लॉकडाउन: मुंबई में एक ऑटिस्टिक बच्चे के जिंदा रहने लिए जरूरी था ऊंट का दूध, ओडिशा के एक IPS ने संभव कर दिखाया
नई दिल्ली-मुंबई की एक महिला ने ट्विटर पर अपने साढ़े तीन साल के ऑटिस्टिक बच्चे के लिए राजस्थान से ऊंट का दूध मंगवाने की गुहार लगाई। क्योंकि, लॉकडाउन की वजह से उसके पास पड़ा स्टॉक खत्म होने को था और उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। महिला का कहना था कि उसका बच्चा ऊंट का दूध पीकर ही जीवित है और बाकी सारे खाने से उसे एलर्जी है। लेकिन, मुंबई से करीब 1700 किलो मीटर दूर एक आईपीएस अधिकारी ने उसकी गुहार सुनी और उनकी कोशिशों से समय रहते उस मां तक उसके बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में कई महीनों के लिए ऊंट के दूध और उसके पाउडर का स्टॉक पहुंच गया। इस काम में भारतीय रेलवे ने भी काफी काबिल-ए-तारीफ काम किया है।
अपने बच्चे के लिए महिला ने लगाऊ ऊंट के दूध की गुहार
पिछले 4 अप्रैल को मुंबई के चेंबूर इलाके में रहने वाली नेहा कुमारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ट्वीट किया, 'नरेंद्र मोदी सर, मेरा साढ़े तीन साल का एक बच्चा है जो ऑटिज्म से पीड़ित है और उसे गंभीर फूड एलर्जी है। वह ऊंट के दूध और थोड़े बहुत दालों पर जिंदा रहता है। जब लॉकडाउन शुरू हुआ तब मेरे पास इतने लंबे समय के लिए पर्याप्त मात्रा में उंट का दूध मौजूद नहीं था। सादड़ी (राजस्थान) से ऊंट का दूध या इसका पाउडर मंगवाने में मेरी मदद करें। 'ट्विटर पर इस मैसेज को बहुत लोगों ने पढ़ा और उसे रिट्वीट भी किया। मदद के लिए कहा जाने लगा। नेहा कुमारी की इस दिक्कत को ओडिशा सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई युटिलिटी के सीआईओ और आईपीएस अरुण बोथरा के एक फॉलोअलर ने उन तक पहुंचाया। क्योंकि, ये आईपीएस अधिकारी मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं।
एक आईपीएस अधिकारी ने ऐसे बढ़ाया मदद का हाथ
टाइम्स ऑफ इंडिया को खुद अरुण बोथरा ने बताया 'क्योंकि मैं एक आईपीएस ऑफिसर हैं, कई लोग समझते हैं कि मैं मदद कर सकता हूं। मैंने उस महिला से संपर्क किया। उसने बताया कि उनका परिवार वैसे तो दो से तीन महीने तक के लिए ऊंट के दूध का स्टॉक रखता है। वह भावुक हो गईं और बोलीं कि अब मुश्किल से तीन या चार दिन के लिए दूध बचा है और उनका बच्चा बिना दूध के जिंदा नहीं बचेगा।' बोथरा ने बताया कि उन्होंने राजस्थान से ऊंट का दूध पहुंचवाने के लिए रेलवे से बात करना शुरू कर दिया। इसी दौरान ट्विटर पर एक व्यक्ति ने उन्हें बताया कि वह ऊंट के दूध का पाउडर सप्लाई करने वाली एक कंपनी को जानता है। आईपीएस अधिकारी ने कहा, 'कंपनी के मालिक ने मुझसे कहा कि अंधेरी के स्टॉकिस्ट के पास सिर्फ 400 ग्राम दूध का पाउडर बचा हुआ है। महिला के पति ने वहां से वह दूध पाउडर उठा लिया और कहा कि चार दिनों के लिए यह काफी है।'
रेलवे ने भी बढ़ाया मदद का हाथ
अब बोथरा और ज्यादा दूध के इंतजाम में जुट गए। उन्होंने नेहा की गुहार को राजस्थान के कई व्हाट्सऐप ग्रुप तक पहुंचाया। उधर रेलवे भी आईपीएस अरुण बोथरा के अनुरोध पर हरकत में आ चुका था। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिम रेलवे के चीफ पैसेंजर ट्रैफिक मैनेजर तरुण जैन ने अजमेर स्थित रेलवे के कॉमर्शियल डिपार्टमेंट से कहा कि वे वेंडर से संपर्क करके पता लगाएं कि दूध पहुंचाने के लिए उसके लिए कौन सा रेलवे स्टेशन सुविधाजनक रहेगा। क्योंकि, पार्सल ट्रेन जिस रूट से गुजरने वाली थी उस पर सादड़ी नहीं पड़ता है। तब पता चला कि वेंडर के लिए फालना रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी है, जहां तक वह स्टॉक की सप्लाई कर सकता है।
बच्चे के पास पहुंचा दिया गया लॉकडाउन के लिए पर्याप्त दूध
दिक्कत ये थी कि फालना रेलवे स्टेशन उस पार्सल ट्रेन के स्टॉपेज लिस्ट में शामिल नहीं था। लेकिन, सवाल एक मासूम बच्चे के लिए आहार पहुंचाने का था, इसलिए रेलवे दूध का पार्सल लोड करने के लिए वहां पर स्पेशल स्टॉपेज के लिए तैयार हो गया। ऊंट के दूध के सप्लायर ने 20 किलो ऊंट दूध का पाउडर और 20 लीटर ऊंट का दूध भी लोड कर दिया। बाद में बोथरा ने बताया '9 अप्रैल को स्टॉक मुंबई पहुंच गया और महिला के परिवार वालों ने उसे 10 अप्रैल को शाम 5 बजे उसे ले लिया।'(आईपीएस और उनके परिवार वालों की तस्वीर छोड़कर बाकी सभी प्रतीकात्मक)
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