चुनाव में उम्मीदवार बैनर पर छापे, कितने हैं उसके खिलाफ केस, सुप्रीम कोर्ट में आया सुझाव
नई दिल्ली। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को बैनर और पोस्टर पर अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा करना चाहिए, जैसे कि तंबाकू उत्पदों जैसे सिगरेट के पैकेट पर फोटो सहित चेतावनी लिखी रहती है। ये सुझाव गंभीर आपराधिक अपराधों से जुड़े व्यक्तियों को चुनाव ना लड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने दिया।
इस सुझाव को सुनने के बाद जस्टिस नरीमन ने टिप्पणी करते हुए कहा, "इस उम्मीदवार के लिए मतदान करना इस देश के लिए खतरनाक है"।वरिष्ठ वकील शंकरनारायण ने तर्क दिया कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार खुद का प्रचार करने के लिए बैनर और पोस्टर का इस्तेमाल करते हैं। लोकतंत्र के लिए राजनीति के अपराधीकरण से ज्यादा जहरीला और कुछ नहीं है और ये उसी उन्होंने तरह जहरीला है जैसा कि तंबाकू उत्पदों में पाया जाने वाला निकोटीन।
शंकरनारायण ने सुझाव दिया गया कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को निर्देशित कर सकता है कि वो खासकर उन उम्मीदवारों की आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी उन उम्मीदवारों के प्रचार के लिए लगाए गए बैनर और पोस्टरों पर छापे। इस तरह के आपराधिक मामलों की जानकारी ऑनलाइन देने और चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डालने के बजाय सार्वजनिक तौर पर बैनर पर देने से जनता को उम्मादवारों के बारे में ज्यादा पता चलेगा। इस पर हल्के अंदाज में जस्टिस नरीमन ने कहा कि ये जनता के लिए स्वास्थ्य सलाह देने जैसा होगा।
सप्रीम कोर्ट गंभीर अपराध के आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोकने के मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ये भी पूछा है उसने जनप्रतिनिधियों के मुकदमों के निपटारे के लिए अब तक कितने स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बना लिए हैं। कोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की भी जानकारी मांगी है।
अब मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 28 अगस्त को होगी जब अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल अपनी दलीलें देंगे। 9 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि कानून बनाना संसद का काम है और अदालत के आदेश से कानून को नहीं बदला जा सकता है। जबकि याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि राजनीतिक दल अपराधियों को राजनीति से बाहर करने पर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं ।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।