बच्चों को खसरे का टीका क्या कोरोना वायरस से बचा सकता है? जानें विशेषज्ञों का दावा
बच्चों को खसरे का टीका क्या कोरोना वायरस से बचा सकता है? जानें विशेषज्ञों का दावा
पुणे, 24 जून। कोरोना वायरस की अभी दूसरी लहर समाप्त नहीं हुई है कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है। इसके साथ ही ये भी संभावना जताई जा रही है कि ये तीसरी लहर बच्चों के लिए ही सबसे अधिक खतराक साबित होगी। इस सब के बीच पुणे के वैज्ञानिकों ने बच्चों को दिए जाने वाले खसरे के टीके को लेकर नया दावा किया है। भारतीय वैज्ञानिकों का दावा स्टडी पर आधारित है।
पुणे के बीजे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के 9 शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में पाया है कि खसरा यानी मीजल्ज की वैक्सीन बच्चों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षा दे सकती है. पुणे में हुए इस अध्ययन में खसरे की वैक्सीन को कोरोना के खिलाफ 87 फीसदी प्रभावशाली बताया गया है। इन वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया कि खसरे का टीका बच्चों को कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षित करता है।
वैज्ञानिकों ने स्टडी 1 से 17 साल के कुल 548 बच्चों पर ये अध्यनन किया। जिसमें वैक्सीन कोविड के खिलाफ 87 फीसदी प्रभावी साबित हुई है। जिप बच्चों को वैक्सीन लगी थी उन पर कोरोना का असर नहीं हुआ है। पुणे के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया ये शोध इस महीने पीयर-रिव्यू इंटरनेशनल जर्नल, ह्यूमन वैक्सीन्स एंड इम्यूनोथेरेप्यूटिक्स में पब्लिश हुआ है।
इस शोध के प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ डॉ नीलेश ने कहा कि हमारे शोध के रिजर्ट बहुत ही पॉजिटिव आए हैं। रैंडम क्लीनिकल ट्रायल के जरिए हमारी इस खोज को मंजूरी भी मिल सकती है। उन्होंने कहा बच्चों पर कोविड कम असर डाल रहा है तो मुझे लगा शायद बचपन में दी जाने वाली वैक्सीन BCG और MMR का ये असर हो लेकिन शोध किया तो चौकाने वाले परिणाम सामने आए।
- मीज़ल्ज़ वैक्सीन Haemagglutinin antigen और कोरोना वैक्सीन में समानता दिखी यानी कोरोना का स्पाइक (S) प्रोटीन भी खसरा वायरस के हीमाग्लगुटिनिन प्रोटीन के जैसा है।
- रूबेला वैक्सीन में भी क़रीब 29 फीसदी ऐसी ही समानता दिखी इसलिए इस रिसर्च को प्लान किया। 87 फीसदी असरदार दिखा।
- खसरे का टीका बीते 35 वर्षों से भारत के टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा रहा है।
- 9 माह और 15 माह पर ये वैक्सीन दी जाती है, विशेषज्ञों के अनुसार 4-5 साल की उम्र में तीसरा डोज़ भी अहम है।
- संक्रमण ना होने की गारंटी नहीं पर रोग का प्रभाव कम होने की संभावना है।