नेहरू-गांधी नाम के बगैर भी जिंदा रहेगी पार्टी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का दावा
नई दिल्ली- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने दावा किया है कि नेहरू-गांधी नाम के अध्यक्ष के बिना भी पार्टी जिंदा रहेगी। उन्होंने राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने की जिद को लेकर भी बीजेपी पर ही निशाना साधा है। उन्होंने दावा किया है कि असल में भारतीय जनता पार्टी जैसे 'कांग्रेस-मुक्त' भारत चाहती है, वैसे ही 'गांधी-मुक्त' कांग्रेस भी चाहती है। अपने बड़बोले बयानों की वजह से कई बार पार्टी से साइडलाइन किए जा चुके मणिशंकर का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब कांग्रेस गांधी परिवार से अलग किसी नेता को अध्यक्ष पद सौंपने के बारे में पार्टी अबतक कोई सोच ही नहीं बना पायी है।
'गैर-गांधी अध्यक्ष के बगैर भी रहेगी पार्टी'
मणिशंकर अय्यर ने एक इंटरव्यू में कहा है कि गैर-गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है, लेकिन यह भी तभी संभव है, जब गांधी परिवार की संगठन में सक्रिय भूमिका रहे। उन्होंने कहा है कि वे तो चाहते हैं कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष बने रहें, लेकिन अगर उनकी इच्छा हटने की है, तो उसका भी सम्मान होना चाहिए। अय्यर ने कहा है कि, "मुझे पूरा भरोसा है कि बिना नेहरू-गांधी नाम के प्रमुख के बिना भी पार्टी जीवित रहेगी, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि नेहरू-गांधी नाम पार्टी में एक्टिव रहे और जहां भी कोई गंभीर मतभेद की स्थिति पैदा हो तो उसके निपटारे में मदद कर सके। "
'गांधी-मुक्त कांग्रेस' चाहती है बीजेपी- मणिशंकर
अय्यर के मुताबिक राहुल ने पार्टी को उनकी जगह नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक महीने का वक्त दिया है। हालांकि, पार्टी में यह आम चर्चा है कि उन्हें ही अध्यक्ष बने रहना चाहिए। अय्यर ने कांग्रेस में आए इस संकट का ठीकरा भी बीजेपी पर ही फोड़ने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि, "मैं जानता हूं कि बीजेपी का मकसद 'गांधी-मुक्त कांग्रेस' का है, जैसे 'कांग्रेस-मुक्त भारत' का है। मैं नहीं सोचता कि हमें यह सोचकर उनके ट्रैप में फंसना चाहिए कि उन्होंने कुछ ऐसा खोज निकाला है, जो हम नहीं खोज सकते।"
अय्यर ने इतिहास का हवाला भी यूं दिया
अय्यर ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा है कि नेहरू-गांधी परिवार से भी अलग लोग कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके लिए उन्होंने यूएन ढेबर से लेकर ब्रह्मानंद रेड्डी तक का नाम लिया। हालांकि, सीताराम केसरी जैसे नेताओं का नाम लेना वो भूल गए, जिन्हें कथित तौर पर सोनिया गांधी की वजह से अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। दरअसल, इसबार लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद 25 मई को राहुल गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी में अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की थी और किसी दूसरे गांधी को भी यह जिम्मेदारी नहीं सौंपने की हिदायत दी थी। तब से कांग्रेस उनका विकल्प ढूंढने की कोशिशों में लगी हुई है और तरह-तरह के फॉर्मूले निकल कर सामने आ चुके हैं, लेकिन अबतक फाइनल कुछ भी नहीं हुआ है।
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