क्या दिल्ली और मुंबई में फिर से कंपलीट लॉकडाउन की तैयारी है?
नई दिल्ली- इस वक्त देश में कोरोना संक्रमण के जितने भी मामले हैं, उनमें देश के दोनों सबसे बड़े महानगरों दिल्ली और मुंबई का आंकड़ा बहुत ही ज्यादा है। मुंबई में तो पहले से ही कोरोना बहुत तेजी से पांव पसार रहा था, लेकिन अब दिल्ली की स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है। अस्पतालों में बेड को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। ऊपर से लॉकडाउन में ढील मिलने से मॉल और बाजार खोल दिए गए हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। ऐसे में दोनों राज्य सरकारों की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं, उससे यह चर्चा जोड़ पकड़ चुकी है कि क्या मुंबई और दिल्ली में एकबार फिर सं संपूर्ण लॉकडाउन की तैयारी चल रही है?
दिल्ली और मुंबई में हालात बेहद नाजुक
देश की राजधानी दिल्ली और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में फिर से सख्त लॉकडाउन की चर्चा क्यों हो रही है, इसपर गौर करने से पहले कुछ तथ्यों पर ध्यान देना जरूरी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक गुरुवार को महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमितों के कुल मामले 94,041 पहुंच चुके हैं। यहां बीते 24 घंटों में ही कोरोना वायरस संक्रमण के 3,254 नए मामले सामने आए हैं। लेकिन, इनमें अकेले मुंबई में संक्रमण की संख्या अब बढ़कर 52,667 पहुंच चुकी है और सिर्फ मायानगरी में ही कोरोना 1,857 लोगों की जान ले चुका है। यहां बीते कुछ दिनों में अस्पतालों से कुछ कोरोना मरीजों की मौत की जो हकीकतें सामने आई हैं, उसने हालात और भयावह बना दिया है। राजधानी दिल्ली की भी स्थिति अब लगभग बेकाबू हो चुकी है। यहां संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 32,810 हो चुके हैं, जिनमें एक दिन में ही 1501 नए मरीज सामने आए हैं। यही नहीं यहां भी मौतों का आंकड़ा 984 तक पहुंच चुका है और अस्पतालों में वक्त पर बेड नहीं मिलने से कई मरीजों की मौत हो जाने की जानकारियां सामने आ रही हैं।
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क्या लोग सख्ती करने पर ही मानेंगे ?
दिल्ली और मुंबई में फिर से पूर्ण लॉकडाउन को लेकर सरकारें क्या सोच रही हैं, इसपर बात करने से पहले हम इन दोनों शहरों के बारे में एक्सपर्ट की राय बता देते हैं। पीएसआरआई हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन टीएस क्लेयर से सवाल हुआ कि कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक इतनी तेजी कैसे आ गई है, जबकि लॉकडाउन तो काफी समय पर लगा दिया गया था। तब उन्होंने कहा कि ' लॉकडाउन की वजह से ही कम्युनिटी स्प्रेड में देरी हुई है। तैयार होने का मौका मिला, उपकरण, पीपीई, गाइडलाइंस तैयार करने का मौका मिला। इस बात में कोई दो राय नहीं कि लॉकडाउन का फायदा हुआ है। ये तय था कि लॉकडाउन के बाद केस बढ़ेंगे। यह बहुत ही स्वाभाविक सी बात है। दिल्ली और मुंबई में बहुत ज्यादा केस को देखते हुए यहां काफी निगरानी की जरूरत है। काफी सतर्क रहने की आवश्यकता है। दिक्कत ये है कि लोग अभी भी सावधानियां बरतने के लिए तैयार नहीं हो रहे। इस चीज को सख्ती से लागू करवाना पड़ेगा। मास्क नहीं पहनते, जिनको जरूरत नहीं पड़ती वो भी बाहर निकल जाते हैं। उनको रोकना जरूरी है। धर्मस्थलों को अभी खोलना उतना जरूरी नहीं है, उसमें देरी की जा सकती है।'
दोनों मुख्यमंत्रियों के मन में क्या चल रहा है?
शायद यही वजह है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने एकबार फिर से लॉकडाउन का संकेत दे दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री पहले ही इसकी भयानकता के अनुमान जाहिर कर चुके हैं। उद्धव ठाकरे तो अपने प्रदेश खासकर मुंबई और उससे सटे ठाणे जिली की हालात देखकर इतने सकते में हैं कि नियम तोड़ने वालों के सख्त शब्दों में चेता रहे हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि, 'अगर लॉकडाउन में दी गई छूट खतरनाक साबित हुई, तो हमें मजबूरन दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ेगा।' वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री भविष्य के मरीजों के लिए बेड का इंतजाम करने के लिए खुद से दिल्ली में निकलने की बात कह रहे हैं। वैसे ये बात अलग है कि दिल्ली में दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ज्यादातर बेड खाली ही हैं, सिर्फ केंद्र सरकार और निजी अस्पतालों में बेड की कमी देखी जा रही है। हालांकि, अब निजी अस्पतालों में भी बेड बढ़ाए जा रहे हैं।
कोरोना के चलते दिल्ली की दुर्दशा
दिल्ली में स्थिति तो दिनों-दिन और भी खराब होती जा रही है। यहां संक्रमण की रफ्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा रहा है कि हर 100 सैंपल में 27 सैंपल पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन खुद ही सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि उन्हें लगता है कि दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इससे लगातार इनकार कर रहा है। ऊपर से दिल्ली के अस्पतालों की हालत ये है कि कस्तूरबा अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों का आरोप है कि उन्हें तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है, इसलिए सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में जाहिर है कि अगर हालात इसी तरह बदहाल रहे तो दोनों सरकारों को फिर से कोई सख्त कदम उठाना भी पड़ सकता है।
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