भारत में तेज़ी से बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले, ऐसे करें बचाव
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बीते मंगलवार भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों पर अपनी रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में अगले पाँच सालों में कैंसर के मामलों की संख्या में 12 फ़ीसद की बढ़त होगी. इसका मतलब ये है कि साल 2025 तक भारत में कैंसर के मरीज़ों की संख्या 15.69 लाख के पार निकल जाएगी जोकि इस समय 14 लाख से भी कम है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बीते मंगलवार भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों पर अपनी रिपोर्ट जारी की है.
रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में अगले पाँच सालों में कैंसर के मामलों की संख्या में 12 फ़ीसद की बढ़त होगी.
इसका मतलब ये है कि साल 2025 तक भारत में कैंसर के मरीज़ों की संख्या 15.69 लाख के पार निकल जाएगी जोकि इस समय 14 लाख से भी कम है.
बीते कुछ सालों में दिल्ली जैसे महानगरों में कम उम्र के लोगों में स्टेज फ़ोर कैंसर की पुष्टि होने की ख़बरें सामने आई थीं. इस रिपोर्ट में ये सामने आया है कि दिल्ली में बच्चों में कैंसर के मामले सामने आने की संख्या बढ़ गई है.
ऐसे में आईसीएमआर की ये रिपोर्ट आने के बाद मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई हैं. क्योंकि ये रिपोर्ट उन सभी आशंकाओं को पुष्ट करती है जो कि मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञ बीते कुछ समय से लगा रहे थे.
लंग कैंसर यानी फेंफड़ों के कैंसर के विशेषज्ञ डॉ. अरविंद कुमार मानते हैं कि ये रिपोर्ट आश्चर्यचकित करने वाली नहीं है क्योंकि इसमें वो सब कुछ है जो हम लोग पिछले पाँच-छह सालों से ग्राउंड पर देख रहे हैं, हम जिन बदलावों को देख रहे हैं, ये उसी के फ़्यूचर प्रोजेक्शन हैं और ये रिपोर्ट दरअसल ज़मीनी स्थिति को दिखा रही है.
तंबाकू बना कैंसर की बड़ी वजह
इस रिपोर्ट में सामने आया है कि साल 2020 में तंबाकू की वजह से कैंसर झेल रहे लोगों की संख्या 3.7 लाख है जो कि कुल कैंसर मरीज़ों का 27.1 फीसद है.
ऐसे में तंबाकू वो सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है जिसकी वजह से लोग अलग-अलग तरह के कैंसर का सामना कर रहे हैं.
भारत में आईजोल ऐसे ज़िले के रूप में उभरकर सामने आया है जहां पर कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं.
इसके साथ ही पूरे एशिया में महिलाओं में लंग कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले भी आईज़ोल में ही देखे गए हैं.
भारत में कैंसर का इलाज करने वाले डॉक्टरों और विशेषज्ञ बीते काफ़ी समय से ये बताते आ रहे हैं कि कैंसर के मामलों में तेज़ बढ़त देखी जा रही है. और इसके पीछे तंबाकू एक बड़ा कारक बनकर उभर रहा है.
लंग कैंसर एक बड़ी समस्या
हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में प्रोफ़ेसर डॉक्टर एसवीएस देव ने बीबीसी को बताया था कि तंबाकू कैंसर के लिए ज़िम्मेदार कारकों में सबसे अहम है.
उन्होंने कहा था कि 40 फ़ीसद ऐसे मामले हैं जो टोबैको रिलेटेड कैंसर(टीआरसी) यानी तंबाकू के सेवन की वजह से होते हैं और अब 20-25 साल के युवाओं में भी ये बीमारी देखने को मिल रही है.
डॉक्टर एसवीएस देव ने बताया था, "तंबाकू सेवन करने वाले लोगों में इसका इस्तेमाल शुरू करने के 10-20 साल बाद ही कैंसर का पता चलता है. हमारे पास ऐसे ग्रामीण युवा आ रहे हैं जो स्मोकलेस टोबैको का इस्तेमाल करते हैं जैसे पान, तंबाकू, खैनी, गुटका आदि. ये युवा बहुत कम उम्र में ही बिना इसका नुक़सान जाने, इन चीज़ो का सेवन शुरू कर देते हैं . ऐसे में 22-25 साल के युवा कैंसर के मामलों के साथ हमारे पास इलाज के लिए आ रहे हैं."
