
वास्तव
में
एक
चमत्कार
ही
था-डॉक्टर
यह
उपचार
काम
कर
गया
और
वह
सामान्य
हो
गईं
और
उनकी
जिंदगी
बच
गई।
उन्होंने
बताया
'उनके
इतने
सारे
कार्डियक
अरेस्ट
से
गुजरने
के
बाद
यह
वास्तव
में
एक
चमत्कार
ही
था।
मरीज
की
हालत
बहुत
ही
गंभीर
थी।'
क्योंकि,
उनके
मामले
में
कोई
दवा
काम
नहीं
कर
रही
थी,
इसलिए
परिवार
वालों
ने
सारी
उम्मीदें
छोड़
दी
थीं।
हालांकि,
इस
मामले
में
विभिन्न
तरह
की
तकनीक
आजमाने
से
मरीज
बच
गई।
डॉक्टरों
के
मुताबिक
उन्हें
अस्पताल
से
डिस्चार्ज
कर
दिया
गया
है
और
वह
स्वस्थ
हो
रही
हैं।
लक्षणों
में
यह
सब
शामिल
डॉक्टर
सिंह
का
कहना
है
कि
मेनोपाउज
के
बाद
महिलाओं
में
हार्ट
अटैक
का
जोखिम
ज्यादा
रहता
है।
उनमें
पसीना
आना,
गर्दन
की
दिक्कत,
जबड़े,
कंधे,
पीठ
के
ऊपरी
हस्से
या
पेट
में,
या
दोनों
बाहों
में
दर्द,
सांस
लेने
में
दिक्कत,
चक्कर
आना,
अपच,
उल्टी
या
मतली,
असामान्य
थकान
जैसे
लक्षण
दिख
सकते
हैं।
कार्डियक
अरेस्ट
के
कारण
वैसे
कार्डियक
अरेस्ट
के
कुछ
कारण
भी
हो
सकते
हैं।
जैसे
कि
स्मोकिंग,
हाई
ब्लड
प्रेशर,
हाई
ब्लड
कोलेस्ट्रॉल,
मोटापा,
डायबिटीज,
फिजिकल
ऐक्टिविटी
की
कमी,
फैमिली
हिस्ट्री
और
पोटेशियम
और
मैग्नीशियम
की
कमी।
(तस्वीरें-
सांकेतिक)