पाकिस्तान से लौटे सिद्धू से कांग्रेस भी 'नाराज', उन्होंने कहा कुछ भी गलत नहीं किया
पाकिस्तान के नए-नवेले प्रधानमंत्री इमरान खान की ताजपोशी में नवजोत सिंह सिद्धू के जाने पर मामला और गर्मा गया है।
चंडीगढ़। पाकिस्तान के नए-नवेले प्रधानमंत्री इमरान खान की ताजपोशी में नवजोत सिंह सिद्धू के जाने पर मामला और गर्मा गया है। बीजेपी के साथ अब कांग्रेस में भी उनके पाकिस्तान जाने का विरोध होना शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर लोग सिद्धू को खूब खोटी सुना रहे हैं। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी ऐसे संकेत दिए हैं कि वह भी सिद्धू के पाक जाने से नाराज हैं।
कैप्टन ने कहा कि सिद्धू को ऐसा कतई नहीं करना चाहिए था। पाक सेना प्रमुख के कहने पर ही भारतीयों सैनिकों से बर्बरता की जाती है। सिद्धू का उनके प्रति स्नेह दिखाना गलत था। कैप्टन ने कहा कि जहां तक शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने की बात है, वह व्यक्तिगत तौर पर वहां गए। इसका उनके साथ कुछ लेना-देना नहीं है।
वहीं सिद्धू पाकिस्तान से वापस लौट कर अपनी इस यात्रा को जायज ठहराने में लगे हैं। सिद्धू रविवार को बाघा बार्डर से होते हुये वापिस भारत लौट आए। उन्होंने बजवा से गले मिलने पर सफाई देते हुए कहा कि पाकिस्तान में जरनल बाजवा से मिलते वक्त उन्हें गले लगा कर कुछ गलत नहीं किया।
सिद्धू ने कहा कि उन्होंने जरनल बाजवा को इसलिये गले लगाया कि उन्होंने मुझे जानकारी दी कि पाकिस्तान गुरू नानक देव जी के 550 वें प्रकाश पर्व पर करतारपुर बार्डर को सिक्ख श्रद्धालुओं के लिये खोलने जा रहा है। यह एक खुशी भरी जानकारी थी, मैने भी उन्हें गले लगा लिया। इसमें कोई गलत नहीं था। बता दें कि इमरान खान ने शनिवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस शपथ के साथ ही वह पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री बने गए हैं।
सिद्धू ने इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पीओके के प्रेसिडेंट मसूद खान के साथ बैठने को लेकर उठ रहे सवालों को भी बेतुका बताया व कहा कि, अगर आपको कोई मेहमान बनाकर बुलाए तो आप वहीं बैठते हैं, जहां आपको कहा जाता है। मैं कही और बैठा था, लेकिन मुझे वहां बैठने के लिए कहा गया। मैं भी बैठ गया।
बीजेपी को क्या थी आपत्ति
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने सिद्धू के इस दौरे पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सिद्धू को पहले पीओके के कथित राष्ट्रपति मसूद खान से अलग बैठाया गया था। मगर, बाद में मसूद खान को आगे बैठाया गया। सिद्धू को इस पर आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
वे पाक के सेना प्रमुख जनरल बाजवा से गले लगे। सब को पता है कि बाजवा भारत में होने वाली जवानों की शहादत के लिए जिम्मेदार हैं। यहां आतंकी हमलों में नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं। क्या आप को ये याद नहीं आया? आपकी पार्टी को भारत के सेना प्रमुख पर विश्वास नहीं होता, लेकिन सिद्धू को बाजवा पर विश्वास हो जाता है। राहुल गांधी को इस पर जवाब देना चाहिए।
ये भी पढ़ें- पीएम मोदी और राहुल गांधी में कौन है ज्यादा लोकप्रिय, सर्वे में दिलचस्प बातें सामने आईं