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अब अमेरिका भी करने जा रहा है क्लीनिकल ट्रायल, आयुर्वेद बन सकता है कोरोना के खिलाफ रामबाण?

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बेंगलुरू। पूरी दुनिया में 1 करोड़ 22 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित और 5.5 लाख से अधिक लोगों की जान ले चुका खतरनाक नोवल कोरोनावायरस का शर्तिया इलाज के लिए 100 फीसदी इलाज यानी रामबाण की दरकार है, लेकिन एकमात्र वैक्सीन को ही रामबाण मानकर नहीं बैठा जा सकता है। शायद यही कारण है कि अब आयुर्वेद की ओर अमेरिका ने भी रूचि लेनी शुरू कर दी है।

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लॉजिकल बात यह है कि दूसरे दिन से बाजारों में उपलब्ध हो सकने वाली संभावित वैक्सीन को 2020 के अंत तक आने में भी पूरी आशंका है। तो यह जरूरी हो जाता है कि जैसे कोरोना बिना थके अपने काम पर लगा हुआ और उसी तरह इंसान को भी उसके खिलाफ तैयारी अभी से शुरू करनी होगी और आयुर्वेद इसमें मददगार साबित हो सकता है।

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यह सर्वविदित सत्य है कि कोरोनावायरस के संक्रमण काफी हद तक रोकने में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि जरूरी है। इसके लिए योग और आयुर्वेद बेहद कारगर उपाय हैं, जिसके जरिएर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया और मजबूत किया जा सकता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आर्युवेदिक औषधि अश्वगंधा, गिलोय, अतीश, कुड़की और जटामानसी में बेहद उम्दा उपाय है।

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हालांकि उपरोक्त सभी आयुर्वेदिक औषधियों में गिलोय पूरे ब्रह्मांड में ऐसी अचूक औषधि है, जिससे शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया और बरकरार रखा जा सकता है। गिलोय का रस रोग प्रतिरोधक क्षमता ही नहीं, बल्कि यह कई दूसरी बीमारियों में रामबाण उपाय है।

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गुडुची और अमृता जैसे नामों से भी प्रचलित गिलोय में एंटीऑक्‍सीडेंट्स प्रचुरता में होती है, जिससे फ्री-रेडिकल्‍स से लड़ने में मदद मिलती है और यह कोशिकाओं को स्‍वस्‍थ एवं बीमारियों से दूर रखते हैं।

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गौरतलब है कोरोनावायरस के लिए इलाज में ऐसे कई दवाओं को गेमचेंजर की संज्ञा दी गई, लेकिन किसी भी दवा और इलाज से अब तक सफलता नहीं मिल सकी है। इनमें दावा के साथ इस्तेमाल में लाए गए रेमिडिसीवर और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन जैसी दवाएं और रक्त प्लाज्मा थैरेपी भी गेम से लगभग बाहर हो चुके हैं।

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पूरी दुनिया का एकमात्र आसरा वैक्सीन पर टिका है, जिसको बाजार में उपलब्ध होने में 6-12 महीनों को समय लग सकता है। भयावह बात यह है कि 6-12 महीनों में वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगा, इसकी भी गारंटी नहीं है।

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निः संदेह दुनिया भर के वैज्ञानिक वैक्सीन के लिए युद्धस्तर पर काम में जुटे हुए हैं और भारत भी इसमें पीछे नहीं है। स्वदेशी कोवाक्सीन वैक्सीन के गत 15 अगस्त को लांच करने की घोषणा की जा चुकी है। वहीं, चीन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन निर्माण का काम अंतिम चरण में हैं, लेकिन भारत छोड़ किसी अन्य अभी तक वैक्सीन लांच की समय-सीमा का निर्धारण नहीं किया है।

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यही कारण है कि इस बीच आयुर्वेद के जरिए कोरोना का इलाज ढूंढने के प्रयास शुरू हो गए हैं। अमेरिका भी आयुर्वेद की शक्ति पर भरोसा जताते हुए आयुर्वेद के क्लिीनिकल ट्रायल करने जा रहा है। हालांकि योगगुरू बाबा रामदेव द्वारा लांच की गई कोरोनिल दवा की लाइसेंसिंग विवादों को किनारे रख दिया जाए, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले औषधियां इम्म्यून सिस्टम को सुरक्षा प्रदान करने में कारगर रहीं हैं, जो कि कोरोना से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है।