वहीं, लंग कैंसर के क्षेत्र के वरिष्ठ डॉक्टर अरविंद कुमार भी मानते हैं कि तंबाकू पर समय रहते लगाम लगाए जाने की ज़रूरत है क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में लंग कैंसर के मामलों में भारी वृद्धि होने की आशंका है.
वे कहते हैं, "पिछले दस सालों में हमने कैंसर के मामलों की संख्या में बढ़ोतरी देखी है. लेकिन इसके साथ ही कम उम्र के लोगों को कैंसर से पीड़ित होता देख रहे हैं. तंबाकू और वायु प्रदुषण से जुड़ी बीमारियों की संख्या में भारी इज़ाफ़ा देखा है."
लंग कैंसर के बारे में बात करते हुए डॉ. अरविंद बताते हैं कि इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि लंग कैंसर इस समय हमारे देश में पुरुषों में नंबर 1 कैंसर हो गया है और एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण चीज़ है जो कि हम भी देख रहे हैं और इस रिपोर्ट में भी आया है कि ज़्यादा लंग कैंसर के मामलों में जब तक उनका पता चलता है तब के वे स्टेज फ़ोर में पहुंच चुके होते हैं."
महिलाओं में कैंसर
'दि ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिज़ीज़ स्टडी' (1990-2016) के अनुसार भारत में महिलाओं में सबसे ज़्यादा स्तन कैंसर के मामले सामने आए हैं.
स्टडी के अनुसार महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर, पेट का कैंसर, कोलोन एंड रेक्टम और लिप एंड कैविटी कैंसर मामले सबसे ज़्यादा सामने आ रहे हैं.
राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में लंग एंड ब्रेस्ट रेडिएशन सर्विसेज के प्रमुख डॉक्टर कुंदन सिंह चुफाल ने हाल ही में बीबीसी से इस बारे में बात की थी.
उन्होंने कहा था, "गांवो और शहरों में तुलना की जाए तो गांव से सर्वाइकल और शहर से स्तन कैंसर के मामले ज्यादा सामने आते हैं. लेकिन पूरे भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे पहले नंबर पर है जिसका मुख्य कारण देर से शादियां होना, गर्भधारण में देरी, स्तनपान कम करवाना, बढ़ता तनाव, लाइफ़स्टाइल और मोटापा है."
डॉ. चुफाल का आकलन अब आंकड़ों की शक्ल में इस रिपोर्ट में दिख रहा है.
इस रिपोर्ट में सामने आया है कि इस समय जहां ब्रेस्ट कैंसर के मामलों की संख्या 377830 वो साल 2025 तक बढ़कर 427273 हो जाएगी. वर्तमान में भारत में कैंसर के कुल मामलों में से ब्रेस्ट कैंसर का प्रतिशत 14 है.
लेकिन ये रिपोर्ट एक नई बात बताती है कि ब्रेस्ट कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले मेट्रो शहरों में सामने आ रहे हैं.
सबसे ज़्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामलों के लिहाज़ से हैदराबाद पहले स्थान पर, चेन्नई दूसरे स्थान पर, बेंगलुरू तीसरे स्थान पर और दिल्ली चौथे स्थान पर आता है.
कैंसर से बचने के लिए क्या करें?
विशेषज्ञों के मुताबिक़, कैंसर से बचने के लिए तंबाकू का इस्तेमाल बिलकुल बंद करना चाहिए.
आईसीएमआर की रिपोर्ट में भी स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि सिगरेट पीना, चबाने वाले तंबाकू का इस्तेमाल और सेकेंड हैंड स्मोकिंग यानी सिगरेट पीते हुए व्यक्ति के साथ खड़ा होना बेहद ख़तरनाक है.
इसके साथ ही ये रिपोर्ट रोजाना की गतिविधियों को बढ़ाने की सलाह देती है और ज़्यादा समय तक एक ही जगह बैठने से बचने की बात करती है.
इसके अलावा लोगों को कम नमक, कम चीनी और कम वसा युक्त खाने को तरजीह देनी चाहिए. इसके साथ ही हरी सब्जियां और ताज़ा फल आदि खाने चाहिए.