कैप्टन सतीश शर्मा आजीवन रहे राजीव गांधी परिवार के वफादार, क्यों बदल गये अमिताभ बच्चन?
नई दिल्ली। एक समय सतीश शर्मा और अमिताभ बच्चन राजीव गांधी के जिगरी दोस्त हुआ करते थे। सतीश शर्मा जीवन की आखिरी सांस तक राजीव परिवार के विश्वसपात्र बने रहे लेकिन अमिताभ बच्चन ने बीच में साथ छोड़ दिया। ऐसा नहीं है कि सतीश शर्मा भेदभाव से मुक्त रहे। राजीव गांधी के करीबियों ने सतीश शर्मा को भी दरकिनार किया था लेकिन उन्होंने कभी एतराज नहीं जताया। लेकिन अमिताभ बच्चन को इस बात का मलाल रहा कि जब वे राजनीतिक विवादों के भंवर में फंसे थे तब राजीव गांधी ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया था। विवादों में तो सतीश शर्मा भी रहे थे। उन पर भी पेट्रोल पंप आवंटन में गड़बड़ी का आरोप लगा था। कोर्ट ने उन पर 50 लाख रुपये की पेनाल्टी भी लगायी थी। फिर भी वे राजीव गांधी परिवार के वफादार रहे। लेकिन जब अमिताभ बच्चन का नाम बोफोर्स घोटला में आया तो उन्होंने राजनीति और राजीव परिवार से ही किनारा कर लिया। 2004 में जया बच्चन ने जब इशारों-इशारों में राजीव गांधी परिवार पर दगा देने का आरोप लगाया तो राहुल गांधी ने भी इसका जवाब दिया था।
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भेदभाव के तराजू में सतीश शर्मा
जब राजीव गांधी की मौत हुई थी उस समय सतीश शर्मा सोनिया गांधी के लिए एक मजबूत संबल बन गये थे। सतीश शर्मा ने राजीव गांधी के बाद भी अपनी दोस्ती निभाई। सोनिया गांधी के कहने पर सतीश शर्मा को राजीव गांधी के निधन से रिक्त हुई अमेठी सीट पर चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया था। बाद में जब राहुल गांधी अमेठी और सोनिया गांधी रायबरेली सीट पर स्थापित हुईं तो सतीश शर्मा को राज्यसभा में भेज दिया गया। 2016 में जब सतीश शर्मा का कार्यकाल खत्म हो रहा था तब उन्हें एक और विस्तार देने से कांग्रेस ने मना कर दिया। उस समय सोनिया और राहुल गांधी की नजर में कपिल सिब्बल की अहमियत बढ़ गयी थी। कपिल सिब्बल के लिए सोनिया गांधी ने अपने पति के सबसे वफादार मित्र सतीश शर्मा को दरकिनार कर दिया। इसके बाद सतीश शर्मा की राजनीतिक गतिविधियां मंद पड़ गयीं। इतना होने के बाद भी सतीश शर्मा के उफ तक नहीं की।
अमिताभ बच्चन को किसा बात का मलाल?
1987 में बोफोर्स घोटला का मामला उछला तो उसमें अमिताभ बच्चन का भी नाम आने लगा। अमिताभ बच्चन इससे बहुत परेशान हो गये थे। इससे हताश हो कर अमिताभ बच्चन ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। अमर सिंह ने 2016 में एक न्यूज चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने अमिताभ बच्चन को बोफोर्स घोटला की आंच से बचाया था। अमर सिंह के मुताबिक, मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी से अमिताभ बच्चन के बारे में बात की थी। तब चंद्रशेखर जी ने और कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी जी ने अमिताभ बच्चन की मदद की थी। उस समय अरुण जेटली जी विश्वनाथ प्रताप सिंह के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बन के बोफोर्स मामले की जांच करने स्विट्जरलैंड गये थे। अमिताभ बच्चन के खिलाफ जबर्दस्त घेराबंदी थी। लेकिन चंद्रशेखर जी (प्रधानमंत्री) ने फेरा बोर्ड तक में अमिताभ बच्चन की मदद की ताकि उन्हें कोई भविष्य में तंग ना कर सके। हालांकि 2012 में स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम ने कहा था कि इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने अमिताभ बच्चन के नाम जबर्दस्ती जोड़ दिया था। उन पर भी इस बात के लिए दबाव डाला गया था कि वे इस मामले में अमिताभ बच्चन का भी नाम घसीटें। हालांकि बाद अमिताभ बच्चन को इस मामले में क्लीन चिट मिल गयी थी।
अमिताभ बच्चन का इस्तीफा