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आयुर्वेद की इन्हीं खूबियों के मद्देनजर जल्द ही भारत और अमेरिका में आयुर्वेदिक चिकित्सक और शोधकर्ता एक साथ मिलकर क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने जा रहे हैं। बुधवार को प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और डॉक्टरों के एक समूह के साथ वर्चुअल इंटरेक्शन के जरिए अमेरिकी राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने बताया कि दोनों देशों के आयुर्वेदिक चिकित्सक और शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस का आयुर्वेदिक इलाज खोजने के लिए क्लिीनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बनाई है।

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उल्लेखनीय है भारतीय दवा कंपनियां सस्ती लागत वाली दवाओं और टीकों के उत्पादन में ग्लोबल लीडर हैं और इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अमेरिका स्थित संस्थानों के साथ भारतीय वैक्सीन कंपनियों के बीच कम से कम तीन सहयोग चल रहे हैं। उक्त सहयोग न केवल भारत और अमेरिका के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि उन अरबों लोगों के लिए भी फायदेमंद होगा, जिन्हें दुनिया भर में कोरोना वायरस के वैक्सीन का इंतजार है।

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वैसी भी भारत की शुद्ध देसी चिकित्सा पद्धित आयुर्वेद के बारे में यह मान्यता है कि जहां सारे संभावनाएं खत्म हो जाती है, वहां आयुर्वेद सहारा बनता है, क्योंकि आर्युर्वेद में रोग निवारण क्षमता की असीम संभावनाएं हैं। यही कारण है कि लोग एक बार फिर आयुर्वेद की ओर रूख करना शुरू कर दिया और कोरोना के खिलाफ आयुर्वेद चिकित्सा पद्धित में मौजूद औषधिए खजाना हताशा से भरे चुके दुनिया को नई आशा और नई उम्मीद देगा।

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मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों पर कम प्रभावी होती है कोरोना

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अभी तक के चिकित्सीय और वैज्ञानिक तथ्य इशारा करते हैं कि कोरोनावायरस उन लोगों पर निष्प्रभावी होता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और बाबा रामदेव के दावे के विपरीत अगर कोरोनिल रामबाण नहीं भी है और उसका सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से सहायक होती हैं, तो अधिकांश लोगों को इसकी मदद से बचाया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आयुर्वेदिक होने के कारण कोरोनिल को लेकर कोई जोखिम भी नहीं है।

कोरोनावायरस की प्रकृति और स्वभाव में काफी बदलाव आ चुका है

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मौजूदा समय और पिछले तीन महीने पहले के समय की तुलना में कोरोनावायरस की प्रकृति और स्वभाव काफी बदलाव आ चुका है, जिससे वह आसानी से पकड़ में नहीं आ रहा है और अब लगभग सभी राज्यों में कोरोना की टेस्टिंग भी खूब हो रही है, जिससे मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होता दिख रहा है, लेकिन संक्रमितों के इलाज में देरी, चाहे वह आयुर्वेदिक सप्लीमेंट्री दवा ही क्यों न हो, जरूरी है।

कोवाक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में साल भर से अधिक लग सकता है समय

कोवाक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में साल भर से अधिक लग सकता है समय

भारत बायोटेक कंपनी वैक्सीन को लेकर भले ही 15 अगस्त तक लॉन्च करने का दावा किया है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक ट्रायल में लंबा समय लग सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि क्लिीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री पर मौजूद प्रोटोकॉल के अनुसार पहले फेज में कम से कम एक महीना लग सकता है। इसके डाटा को डीजीसीआई के सामने प्रस्तुत करना होता है और फिर अगले चरण की अनुमति मिलती है। पहले और दूसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल में सवा साल यानी एक साल तीन महीने भी लग सकते हैं।

 वर्तमान में भारत में रोजाना 22000-24000 नए मामले सामने आ रहे हैं

वर्तमान में भारत में रोजाना 22000-24000 नए मामले सामने आ रहे हैं

वर्तमान में भारत में रोजाना 22000-24000 नए मामले सामने आ रहे हैं और प्रति दिन यानी 24 घंटे में संक्रमण से मरने वालों की संख्या 300-400 हो गई है। बुधवार को कोविड-19 के 22,752 नए मामले सामने आने के बाद कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,42,417 हो गई है। वहीं, संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने की दर भी बढ़कर 61.53 फीसदी हो गई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक एक दिन में देश में संक्रमण से 482 और लोगों की मौत के साथ ही मृतकों की संख्या भारत मे बढ़कर 20,642 हो गई है।

विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने बढ़ती भयावहता को लेकर चिंता जाहिर की है

विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने बढ़ती भयावहता को लेकर चिंता जाहिर की है

चेतावनी जारी करते हुए WHO कहा है कि कोरोनावायरस ज्‍यादा खतरनाक फेज में पहुंच चुका है। डायरेक्‍टर टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस कहते हैं, हम नए और बेहद खतरनाक चरण में पहुंच चुके हैं। वर्ष 1918 में फैले स्‍पेनिश फ्लू से करते हुए कहा कि स्‍पेनिश फ्लू भी एक के बाद एक तीन बार लौटी थी। टेड्रोस ने आगे कहा कि जैसे ही लोग असावधान होंगे, कोरोना का कहर और तेजी से बढ़ेगा।

WHO ने माना कि अब हवा में ही फैल रहा कोरोना?

