कांग्रेस के पद्मश्री अवार्डी प्रत्याशी ने कहा- टॉप लीडरशिप जमीनी हकीकत से बेखबर
नई दिल्ली- जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं कांग्रेस (Congress) पार्टी और उसके उम्मीदवार हार का ठीकरा फोड़ने के लिए लोगों को तलाशने में जुट गए हैं। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की एक सीट से ऐसे ही कांग्रेस (Congress) उम्मीदवार सामने आए हैं, जिन्हें लगता है कि उनकी पार्टी में ऊपर बैठे कुछ जातिवादी मानसिकता वाले नेताओं ने सहयोग नहीं किया इसलिए उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि टॉप लीडरशिप जमीनी हकीकत से बेखबर है।
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पार्टी में जातिवादी मानसिकता हावी
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास-शाजापुर (Dewas Shajapur) लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी ने अपनी हार का ठीकरा अपने ही पार्टी के बड़े नेताओं पर फोड़ दिया है। इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार पद्मश्री (Padma Shri) पुरस्कार प्राप्त गायक प्रहलाद टिपानिया (Prahlad Tipanya) का आरोप है कि कांग्रेस में बड़े पदों पर जातिवादी मानसिकता वाले लोगों का कब्जा है, जो जमीन पर काम करने वाले लोगों को कोई भाव ही नहीं देते। यूएनआई के मुताबिक उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि पार्टी की टॉप लीडरशिप जमीनी सच्चाई से बेखबर है। उनका साफ आरोप है कि ऐसे ही मानसिकता के लोग पार्टी में गुटबाजी और उसकी हार का सबसे बड़ा कारण हैं। कांग्रेस प्रत्याशी टिपानिया ने यह भी कहा कि पार्टी में समर्पित रूप से काम करने वाले कार्यकर्ताओं की कमी है।
मध्य प्रदेश डूबी है कांग्रेस की लुटिया
दरअसल, प्रहलाद टिपानिया (Prahlad Tipanya) की बौखलाहट की वजह ये है कि 6 महीने के अंदर ही कांग्रेस मध्य प्रदेश में जनता से पूरी तरह कट चुकी लगती है। जिस पार्टी ने यहां हाल ही सरकार बनाई है, उसे कुल 29 सीटों में से सिर्फ एक ही सीट मिली है और वो सीट भी छिंदवाड़ा है, जहां से अपने बेटे नकुल नाथ (Nakul Nath) को जिताने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamlnath) ने अपनी सारी एनर्जी झोंक दी थी। खुद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को भी कहना पड़ा था कि पार्टी के सारे बड़े नेताओं ने अपना पूरा ध्यान अपने-अपने बेटों को जिताने में ही लगाए रखा।
कांग्रेस में चल रहा है ठीकरा फोड़ने का सीजन
नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ निगेटिव प्रचार के बाद जिस तरह से लोकसभा चुनावों में कांग्रेस धाराशायी हुई, उसके बाद लगा कि कांग्रेस अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश शुरू करेगी। खासकर जैसे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी संगठन में बड़े बदलाव का मुद्दा उठाया था। लेकिन, अब लग रहा है कि कांग्रेस और उसके नेताओं को उन लोगों और पार्टियों की तलाश है, जिनपर वह अपनी हार की जिम्मेदारी डाल सके। पहले कांग्रेस ने अमेठी में राहुल गांधी की हार के बारे में यह कह दिया कि सपा और बसपा के लोगों ने उसका साथ नहीं दिया, अब बिहार में भी आरजेडी पर दोषारोपण की कोशिशें शुरू है। ऐसे में देखना है कि जब अपने लोगों ने ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं, तब भी पार्टी संगठन को जनता से जोड़ने की पहल शुरू करती है या नहीं।
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