अमिताभ बच्चन ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा क्यों दिया था ? इस संबंध में चर्चित पत्रकार राशिद किदवई ने माखन लाल फोतेदार के हवाले से लिखा है, राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमिताभ बच्चन सांसद के रूप में कांग्रेस के शक्तिशाली नेता बन गये थे। वे विभिन्न मंत्रालयों में अफसरों की ट्रांसफर -पोस्टिंग में दखल देने लगे। माखन लाल फोतेदार उस समय राजीव गांधी के सचिव थे। अमिताभ बच्चन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों के काम में भी हस्तक्षेप करने लगे। फोतेदार तो चुप रहे लेकिन दूसरे नेता अमिताभ की शिकायत लेकर राजीव गांधी के पास पहुंचने लगे। एक दिन अमिताभ, प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिलने के लिए आये हुए थे। माखनलाल फोतेदार भी वहीं बैठे हुए थे। राजीव गांधी अमिताभ बच्चन के बगल में जा कर बैठ गये। राजीव गांधी ने अचानक अमिताभ बच्चन से कहा, फोतेदार जी आपका इस्तीफा चाहते हैं। इसके बाद अमिताभ ने वहीं कागज और कलम लेकर अपना इस्तीफा (लोकसभा की सदस्यता) लिख दिया। इस्तीफा उसी दिन मंजूर हो गया।
अमिताभ के घर से हुई थी सोनिया गांधी शादी
सोनिया गांधी 1968 में जब पहली बार इटली से भारत आयीं थीं उस समय वे राजीव गांधी की मंगेतर थीं। सोनिया गांधी को अमिताभ बच्चन के पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन के घर पर ठहराया गया था। सोनिया गांधी के लिए अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन मां की तरह थीं। इंदिरा गांधी की बहू बनने के पहले तेजी बच्चन ने ही सोनिया गांधी को भारतीय तौर तरीका सिखाया था। सोनिया अमिताभ बच्चन के घर पर 43 दिनों तक रहीं थीं। अमिताभ के घर पर ही सोनिया की शादी हुई थी। सोनिया का कन्यादान हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन ने किया था। सोनिया, अमिताभ को भाई मानती थीं और अमित कह कर बुलाती थीं। 1987 के बाद अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी के रिश्ते में दरार आने लगी जो साल दर साल बढ़ती ही गयी। अमिताभ बच्चन ने तो राजनीति से किनारा कर लिया लेकिन उनकी पत्नी जया बच्चन अमर सिंह के सहयोग से इस क्षेत्र में जम गयीं। वे समाजवादी पार्टी के सक्रिय नेता बन गयीं।
अमिताभ के बारे में क्या सोचते हैं राहुल-सोनिया?
2004 में लोकसभा चुनाव के समय जया बच्चन ने एक राजनीतिक सभा में कहा था, "जो लोग (राजीव गांधी) हमें राजनीति में लेकर आये वो हमें बीच मंझधार में छोड़ गये। जब हम मुसीबत में थे तब उन्होंने हमसे किनारा कर लिया। वे लोगों को धोखा देने के लिए जाने जाते हैं।" इस पर राहुल गांधी ने जवाब दिया था कि बच्चन परिवार इस मामले में झूठ बोल रहा है। इतने साल बाद क्यों यह आरोप लगाया जा रहा है ? अमिताभ बच्चन दो दशक पहले राजनीति में आये और उन्होंने अपनी वफादारी बदल ली। लोग जानते हैं कि किसने किसको धोखा दिया। तब राहुल की बात पर अमिताभ बच्चन ने कहा था, वे लोग राजा हैं और हम रंक। रिश्ते की निरंतरता राजा के मिजाज पर निर्भर होती है। अब वे मेरे परिवार पर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन अब दोनों परिवारों के बीच तनाव कम हुआ है। कड़वी बात बोलने से दोनों परिवारों को परहेज है। नवम्बर 2019 में प्रियंका गांधी ने हरिवंश राय बच्चन की तस्वीर के साथ एक मार्मिक ट्वीट किया था, हरिवंश राय बच्चन जिन्हें हम बच्चन अंकल के नाम से जानते थे, इलाहाबाद के एक महान सपूत थे। एक वक्त था जब मेरे पिता की मृत्यु के बाद बच्चन जी की रचनाओं को मैं देर रात तक पढ़ती थी। उनके शब्दों से मेरे मन को शांति मिलती थी। इसके लिए मैं उनके प्रति आजीवन आभारी रहूंगी। हरिवंश राय बच्चन की ये तस्वीर राजीव गांधी ने खुद खींची थी। यानी अब दोनों परिवार पुरानी कटुता को भुला कर आगे बढ़ने की सोच रहे हैं।