WHO ने माना कि अब हवा में ही फैल रहा कोरोना?

32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखे एक पत्र में बताया था कि कोरोना एक एयरबॉर्न वायरस है, जो हवा में भी फैल सकता है। वैज्ञानिकों ने कुछ साक्ष्यों पर भी प्रकाश डाला है, जो बताते हैं कि वायरस के नन्हे पार्टिकल्स हवा में रहकर लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। WHO ने भी तथ्यों पर आधारित रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। WHO में कोविड-19 महामारी से जुड़ी टेक्निकल लीड डॉक्टर मारिया वा करखोव ने कहा कि भीड़-भाड़ वाली सार्वजनिक जगहों और बंद जगहों पर हवा के जरिए वायरस के फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

अधिकाधिक टेस्टिंग भारत में नए मामलों की संख्या बढ़ी है

अधिकाधिक टेस्टिंग भारत में नए मामलों की संख्या बढ़ी है

Covid-19 के नए केसेज के पीछे भारत की बढ़ी हुई टेस्टिंग क्षमता कही जा रही है। वर्तमान में भारत में हर दिन ढाई लाख से अधिक लोगों की टेस्टिंग हो रही है। प्रति दिन भारत रोजाना किए जा रहे टेस्‍ट्स की संख्‍या में तेजी से इजाफा हुआ है और अब यह संख्‍या प्रतिदिन के हिसाब से हो रही टेस्टिंग एक लाख के पार हो गई है। कहा जाता है कि कांटेक्ट ट्रेसिंग को रोकने और संक्रमण को रोकने के लिए ज्‍यादा टेस्टिंग जरूरी है। यह कई देशों द्वारा किए गए नतीजों से साबित भी हो चुका है कि टेस्टिंग बढ़ने से केसेज अधिक संख्या में सामने आएंगे।

टेस्टिंग में वृद्धि के जरिए कई देशों ने कोरोना निंयत्रण पाने में सफलता पाई

टेस्टिंग में वृद्धि के जरिए कई देशों ने कोरोना निंयत्रण पाने में सफलता पाई

टेस्टिंग में वृद्धि के जरिए कई देशों ने वर्तमान में कोरोनावायरस पर निंयत्रण पाने में सफलता पाई है। इनमें एशियाई देश चीन, जापान और दक्षिण कोरिया और दक्षिण एशियाई देश सिंगापुर शामिल हैं, जहां टेस्टिंग ही वह प्रमुख टूल था, जिसके जरिए कोरोना के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कमोबेश यही फार्मूला यूरोपीय देशों और अमेरिका में भी अमल में लाकर काफी हद तक कोरोना को कंट्रोल किया हुआ है।

क्या भारत कम्युनिटी ट्रांसमिशन की ओर बढ़ सकता है?

क्या भारत कम्युनिटी ट्रांसमिशन की ओर बढ़ सकता है?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्ष वर्धन ने फिलहाल भारत में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन से इनकार किया है, लेकिन हमारी यह जिम्मेदारी है कि अगर संपर्क में आया कोई व्यक्ति अगर कोरोना संक्रमति अथवा संदिग्ध लगता है, तो उसके बारें स्थानीय प्रशासन को सूचित जरूर करें। इससे न केवल अमुक व्यक्ति बल्कि उसका परिवार और आस-पड़ोस में संक्रमण को फैलने से बचाया जा सकता है। प्रशासन और सरकारें उसकी पहचान आसानी से कर सकेंगे और कांटैक्ट ट्रैंसिंग के जरिए उसके संपर्क में आए लोगों का भी नमूना लेकर कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने में कामयाब हो सकते हैं।

Comments
English summary
n the whole world, more than 12 million people have been infected and more than 5.5 lakh people have been killed, the conditional treatment of the dreaded novel coronavirus requires 100% treatment ie panacea, but the only vaccine cannot be treated as panacea. is. Perhaps this is why now America has started taking interest in Ayurveda.
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